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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Nov 2025 12:35:50 PM IST
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Bihar Politics : बिहार में नई सरकार के गठन की अंतिम तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री पद की शपथ के साथ-साथ भाजपा ने अपने दोनों उपमुख्यमंत्री पद के चेहरों को भी लगभग तय कर दिया है। बुधवार को भाजपा विधायक दल की अहम बैठक में फिर से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय कुमार सिन्हा को उपनेता चुना गया। इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी सरकार में दोनों नेता उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
यह फैसला भले ही नया लगे, लेकिन इसके पीछे भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति और बिहार की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियाँ हैं। यह पहली बार नहीं है जब दोनों नेताओं पर पार्टी ने भरोसा जताया है। इससे पहले भी सम्राट चौधरी ही भाजपा विधायक दल के नेता थे और विजय कुमार सिन्हा उपनेता थे। चुनाव से पहले और बाद की परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा ने दोनों नेताओं पर फिर से भरोसा जताया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या हैं वह कारण जिनकी वजह से भाजपा ने फिर इन्हीं दोनों चेहरों पर दांव लगाया।
अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान दिया था बड़ा संकेत
चुनावी प्रचार के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह संकेत दिया था कि सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भाजपा की पहली पसंद होंगे। सम्राट चौधरी के क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने खुले मंच से कहा था—“आप लोग चुनाव जिताइए, हम इन्हें बड़ा आदमी बना देंगे।” यह बयान अपने आप में ही भाजपा की आगामी रणनीति का संकेत था।
इसी तरह लखीसराय में विजय कुमार सिन्हा की रैली के दौरान भी शाह ने कहा था—“विजय बाबू को जितवाइए, इन्हें बड़ा पद दिलाना हमारा जिम्मा है।”अब जब विधायक दल की बैठक में दोनों नेताओं को फिर से नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई, तो साफ हो गया कि अमित शाह की चुनावी घोषणा अब हकीकत में बदलने जा रही है।
सम्राट चौधरी—आक्रामक शैली और संगठन पर मजबूत पकड़
सम्राट चौधरी पिछले कुछ वर्षों से बिहार में भाजपा का प्रमुख चेहरा रहे हैं। आक्रामक शैली, तेज बयानबाज़ी और विपक्ष पर तीखे हमले उनकी पहचान रहे हैं। चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार और महागठबंधन पर लगातार हमले कर भाजपा का माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
संगठन के भीतर भी उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। यादव समाज से आने के कारण भाजपा ने उन्हें एक बड़े सामाजिक समीकरण के रूप में भी देखा। चुनाव अभियान में उन्होंने जिस ऊर्जावान नेतृत्व का परिचय दिया, उससे भाजपा हाईकमान पूरी तरह संतुष्ट रहा। यही कारण है कि पार्टी ने एक बार फिर उन्हें विधायक दल का नेता बनाकर उपमुख्यमंत्री पद के लिए प्राथमिकता दी।
विजय कुमार सिन्हा—अनुभवी, शांत स्वभाव और प्रशासनिक समझ
सम्राट चौधरी के आक्रामक तेवरों के उलट, विजय कुमार सिन्हा अपनी शांत और संयमित शैली के लिए जाने जाते हैं। विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर उनका अनुभव और प्रशासनिक मामलों में उनकी समझ, भाजपा के लिए बड़े संसाधन की तरह है।
लखीसराय सीट से उनकी लगातार जीत बताती है कि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ मजबूत है। संगठनात्मक नेतृत्व और जनता से सीधा जुड़ाव—दोनों ही मामलों में वह पार्टी की पसंद रहे। बिहार भाजपा में वह ऐसा चेहरा बनकर उभरे हैं जो पार्टी और सरकार के बीच पुल का काम कर सकते हैं।
दो उपमुख्यमंत्री—भाजपा की रणनीति का बड़ा हिस्सा
बिहार की राजनीति में भाजपा लंबे समय से दो उपमुख्यमंत्री रखती आई है। इसके पीछे पार्टी की रणनीति है अलग-अलग सामाजिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व संगठनात्मक संतुलन सत्ता और संगठन के बीच बेहतर तालमेल सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा इस समीकरण को पूरी तरह फिट करते हैं। एक ओर सम्राट चौधरी पिछड़ा वर्ग और युवा नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो दूसरी ओर विजय कुमार सिन्हा प्रशासनिक अनुभव और संगठन को संतुलित करते हैं। भाजपा चाहती है कि सरकार में ऐसे चेहरे हों जो उत्साह, अनुभव और संतुलन का मेल प्रस्तुत कर सकें।