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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Nov 2025 04:56:15 PM IST
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Tej Pratap Yadav : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के घर चल रहा पारिवारिक कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही परिवार के भीतर बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप और सोशल मीडिया पर खुली नाराज़गी ने बिहार की राजनीति को लगातार गर्माया हुआ है। तेज प्रताप यादव और रोहिणी आचार्य ने हाल के दिनों में ऐसे बयान दिए, जिन्होंने न सिर्फ परिवार के भीतर तनाव को उजागर किया बल्कि पूरे राजनीतिक माहौल में हलचल भी बढ़ा दी।
इसी राजनीतिक और पारिवारिक उथल-पुथल के बीच तेज प्रताप यादव की पार्टी जनता दल (जेजेडी) ने एक बड़ा फैसला लिया है। पार्टी की कोर कमेटी मीटिंग में एनडीए सरकार को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की गई। हालांकि यह समर्थन औपचारिक गठबंधन जैसा नहीं है, लेकिन इसे बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि तेज प्रताप यादव अब पारंपरिक राजद लाइन से इतर स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने के प्रयास में हैं।
रोहिणी आचार्य को राष्ट्रीय संरक्षक बनने का ऑफर
मीटिंग की सबसे बड़ी सुर्ख़ी यह रही कि तेज प्रताप यादव ने अपनी बहन और लालू प्रसाद यादव की सबसे मुखर बेटियों में से एक रोहिणी आचार्य को पार्टी का राष्ट्रीय संरक्षक बनाने का प्रस्ताव दिया है। जेजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम यादव ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि तेज प्रताप यादव ने बैठक में कहा—“जल्द ही रोहिणी दीदी से अनुरोध करूंगा कि वे हमारी पार्टी की राष्ट्रीय संरक्षक बनें। पार्टी को मजबूत करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण होगा।”
यह प्रस्ताव ऐसे समय सामने आया है जब रोहिणी आचार्य लगातार अपने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए परिवार और पार्टी की अंदरूनी राजनीति पर खुलकर अपनी राय रख रही हैं। हाल के दिनों में उन्होंने तेजस्वी यादव के सलाहकारों पर गंभीर आरोप लगाए, साथ ही कहा कि उनके साथ बदसलूकी की गई और उन्हें धमकाया गया। रोहिणी के कई पोस्ट राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बने। अब तेज प्रताप का यह ऑफर कई मायनों में बड़ा राजनीतिक संदेश देता है।
लालू परिवार के भीतर बढ़ रही खाई
लालू परिवार में मतभेद नई बात नहीं है, लेकिन इस बार विवाद जिस स्तर पर सार्वजनिक रूप से सामने आया, उसने राजद की साख और आंतरिक एकता को गहरा झटका दिया है। इसके बाद अब रोहिणी आचार्य के तीखे ट्वीट, तेज प्रताप का अपने तरीके से राजनीतिक अलग रास्ता बनाना, तेजस्वी यादव और उनके सलाहकार मंडल पर उठाए गए सवाल,इन सबने यह स्पष्ट कर दिया है कि परिवार के भीतर संवाद की कमी और भरोसे का संकट धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
विशेषकर रोहिणी आचार्य का हालिया आरोप—जिसमें उन्होंने कहा कि उनके साथ "गंदी गालियां दी गईं और चप्पल उठाकर मारने तक की कोशिश हुई"—ने पूरे विवाद को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया। इस बयान से राजनीतिक विपक्ष को भी राजद पर लगातार हमला करने का मौका मिला।
क्या तेज प्रताप का यह कदम ‘राजनीतिक संदेश’ है?
विशेषज्ञों का कहना है कि तेज प्रताप यादव द्वारा रोहिणी को पार्टी में बड़ी ज़िम्मेदारी देने का यह प्रस्ताव सिर्फ औपचारिक पहल नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम है। रोहिणी आचार्य अभी भावनात्मक रूप से आहत हैं और परिवार में अपने सम्मान को लेकर नाराज़ हैं। ऐसे में तेज प्रताप की ओर से यह ऑफर उन्हें राजनीतिक रूप से एक सशक्त मंच देने जैसा है। इसके तीन बड़े राजनीतिक संकेत माने जा रहे हैं जिसमें तेज प्रताप अपनी अलग राजनीतिक पहचान को और मजबूत करना चाहते हैं। परिवार में जो नाराज़गी है, उसे अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। रोहिणी की लोकप्रिय छवि और सोशल मीडिया प्रभाव का फायदा लेना चाहते हैं।
NDA को नैतिक समर्थन—राजद के लिए बड़ा झटका?
जेजेडी द्वारा NDA को नैतिक समर्थन देने का फैसला भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। यह कदम राजद के राजनीतिक दायरे पर सीधा असर डाल सकता है। तेज प्रताप यादव भले ही राजद से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हों, लेकिन उनका कदम जनता और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच लालू परिवार के भीतर गहरे वैचारिक मतभेद की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
राजद नेतृत्व की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के अंदर यह सवाल ज़रूर उठ रहा है कि क्या परिवार में चल रही खींचतान राजनीतिक नुकसान में तब्दील हो सकती है।
क्या रोहिणी ऑफर स्वीकार करेंगी?
यह सबसे बड़ा सवाल है। रोहिणी आचार्य फिलहाल भावनात्मक रूप से बेहद आक्रामक मूड में हैं। वे परिवार की अंदरूनी राजनीति पर खुलकर हमला कर रही हैं। ऐसे में तेज प्रताप का यह ऑफर उनके लिए एक सम्मानजनक मंच हो सकता है। हालांकि रोहिणी के राजद से भावनात्मक जुड़ाव को देखते हुए यह भी संभव है कि वे कोई जल्दबाज़ी का फैसला न लें।
लालू परिवार में चल रहा विवाद अब स्पष्ट रूप से राजनीतिक मोड़ ले चुका है। तेज प्रताप यादव द्वारा अपनी बहन रोहिणी को बड़ा पद देने का प्रस्ताव और NDA सरकार को नैतिक समर्थन देने का फैसला कई संकेत देता है—राजद के भीतर असंतोष गहरा रहा है, तेज प्रताप अपनी अलग राह पर आगे बढ़ रहे हैं और रोहिणी आचार्य की भूमिका आने वाले दिनों में और महत्वपूर्ण हो सकती है। बिहार की राजनीति में आने वाले कुछ हफ्ते बेहद रोचक और निर्णायक साबित होंगे कि क्या यह पहल परिवार के भीतर खाई कम करेगी या विवाद को और गहरा कर देगी।