Bihar Assembly Election 2025 : शाहाबाद को लेकर BJP ने बनाया यह मास्टर प्लान, चुनाव से पहले ही हुआ फ्री; जानिये वजह

Bihar Assembly Election 2025 : रोहतास जिले की सातों विधानसभा सीटों पर बीजेपी चुनाव नहीं लड़ेगी। करगहर, काराकाट, नोखा जेडीयू, सासाराम-दिनारा RLSP और चेनारी-डेहरी LJP को मिली।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 19 Oct 2025 09:53:43 AM IST

Bihar Assembly Election 2025 : शाहाबाद को लेकर BJP ने बनाया यह मास्टर प्लान, चुनाव से पहले ही हुआ फ्री; जानिये वजह

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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर रोहतास जिले की राजनीतिक तस्वीर इस बार काफी अलग नजर आ रही है। शाहाबाद क्षेत्र का यह जिला इस बार पूरी तरह से बीजेपी मुक्त हो गया है। रोहतास जिले की सात विधानसभा सीटों में से एक भी सीट इस बार बीजेपी के खाते में नहीं गई है। इसका अर्थ यह है कि यहां मतदान के दौरान ईवीएम पर कमल का चिन्ह ही नजर नहीं आएगा।


जानकारी के अनुसार, रोहतास जिले की करगहर, काराकाट और नोखा विधानसभा सीटों से जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। वहीं सासाराम और दिनारा सीट राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के खाते में गई है। जबकि चेनारी और डेहरी सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इसका साफ मतलब है कि एनडीए के घटक दलों को ही इस बार मौके दिए गए हैं, जबकि बीजेपी ने किसी भी सीट से चुनावी मैदान में भाग नहीं लिया है।


रोहतास जिले में बीजेपी का यह फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच हैरानी और नाराजगी का कारण बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शाहाबाद क्षेत्र में यह पहली बार हुआ है जब बीजेपी की एक भी सीट नहीं है। यह स्थिति उस समय और भी चर्चा का विषय बन गई थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव की घोषणा से पहले ही रोहतास जिले में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था।


प्रधानमंत्री मोदी ने रोहतास में आयोजित जनसभा में जिले को कई परियोजनाओं और विकास संबंधी सौगातें दी थीं। इसमें रेलवे सुविधाओं के विस्तार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और अन्य कई महत्वपूर्ण कार्यों को मंजूरी देने की बात शामिल थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं और जनता को भी चुनावी जीत का संदेश देने की कोशिश की थी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया। बावजूद इसके, रोहतास की सभी सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी खड़ा नहीं हुआ।


विशेषज्ञों के अनुसार, रोहतास जिले में बीजेपी के लिए यह रणनीति पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन संतुलन बनाए रखने की कोशिश हो सकती है। एनडीए में सहयोगी दलों को चुनावी अवसर देकर गठबंधन को मजबूत करने की नीति अपनाई गई है। जेडीयू, राष्ट्रीय लोक मोर्चा और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को यहां प्रत्याशी उतारने का अवसर दिया गया है।


बीजेपी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच इस फैसले को लेकर असंतोष भी देखा जा रहा है। कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित जनसभा और विकास परियोजनाओं की घोषणाओं के बावजूद पार्टी का चुनाव में सीधे भाग न लेना समझ से परे है। उनका मानना है कि इससे स्थानीय स्तर पर पार्टी की छवि और समर्थकों का उत्साह प्रभावित हो सकता है।


विशेष रूप से रोहतास जिले की करगहर, काराकाट और नोखा सीटों पर जेडीयू के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। वहीं सासाराम और दिनारा सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे, जबकि चेनारी और डेहरी सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के उम्मीदवार मैदान में हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि बीजेपी ने पूरी तरह से पीछे हटकर अपने सहयोगी दलों को अवसर दिए हैं।


राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर भी ध्यान दिला रहे हैं कि शाहाबाद क्षेत्र की यह स्थिति बिहार के अन्य जिलों की तुलना में काफी अलग है। यहाँ बीजेपी का सीधे चुनाव में न भाग लेना और गठबंधन सहयोगियों को पूरी तरह मौका देना एक नई राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इसका असर अगले विधानसभा चुनाव में स्थानीय राजनीति और मतदाता व्यवहार पर भी पड़ सकता है।


हालांकि, इस फैसले के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कार्यकर्ताओं को दिया गया मनोबल और जिले के लिए घोषित विकास परियोजनाओं का असर आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है। सवाल यह उठता है कि क्या रोहतास में एनडीए के सहयोगी दल अपनी पूरी ताकत दिखा पाएंगे और बीजेपी के अनुपस्थिति में भी गठबंधन की जीत सुनिश्चित कर पाएंगे।


सियासी हलकों में इस फैसले को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ का मानना है कि यह कदम गठबंधन को मजबूत करने और स्थानीय समीकरणों को साधने के लिए उठाया गया है। वहीं, कुछ अन्य इसे बीजेपी के स्थानीय संगठन और कार्यकर्ताओं के लिए चुनौती मान रहे हैं। इस पूरे परिदृश्य में यह स्पष्ट है कि रोहतास में इस बार कमल की उम्मीद मतदाताओं की नजरों में नहीं दिखेगी, लेकिन गठबंधन के अन्य घटक दलों की भूमिका अहम रहेगी।


इस प्रकार, रोहतास जिले की सातों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का सीधे चुनाव में न उतरना इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव की एक बड़ी राजनीतिक घटना बन गई है। यह रणनीति ना सिर्फ स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए बल्कि राज्य की सियासत और मतदाता धाराओं के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।