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Chhath Puja : भगवान भास्कर की आराधना का महापर्व छठ आज से, नहाय-खाय के साथ शुरू होगा चार दिवसीय अनुष्ठान

लोक आस्था का महापर्व छठ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। भगवान सूर्य की आराधना को समर्पित यह चार दिवसीय अनुष्ठान बिहार समेत पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के माहौल में मनाया जा रहा है। घाटों पर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 25 Oct 2025 07:38:54 AM IST

Chhath Puja : भगवान भास्कर की आराधना का महापर्व छठ आज से, नहाय-खाय के साथ शुरू होगा चार दिवसीय अनुष्ठान

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Chhath Puja : लोक आस्था का महापर्व छठ आज शनिवार से पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ आरंभ हो रहा है। सूर्य उपासना का यह पर्व चार दिनों तक चलने वाला एक अद्भुत अनुष्ठान है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित देशभर के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धालु इस पर्व की तैयारियों में जुटे हैं। राजधानी पटना में गंगा घाटों पर तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं, जबकि घर-घर में छठी मैया के गीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय बन गया है।


नहाय-खाय से होगी शुरुआत

छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। यह दिन शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। व्रती सुबह गंगा या पवित्र जलाशय में स्नान कर घर लौटते हैं और शुद्ध वातावरण में मिट्टी के चूल्हे पर भोजन तैयार करते हैं। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल का प्रसाद बनता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि इस प्रसाद के सेवन से शरीर और मन की शुद्धि होती है तथा जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।


खरना के साथ शुरू होगा निर्जला उपवास

रविवार को दूसरे दिन खरना पूजन का आयोजन होगा। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम में सूर्यास्त के बाद गुड़ और ईख के रस से बने खीर-रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ होता है। व्रत के इस चरण में व्रती जल तक ग्रहण नहीं करते हैं और पूर्ण मनोयोग से भगवान सूर्य की आराधना में लीन रहते हैं।


अस्ताचलगामी और उदयमान सूर्य को अर्घ्य

तीसरे दिन सोमवार को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठ घाटों पर हजारों की संख्या में व्रती और श्रद्धालु एकत्र होते हैं। घाटों पर पारंपरिक गीतों की स्वर लहरियां गूंजती हैं— “केतकी के फूलवा से सजल बान, छठी मइया तोहार बड़ मान।” यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और आध्यात्मिक होता है। अगले दिन यानी मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व का समापन किया जाएगा।


पर्व में ग्रह-गोचर का विशेष संयोग

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार, इस बार छठ पर्व अत्यंत शुभ योगों में पड़ रहा है। शनिवार को नहाय-खाय शोभन, रवि और सिद्ध योग में होगा। रविवार को रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जबकि सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। मंगलवार को त्रिपुष्कर योग और रवियोग के संयोग में उगते सूर्य को अर्घ्य देने से व्रती को विशेष फल की प्राप्ति होगी।


धार्मिक और वैदिक महत्व

छठ महापर्व की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है। सूर्य की उपासना को आरोग्यता और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया की कृपा से संतान सुख, आरोग्यता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। छठ के दौरान व्रती पीतल या तांबे के पात्र से सूर्य को अर्घ्य देते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है, जिससे शरीर में स्फूर्ति और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।


स्वास्थ्य और प्रकृति से जुड़ा पर्व

छठ पर्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। इस समय मौसम में बदलाव के कारण शरीर में फास्फोरस की कमी होती है, जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य मौसमी रोग बढ़ जाते हैं। छठ में गुड़, ईख, चना, फल और साग जैसे तत्वों का प्रयोग किया जाता है, जिनमें प्राकृतिक फास्फोरस और मिनरल्स भरपूर होते हैं। गुड़ विशेष रूप से शरीर को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करता है। खरना में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग इसी कारण से किया जाता है।


पटना के घाटों पर जगमग माहौल

राजधानी पटना में गंगा घाटों को रंगीन रोशनी और फूलों से सजाया गया है। निगम प्रशासन की ओर से घाटों की सफाई, रोशनी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। गंगाजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए टैंकरों के माध्यम से हर मोहल्ले में पानी पहुंचाया जा रहा है। प्रसिद्ध सूर्य मंदिर जैसे देव, बड़गांव, उलार और पुण्यार्क में भी विशेष पूजा-अर्चना की तैयारी है।

छठ महापर्व का चार दिवसीय क्रम इस प्रकार रहेगा —

25 अक्टूबर: नहाय-खाय

26 अक्टूबर: खरना पूजन

27 अक्टूबर: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

28 अक्टूबर: उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण


सूर्योदय सुबह 6:24 बजे और सूर्यास्त शाम 5:36 बजे रहेगा। इन पवित्र क्षणों में व्रती भगवान सूर्य से आरोग्यता, समृद्धि और पारिवारिक सुख-शांति की कामना करेंगे। छठ न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का अनुष्ठान भी है। यह पर्व लोगों को अनुशासन, संयम और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी गंगा तट और तालाबों पर छठ की आराधना के दृश्य भक्ति, उल्लास और पवित्रता से परिपूर्ण होंगे।