Bihar Assembly Election 2025 : शाहाबाद को लेकर BJP ने बनाया यह मास्टर प्लान, चुनाव से पहले ही हुआ फ्री; जानिये वजह bihar chunav 2025 : गिरिराज सिंह ने मुसलमानों को ‘नमक हराम’ बताया, कहा- मौलबी साहब मुझे 'नमक हरामों' का वोट नहीं चाहिए,जानिए क्या है वजह Bihar News: बिहार में ऐसे पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी, आदेश जारी.. Bihar Assembly Election 2025 : पार्टी से पहले परिवार.... ! बिहार चुनाव में अपने बेटा-बेटी,पत्नी और समधी-समधन को सेट करने में लगे हैं सभी दलों के नेता जी; समझिए पूरा हिसाब Patna Airport : पटना एयरपोर्ट से लापता हुआ सॉफ्टवेयर इंजीनियर, लास्ट टाइम जीजा से हुई थी बातचीत; पुलिस ने शुरू की जांच Bihar Crime News: बिहार में बड़े भाई ने छोटे को उतारा मौत के घाट, मृतक की पत्नी गंभीर रूप से घायल Bihar Weather: बिहार के दर्जनों जिलों में बढ़ा तापमान, इस दिन से लोगों को झेलनी होगी दोहरी मार Bihar Assembly Election 2025 : भूमिहार नेता के लिए तेजस्वी ने खेला बड़ा दांव, बदल दिया पुराने नेता का सीट;अब इस जगह से हुंकार भरेंगे सुदय यादव Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी का मास्टर प्लान ! मिशन भूमिहार पर दे रहे अधिक ध्यान; जानें क्या है वजह Bihar Election 2025 : महागठबंधन में बढ़ती दरार: चुनाव में बाकी हैं महज 20 दिन, सीट बंटवारे से लेकर सीएम चेहरे तक कुछ भी क्लियर नहीं; फिर जनता को कैसे होगा भरोसा
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 19 Oct 2025 07:32:16 AM IST
- फ़ोटो
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राज्य की सियासत में हलचल और तेज होती जा रही है। एक ओर जहां एनडीए ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुनावी मैदान में कदम रख दिया है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन यानी महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल, वीआईपी आदि) के भीतर सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है। सीट बंटवारे से लेकर मुख्यमंत्री के चेहरे तक, लगभग हर मुद्दे पर खींचतान और मतभेद खुले तौर पर सामने आने लगे हैं।
सीट बंटवारे पर गहराती खींचतान
महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही तनातनी अब खुलकर सामने आ चुकी है। कांग्रेस और राजद के बीच कई दिनों से बातचीत के बावजूद कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी है। पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की मियाद खत्म हो चुकी है, लेकिन स्थिति यह है कि महागठबंधन के कई दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं। जानकारी के मुताबिक, बछवारा, वैशाली, तारापुर, गौड़ाबौराम, लालगंज, कहलगांव, राजापाकर, रोसड़ा, बिहारशरीफ और वारसलीगंज जैसी सीटों पर गठबंधन के घटक दलों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।
समझिए महागठबंधन का समीकरण
बछवारा, राजापाकर, रोसड़ा और बिहारशरीफ में कांग्रेस बनाम सीपीआई की सीधी लड़ाई है।
वैशाली, वारसलीगंज, लालगंज और कहलगांव में राजद और कांग्रेस आमने-सामने हैं।
वहीं, गौड़ाबौराम और तारापुर में आरजेडी की लड़ाई वीआईपी से है।
इन सीटों पर हो रही "फ्रेंडली फाइट" ने गठबंधन के अंदरुनी असंतोष को उजागर कर दिया है। अंदरखाने में कई नेता मान रहे हैं कि इस प्रकार की स्थिति से विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं और इसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है।
मुख्यमंत्री चेहरे पर भी मतभेद
सीट बंटवारे की तरह ही, मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर भी महागठबंधन में मतभेद गहराते जा रहे हैं। राजद लगातार यह दावा कर रही है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के सर्वमान्य नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी वही होंगे। आरजेडी नेताओं का कहना है कि “इसमें कोई भ्रम नहीं है। तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं, सबसे बड़े दल के प्रमुख हैं, और स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री पद के चेहरे भी वही हैं।”
लेकिन, कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस की ओर से बार-बार कहा गया है कि मुख्यमंत्री का चेहरा “समय आने पर तय किया जाएगा।” कांग्रेस का यह रुख राजद के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस की इस हिचकिचाहट से गठबंधन की एकजुटता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
कांग्रेस का तर्क यह है कि बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ने से उन्हें फायदा मिल सकता है, क्योंकि इससे विपक्षी मतों का ध्रुवीकरण किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं होगा। यही वजह है कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने से बचती नजर आ रही है।
वाम दलों का रुख भी अस्पष्ट
महागठबंधन की एक और महत्वपूर्ण सहयोगी सीपीआई-एमएल भी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर कांग्रेस की राह पर ही चलती दिख रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया से कहा कि “तेजस्वी यादव निश्चित तौर पर गठबंधन के नेता हैं,” लेकिन जब मुख्यमंत्री पद के चेहरे की बात आई तो उन्होंने इसे “चुनावी रणनीति” का हिस्सा बताते हुए टाल दिया। सीपीआई-एमएल का मानना है कि अभी पूरे फोकस को भाजपा और एनडीए के खिलाफ जन मुद्दों पर रखना चाहिए, न कि चेहरा तय करने पर।
गठबंधन के लिए मुश्किलें बढ़ीं
गौरतलब है कि महागठबंधन के गठन के समय तेजस्वी यादव को समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। उस वक्त यह माना गया था कि वह ही गठबंधन का चेहरा होंगे, लेकिन अब कांग्रेस और वाम दलों के अलग-अलग बयान इस धारणा को कमजोर कर रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित करने से इनकार किया तो गठबंधन में दरार और गहरी हो सकती है। इससे न केवल महागठबंधन की एकजुटता पर असर पड़ेगा, बल्कि चुनावी रणनीति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में अब 20 दिन से भी कम समय बचा है, लेकिन विपक्षी गठबंधन अभी भी एकजुटता की राह तलाश रहा है। सीट बंटवारे की खींचतान, अलग-अलग सीटों पर आपसी मुकाबले और मुख्यमंत्री चेहरे पर असहमति ने महागठबंधन की स्थिति को कमजोर बना दिया है।
एक ओर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए खुद को स्वाभाविक दावेदार मानते हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस और वाम दल इसे “रणनीतिक मुद्दा” बताकर टालते जा रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में विपक्षी एकता की राह अभी आसान नहीं है। अगर महागठबंधन ने जल्द ही एक स्पष्ट रणनीति और नेतृत्व तय नहीं किया, तो यह चुनाव उनके लिए पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।