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Bihar Election 2025: शाहाबाद से सीमांचल! BJP के लिए बड़ी चुनौती, क्या इस बार मजबूती के साथ होगी वापसी या फिर पहले की तरह ही रहेगा समीकरण

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में शाहाबाद से सीमांचल तक कई सीटें भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई हैं। पिछले चुनावों में जहां पार्टी ने कुछ सीटों पर मजबूत पकड़ दिखाई थी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 11 Nov 2025 09:38:43 AM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में शाहाबाद से सीमांचल तक कई सीटें भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई हैं। पिछले चुनावों में जहां पार्टी ने कुछ सीटों पर मजबूत पकड़ दिखाई थी, वहीं इस बार राजनीतिक समीकरण कुछ बदलते हुए नजर आ रहे हैं। जातीय गणित, स्थानीय नेताओं की लोकप्रियता और नए युवा चेहरे इस बार चुनावी रणभूमि को और भी जटिल बना रहे हैं। भाजपा की कोशिश है कि वह पहले की तरह मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करे, लेकिन महागठबंधन और अन्य क्षेत्रीय दलों की रणनीतियाँ इसे आसान नहीं बनने देंगी।


शाहाबाद और सीमांचल की कुछ सीटों पर पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है। ग्रामीण इलाकों में विकास और योजनाओं की पहुंच, वहीं शहरी क्षेत्रों में वोट बैंक और युवा मतदाताओं का रुझान इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकता है। साथ ही, हाल ही में क्षेत्रीय राजनीति में हुए बदलाव और नए उम्मीदवारों की एंट्री ने मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है।


भाजपा के लिए चुनौती सिर्फ जीत हासिल करना ही नहीं, बल्कि अपनी रणनीति और संगठनात्मक शक्ति के दम पर मतदाता का विश्वास बनाए रखना भी है। यही कारण है कि इस बार का मुकाबला बेहद चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील माना जा रहा है। शाहाबाद से सीमांचल तक हर सीट पर नजरें जमी हैं, और पार्टी के लिए यह वक्त है अपनी राजनीतिक मजबूती साबित करने का।


इस चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर वोटिंग हो रही है, जिनमें से 11 सीटें राजनीतिक और सियासी दृष्टि से सबसे ज्यादा रोमांचक मानी जा रही हैं। इन सीटों पर लड़ाई सिर्फ जीत-हार तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रतिष्ठा, जातीय समीकरण, दल-बदल और स्थानीय नेतृत्व की साख भी दांव पर है। चंपारण, सीमांचल, मगध और शाहाबाद की ये सीटें राज्य की सत्ता की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।


इमामगंज:

इमामगंज विधानसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा कुमारी एनडीए के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला आरजेडी की रितु प्रिया चौधरी और जन सुराज के डॉ. अजीत कुमार से है।


काराकाट:

काराकाट सीट पर जेडीयू के महाबली सिंह, सीपीआई (माले) के अरुण सिंह, जन सुराज पार्टी के योगेंद्र सिंह, और भोजपुरी स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह (निर्दलीय) मैदान में हैं। यह सीट लंबे समय तक वामपंथ का गढ़ रही है, लेकिन इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है।


चनपटिया:

चनपटिया सीट पर यूट्यूबर मनीष कश्यप जन सुराज पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके मुकाबले में बीजेपी के उमाकांत सिंह और कांग्रेस के अभिषेक रंजन भी मैदान में हैं। मनीष कश्यप पहले बीजेपी से थे, लेकिन चुनाव से पहले जन सुराज में शामिल हुए।


गोविंदगंज:

गोविंदगंज सीट पर कांग्रेस से शशि भूषण उर्फ गप्पू राय, चिराग पासवान की पार्टी से राजू तिवारी और जन सुराज से कमलेश कांत गिरी के बीच मुकाबला है। 2025 में यह सीट सीधे राजनीतिक प्रतिष्ठा और पार्टी पकड़ का टेस्ट बन गई है।


जोकीहाट:

जेडीयू से जनाब मंजर आलम, आरजेडी से शाहनवाज आलम, जन सुराज से सरफराज आलम, और AIMIM से मुर्शीद आलम मैदान में हैं। यह सीट मुस्लिम वोट बैंक के लिए निर्णायक बनी है।


रूपौली:

रूपौली में जेडीयू से कलाधर मंडल, आरजेडी में बीमा भारती, और जन सुराज से आमोद कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। बीमा भारती के आरजेडी में आने से समीकरण बदल गए हैं और ग्रामीण इलाकों में उनका व्यक्तिगत प्रभाव मजबूत है।


धमदाहा:

धमदाहा सीट पर बिहार सरकार में मंत्री और जेडीयू उम्मीदवार लेसी सिंह का गढ़ है। महागठबंधन के उम्मीदवार संतोष कुशवाहा ने चुनौती दी है। महिला समर्थन, सरकारी योजनाओं की पहुंच और जातीय समीकरण इस चुनाव की मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।


कड़वा:

कड़वा सीट पर मुस्लिम-यादव समीकरण महत्वपूर्ण है। AIMIM और छोटे मुस्लिम दलों की दावेदारी से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। सीमांचल में कांग्रेस की पारंपरिक पकड़ अब कमजोर हुई है।


कहलगांव:

कहलगांव सीट राजद और कांग्रेस के भीतर संघर्ष के लिए जानी जाती है। यहां महागठबंधन की एकता और वोट ट्रांसफर की चुनौती निर्णायक है।


रामगढ़:

रामगढ़ में राजद के कद्दावर यादव नेता सुधाकर सिंह की साख दांव पर है। व्यक्तिगत नेतृत्व बनाम संगठन की ताकत का मुकाबला यहां देखने को मिलेगा।


चकाई:

चकाई सीट पर 2020 में निर्दलीय सुमित सिंह की जीत ने सबको चौंकाया था। अब गठबंधन के साथ उनका मुकाबला व्यक्तिगत ब्रांड और दल के ब्रांड की लड़ाई में बदल गया है।


इन 11 हॉट सीटों पर मुकाबला अत्यधिक दिलचस्प है। मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बल, ईवीएम और वीवीपैट की तैयारी, सुरक्षित और व्यवस्थित मतदान व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। बिहार के मतदाता भयमुक्त और निष्पक्ष माहौल में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इस चरण में हर वोट का महत्व अधिक है क्योंकि यह राज्य की राजनीतिक दिशा और सत्ता समीकरण को सीधे प्रभावित करेगा।