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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 20 Oct 2025 11:54:15 AM IST
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Bihar election 2025 : बिहार में चुनावी माहौल गर्म है और इसी बीच भोजपुर के पूर्व सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता आरके सिंह ने सोशल मीडिया पर एक मजबूत सार्वजनिक अपील की है — उन्होंने मतदाताओं से कहा है कि वे किसी भी ऐसे प्रत्याशी को वोट न दें जिन पर आपराधिक पृष्ठभूमि या भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कुछ नाम भी उदाहरण के रूप में दिए और मतदाताओं से नोटा के प्रयोग का सुझाव भी दिया है यदि सभी उपलब्ध उम्मीदवार संदिग्ध हों।
आरके सिंह ने दीवाली की बधाई के साथ लिखे संदेश में कहा कि अब यह समय है जब बिहार और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करना है। उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि यदि लोग अपराधी या भ्रष्ट नेताओं को चुनते हैं तो बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहेगा और राज्य का विकास रुकेगा। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे जाति या समुदाय की परवाह किए बिना सच्चाई के पक्ष में खड़े हों और जरूरत पड़ने पर अपना वोट नोटा को दें।
इस पोस्ट में आरके सिंह ने कुछ ज्ञात और चर्चित नेताओं के नाम उदाहरण के तौर पर दिए — जिनमें एनडीए के प्रत्याशी अनंत सिंह और सम्राट चौधरी का भी उल्लेख है। उन्होंने मोकामा से अनंत सिंह पर हत्या, नरसंहार व अपहरण जैसे गंभीर आरोपों का जिक्र किया और लिखा कि जब वे 1985 में पटना के जिलाधिकारी थे तब अनंत सिंह के साथ हुई घटनाओं का उन्हें सामना करना पड़ा। इसी तरह सम्राट चौधरी के खिलाफ उम्र और सर्टिफिकेट सम्बन्धी विवादों का भी उल्लेख मीडिया में उठता रहा है।
आरके सिंह ने अपने पोस्ट में अलग-अलग क्षेत्रों के अन्य प्रत्याशियों के बारे में भी आरोपों का हवाला दिया — उदाहरण के तौर पर मोकामा से RJD के सूरजभान सिंह और उनकी पत्नी, नवादा के राजबल्लभ यादव और उनकी पत्नी, रघुनाथपुर से शाहबुद्दीन के पुत्र ओसामा, जगदीशपुर से भगवन सिंह कुशवाहा, सन्देश से राधा चरण साह और अरुण यादव के परिजनों का नाम शामिल है। सिंह ने कहा कि कई बार उम्मीदवार अपने परिवार के सदस्यों के जरिए चुनाव लड़ते हैं क्योंकि वे स्वयं पोक्सो या अन्य आपराधिक आरोपों के कारण मैदान में खड़े नहीं हो सकते। इन तमाम बयानों को उन्होंने अपने अनुभव और ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देते हुए रखा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की अपीलें चुनावी रणनीति और मतदाताओं की धारणा दोनों पर असर डाल सकती हैं। आरके सिंह की टिप्पणी खास इसलिए भी चर्चा में आई है क्योंकि उन्होंने कई बार भाजपा व उसके सहयोगियों के खिलाफ तेज़ शब्दों में बात की है — और अब वे गठबंधन के भीतर की कुछ चेहरों पर सीधे सवाल उठा रहे हैं। इससे क्षेत्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा होने की संभावना है।
जहां एक ओर आरके सिंह की अपील को कुछ मतदाताओं और नागरिक समाज ने स्वागत किया है और उन्होंने कहानियों की पारदर्शिता पर जोर दिया, वहीं राजनीतिक विरोधियों ने इसे चुनावी बयानबाजी करार देकर दलील भी की है। कुछ दलों ने आरोपों की जांच और प्रमाण मांगने की बात कही है तथा कहा है कि आरोपों को साबित करना भी आवश्यक है। पार्टी नेतृत्व की ओर से फिलहाल किसी भी व्यापक टिप्पणी की सूचना सार्वजनिक नहीं हुई है।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि चुनाव से पहले ऐसे सार्वजनिक आह्वान मतदाताओं को सोच-समझकर निर्णय लेने की याद दिलाते हैं, पर साथ ही यह भी स्पष्ट है कि आरोपों और शिकायतों की निष्पक्ष जांच व पारदर्शिता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। अब देखना यह है कि मतदाता इस अपील पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं और क्या यह चुनावी रुख़ में कोई निर्णायक बदलाव ला पाती है।