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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 14 Nov 2025 12:20:04 PM IST
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Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए और शपथ ग्रहण की तारीख तक बताने वाले तेजस्वी यादव को तगड़ा झटका लगा है। अब तक के रुझानों में आरजेडी मात्र 36 सीटों पर आगे चल रही है, जो 2020 में मिली 78 सीटों की तुलना में आधे से भी कम है। उस चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह बदल गई है।
चुनाव आयोग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी 87 और जेडीयू 75 सीटों पर आगे है। एनडीए की सहयोगी लोजपा (आर) 19 सीटों पर बढ़त बनाते हुए दिखाई दे रही है, जबकि हम (HAM) 4 सीटों पर आगे है। इस तरह एनडीए गठबंधन 200 सीटों के करीब पहुंचता दिख रहा है, वहीं महागठबंधन कुल मिलाकर 50 सीटों तक भी नहीं पहुंच पा रहा।
अगर ये रुझान नतीजों में बदलते हैं, तो आरजेडी का यह प्रदर्शन 2010 जैसा झटका साबित हो सकता है, जब जेडीयू की लहर में आरजेडी केवल 22 सीटों तक सिमट गई थी। इस लिहाज से देखें तो यह परिणाम तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर के लिए गंभीर झटका है। वहीं कांग्रेस के लिए भी स्थिति निराशाजनक है—राहुल गांधी ने प्रचार संभाला था, लेकिन पार्टी 62 सीटों पर लड़कर भी केवल 5 सीटों पर सिमटती दिख रही है।
आरजेडी की खराब स्थिति के पांच बड़े कारण
1. लालू यादव का प्रचार से दूर रहना
लालू यादव इस बार केवल बैकएंड से सक्रिय रहे और मैदान में नहीं उतरे। इससे उनके समर्थक निराश हुए। दूसरी ओर, विरोधी दलों ने ‘जंगलराज’ का मुद्दा उठाकर लालू फैक्टर को आरजेडी के नुकसान के रूप में इस्तेमाल किया।
2. तेज प्रताप का अलग मोर्चा
तेज प्रताप यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा। वे स्वयं तो पीछे रहे, लेकिन कई सीटों पर उन्होंने आरजेडी को भी बड़ा नुकसान पहुँचाया। परिवार की कलह ने पार्टी की छवि पर नकारात्मक असर डाला, जैसा 2017 में यूपी में सपा के साथ हुआ था।
3. एनडीए का मजबूत समन्वय
एनडीए ने शुरू से ही समन्वित रणनीति अपनाई। समय पर सीट बंटवारा, एकजुट प्रचार और नीतीश कुमार व नरेंद्र मोदी का साझा मंच—इन सबने वोटरों का भरोसा बढ़ाया। इसके विपरीत महागठबंधन बिखरा और असंगठित नजर आया।
4. तेजस्वी के वादों पर नीतीश की योजनाएं भारी
तेजस्वी यादव ने हर परिवार में एक सरकारी नौकरी सहित कई बड़े वादे किए थे, लेकिन इन पर नीतीश कुमार की 10 हजार रुपये वाली स्कीम और अन्य लाभकारी योजनाएं भारी पड़ीं।
5. महागठबंधन में सीटों की खींचतान
महागठबंधन में आखिरी समय तक सीट बंटवारे को लेकर विवाद जारी रहा। करीब दर्जनभर सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ जैसी स्थिति बनी, जिसने गठबंधन को भारी नुकसान पहुँचाया।