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Govindganj election result : गोविंदगंज सीट पर चिराग पासवान की पार्टी का परचम, राजू तिवारी ने 32,683 वोटों से दर्ज की ऐतिहासिक जीत

बिहार चुनाव 2025 में गोविंदगंज सीट पर लोजपा (रामविलास) ने शानदार जीत दर्ज की। राजू तिवारी को 96,034 वोट मिले जबकि कांग्रेस के शशि भूषण राय 63,351 वोटों के साथ पिछड़ गए।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Nov 2025 04:47:33 PM IST

Govindganj election result : गोविंदगंज सीट पर चिराग पासवान की पार्टी का परचम, राजू तिवारी ने 32,683 वोटों से दर्ज की ऐतिहासिक जीत

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Govindganj election result : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आने के साथ ही राज्य की राजनीतिक तस्वीर तेजी से बदलती दिख रही है। इन्हीं अहम सीटों में से एक रही है गोविंदगंज, जहां चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने खाते में एक बड़ी जीत दर्ज की है। इस सीट पर पार्टी उम्मीदवार राजू तिवारी ने प्रतिद्वंदी इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार शशि भूषण राय को बड़े अंतर से पछाड़ते हुए विजय हासिल की है।


मतगणना के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, राजू तिवारी को कुल 96,034 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शशि भूषण राय को 63,351 वोट हासिल हुए। इस तरह से 32,683 वोटों के विशाल अंतर से राजू तिवारी ने जीत दर्ज की, जिसे लोजपा (रामविलास) के लिए एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि माना जा रहा है।


लोजपा (रामविलास) के खेमे में जश्न का माहौल

गोविंदगंज सीट पर मिली इस जीत ने चिराग पासवान की पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया है। चुनावी रुझानों की शुरुआती बढ़त से लेकर अंतिम नतीजों तक लोजपा (रामविलास) के समर्थकों में जश्न का माहौल बना रहा। पार्टी कार्यालयों से लेकर कार्यकर्ताओं के घरों तक मिठाई बांटने और ढोल-नगाड़ों की गूंज सुनाई देती रही।


पार्टी नेताओं का कहना है कि यह जीत सिर्फ एक उम्मीदवार की जीत नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की जीत है। चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के दौरान गोविंदगंज में कई जनसभाएँ की थीं और स्थानीय मुद्दों को उठाते हुए जनता के सामने विकास का रोडमैप रखा था। परिणामों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि जनता ने इस वादे और विज़न पर भरोसा किया।


क्यों महत्वपूर्ण थी गोविंदगंज सीट?

गोविंदगंज विधानसभा सीट हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है। यहां वोटर की संख्या अधिक होने के साथ-साथ जातीय और सामाजिक समीकरण भी चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। इस बार का मुकाबला खासतौर पर इसलिए दिलचस्प था क्योंकि लोजपा (रामविलास) और कांग्रेस दोनों ने मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारे थे।


पिछले चुनावों में इस सीट पर स्थिति उतनी अनुकूल नहीं रही थी, लेकिन इस बार लोजपा (रामविलास) ने पहले ही दिन से इस सीट को ‘फोकस एरिया’ बनाकर रणनीति तैयार की थी। लगातार जनसंपर्क, बूथ मैनेजमेंट की मजबूत व्यवस्था और ग्रामीण इलाकों में गहरी पकड़ ने निर्णायक भूमिका निभाई।


विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से इस सीट पर बड़ा अंतर आया है, यह संकेत देता है कि एकतरफा वोटिंग पैटर्न देखने को मिला। ग्रामीण इलाकों में राजू तिवारी को जबरदस्त समर्थन मिला, वहीं शहरी मतदान केंद्रों पर भी अच्छी खासी बढ़त हासिल होती रही।


कांग्रेस के लिए झटका, कहाँ चूके शशि भूषण राय?

कांग्रेस उम्मीदवार शशि भूषण राय ने भी पूरी ताकत से चुनाव लड़ा था। स्थानीय मुद्दों, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं को उठाते हुए उन्होंने मतदाताओं को साधने की कोशिश की। मगर चुनावी समीकरणों और लोजपा (रामविलास) की मजबूत पकड़ ने कांग्रेस की रणनीति को कमजोर कर दिया।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को यहां संगठनात्मक कमजोरी और वोटों के बिखराव का नुकसान उठाना पड़ा। कई इलाकों में कांग्रेस को अपेक्षा से कम वोट मिले, जबकि कुछ बूथों पर लोजपा ने अप्रत्याशित रूप से बढ़त दर्ज की।


राजू तिवारी की लोकप्रियता बनी जीत का बड़ा कारण

राजू तिवारी को स्थानीय स्तर पर एक सक्रिय और जमीनी नेता के रूप में जाना जाता है। पिछले पांच वर्षों में उन्होंने अपने क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क बनाए रखा और लोगों की समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी इसी लोकप्रियता ने वोटरों को आकर्षित किया और बड़े अंतर वाली जीत की राह बनाई। उनकी जीत के बाद क्षेत्र के लोगों ने भी राहत और उम्मीद जताई है। कई मतदाताओं का कहना है कि वे इस बार एक ऐसे नेता को चुनना चाहते थे जो जमीन से जुड़ा हो और आम लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता दे।


चिराग पासवान की बढ़ती राजनीतिक ताकत

गोविंदगंज में मिली यह जीत चिराग पासवान की राजनीतिक रणनीति के लिए भी एक बड़ी सफलता साबित हुई है। बिहार की राजनीति में अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए लोजपा (रामविलास) लगातार काम कर रही है। यह जीत पार्टी की बढ़ती प्रभावशीलता को दर्शाती है और आने वाले चुनावों में इसकी भूमिका और महत्वपूर्ण होती दिख रही है।


गोविंदगंज सीट पर राजू तिवारी की जीत ने न सिर्फ चुनाव का समीकरण बदल दिया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि जनता अब विकास, नेतृत्व और ईमानदार छवि वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही है। 32,683 वोटों का यह अंतर बताता है कि सीट पर फैसला बिल्कुल स्पष्ट और एकतरफा था। लोजपा (रामविलास) के लिए यह जीत आगे की राह को और मजबूत करती है और बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की पार्टी को एक निर्णायक खिलाड़ी के रूप में मजबूती देती है।