MP-MLA Court : राहुल गांधी के विवादित बयान पर आज एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला, राजनीतिक हलचल तेज Bihar Election Voting: पहले चरण में महिलाओं ने किया रिकॉर्ड मतदान, गांव-शहर में दिखा उत्साह Bihar election 2025 : पहले चरण में जबरदस्त वोटिंग, मोकामा बनी सियासत का अखाड़ा; किसके सिर पर सजेगा ताज Bihar Election 2025: पटना में क्यों रहा मतदान प्रतिशत सबसे कम, जानें क्या है कारण? Bihar politics : विजय सिन्हा पर लखीसराय में क्यों हुआ हमला? पिछले साल भी यहीं हुआ था विरोध;जानिए आखिर क्या है वजह Bihar Election 2025: पहले चरण में रिकॉर्डतोड़ मतदान, जानें कौन सा जिला रहा सबसे आगे और कहां हुआ सबसे कम मतदान? Bihar Weather: बिहार के दर्जन भर जिलों में गिरा तापमान, अगले 3 दिनों तक कुछ ऐसा रहेगा मौसम का हाल Bihar Chunav : सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश: अब उम्मीदवारों को नामांकन पत्र में बताना होगा हर आपराधिक मामला — बिहार चुनाव के बीच अहम फैसला Bihar News: बिहार के कटिहार से अपहृत 'कृष्णा' भागलपुर से बरामद, 72 घंटे बाद पुलिस को मिली सफलता Bihar News: सांसद रवि किशन को फिर मिली जान से मारने की धमकी, बिहार के शख्स की तलाश में जुटी पुलिस
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 07 Nov 2025 08:52:53 AM IST
- फ़ोटो
Bihar Chunav : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपने खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की पूरी जानकारी नामांकन पत्र में देना अनिवार्य होगा। अदालत ने कहा कि यह मतदाताओं का संवैधानिक अधिकार है कि वे यह जान सकें कि उनका प्रत्याशी ईमानदार है या आपराधिक पृष्ठभूमि रखता है। यह आदेश ऐसे वक्त में आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल पूरे राज्य में गर्म है, और विभिन्न दलों के उम्मीदवार नामांकन प्रक्रिया में जुटे हैं।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का रुख: पारदर्शिता लोकतंत्र की आत्मा
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना सबसे महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा — “वोटर का अधिकार केवल वोट डालने का नहीं, बल्कि यह जानने का भी है कि जिसे वह चुन रहा है, उसका अतीत क्या है। अगर उम्मीदवार अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को छिपाता है, तो यह मतदाता के अधिकार का उल्लंघन है।” सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई उम्मीदवार अपने आपराधिक मामलों को छिपाता है या गलत जानकारी देता है, तो इसे ‘गंभीर अपराध’ माना जाएगा और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
🔹 बिहार चुनाव से सीधा संबंध
यह फैसला ऐसे समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां चरम पर हैं। राज्य के तमाम दल अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुके हैं, और कई सीटों पर उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आरोपों की चर्चा हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बिहार जैसे राज्यों में राजनीति के अपराधीकरण पर सीधा असर डाल सकता है, जहां कई नेता और प्रत्याशी हत्या, बलात्कार, वसूली, और भ्रष्टाचार जैसे मामलों में आरोपित हैं।
चुनाव विश्लेषक के अनुसार, “यह आदेश चुनाव आयोग को मजबूती देगा। अब कोई भी प्रत्याशी अपने खिलाफ दर्ज मामलों को छिपा नहीं पाएगा। यह कदम राजनीति में स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को बढ़ावा देगा।”
🔹 क्या है नया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करे कि हर उम्मीदवार नामांकन पत्र के साथ एक शपथपत्र जमा करे, जिसमें निम्नलिखित बिंदु स्पष्ट रूप से हों:
1. उम्मीदवार के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामले (चाहे लंबित हों या निपट चुके हों)।
2. मामले की प्रकृति — संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध।
3. अदालत में लंबित मुकदमों का विवरण।
4. सजा हुई हो तो उसका पूरा विवरण और अवधि।
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि राजनीतिक दलों को भी अपने प्रत्याशियों की आपराधिक पृष्ठभूमि वेबसाइट, सोशल मीडिया और प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सार्वजनिक करनी होगी।
🔹 सुप्रीम कोर्ट ने कहा — राजनीति में अपराध का ‘सामान्यीकरण’ खतरनाक
सुनवाई के दौरान अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में राजनीति का अपराधीकरण एक “गंभीर और लगातार बढ़ती समस्या” है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा —“राजनीतिक दलों ने अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने की प्रवृत्ति बना ली है। यह प्रवृत्ति लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती है। अब समय आ गया है कि जनता और न्यायपालिका दोनों मिलकर इसे समाप्त करें।”
🔹 बिहार में कई दिग्गजों पर गंभीर मामले
बिहार की राजनीति लंबे समय से ‘बाहुबली’ नेताओं के लिए जानी जाती रही है। इस फैसले से उन उम्मीदवारों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। राज्य में लगभग 40% से ज्यादा विधायक और उम्मीदवार किसी न किसी आपराधिक मामले में आरोपित रहे हैं, जिनमें कई पर हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप भी हैं।
पटना के राजनीतिक विश्लेषक संजीव मिश्रा कहते हैं, “सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बिहार में एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत कर सकता है। अगर इस आदेश का सख्ती से पालन हुआ तो कई पुराने चेहरे चुनावी दौड़ से बाहर हो सकते हैं।”
🔹 चुनाव आयोग की भूमिका अहम
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अब यह जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की है कि वह इस आदेश को सख्ती से लागू करे। आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि वह उम्मीदवार के शपथपत्र की जांच करे और अगर कोई जानकारी गलत या अधूरी पाई जाती है, तो उम्मीदवार का नामांकन रद्द किया जा सके। इसके अलावा, आयोग को निर्देश दिया गया है कि वह मतदाताओं को इस संबंध में जागरूक करे ताकि जनता अपने प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि जान सके।
🔹 राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
जहां विपक्षी दलों ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कुछ नेताओं ने इसे ‘राजनीतिक हथियार’ के रूप में भी देखा है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा — “यह फैसला स्वागतयोग्य है। जनता को जानने का हक है कि कौन अपराधी है और कौन जनता की सेवा के लिए मैदान में है।” वहीं भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कहा — “अब किसी भी पार्टी को टिकट देते समय सावधानी बरतनी होगी। जनता अब अधिक जागरूक है, और यह फैसला उन्हें और सशक्त करेगा।”
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सिर्फ एक कानूनी निर्णय नहीं बल्कि भारतीय राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है। बिहार जैसे राज्यों में, जहां राजनीति और अपराध का गहरा रिश्ता लंबे समय से चर्चा में रहा है, यह फैसला चुनावी माहौल में एक नई दिशा तय कर सकता है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग और राजनीतिक दल इस आदेश को कितनी गंभीरता से लागू करते हैं और क्या यह कदम वास्तव में राजनीति को “साफ-सुथरा” बनाने में सफल होता है या नहीं।