बिहार चुनाव 2025: नेताओं की पार्टी बदलने और टिकट बंटवारे से उलझा चुनावी मैदान; उम्मीदवारी गई तो विदा हो गए, बात बनी तो आ गए वापस

बिहार चुनाव 2025 में टिकट बंटवारे और नेताओं की पार्टी बदलने से राजनीतिक हलचल तेज, पूर्णिया, नवादा और जहानाबाद की सीटों पर मुकाबला नया रंग ले रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 15 Oct 2025 09:56:00 AM IST

बिहार चुनाव 2025: नेताओं की पार्टी बदलने और टिकट बंटवारे से उलझा चुनावी मैदान; उम्मीदवारी गई तो विदा हो गए, बात बनी तो आ गए वापस

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बिहार की राजनीति इस बार असामान्य और उलझी हुई स्थिति में है। विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही कई नेताओं के पार्टी छोड़ने और नए नेताओं के शामिल होने की खबरें सामने आ रही हैं। टिकट वितरण के बाद असंतोषित नेताओं का पार्टी छोड़ना, नई दिग्गजियों का जदयू और राजद में प्रवेश, और पुराने नेताओं का नई पार्टी से चुनावी मैदान में उतरना इस चुनावी परिदृश्य को और जटिल बना रहा है।


पूर्णिया जिले में राजनीतिक हलचल सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। पूर्व जदयू सांसद संतोष कुशवाहा अब धमदाहा विधानसभा सीट से राजद के उम्मीदवार बन गए हैं। वहीं, पूर्णिया के लोकप्रिय नेता पप्पू यादव भी महागठबंधन का हिस्सा हैं। इससे स्थानीय स्तर पर राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। जदयू की विधायक और मंत्री लेशी सिंह पहले कुशवाहा के पक्ष में प्रचार कर चुकी थीं, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। रूपौली विधानसभा सीट पर भी उलटफेर हुआ है, जहां बीमा भारती ने राजद का दामन थाम लिया है, जबकि शंकर सिंह जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।


जहानाबाद जिले में घोसी विधानसभा सीट से भी राजनीतिक बदलाव देखा जा रहा है। राहुल शर्मा अब राजद के उम्मीदवार हैं, जबकि पूर्व सांसद अरुण कुमार के पुत्र ऋतुराज जदयू के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। नवादा जिले में भी राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। राजद की विभा देवी ने जदयू की सदस्यता ली और नवादा से जदयू की उम्मीदवार होंगी। इसके विपरीत, कौशल यादव ने राजद का दामन थामा है। गोविंदपुर की पूर्णिमा यादव भी अब राजद में हैं, वहीं रजौली से राजद विधायक प्रकाश वीर ने जदयू का दामन थाम लिया है।


परबत्ता विधानसभा सीट पर भी जदयू के डॉ. संजीव कुमार ने राजद का समर्थन लिया और चुनावी सिंबल भी हासिल कर लिया है। इस प्रकार, नवादा, पूर्णिया और जहानाबाद जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर नेताओं का पार्टी बदलना और टिकट का बंटवारा चुनावी रणभूमि को और पेचीदा बना रहा है।


इस बार की चुनावी लड़ाई में केवल पार्टी नीतियों या पुराने वोट बैंक से अधिक नेताओं की व्यक्तिगत ताकत और उनके जनाधार का महत्व दिखेगा। बिहार के मतदाता नई राजनीतिक परिस्थितियों के बीच अपनी पसंद बना रहे हैं। टिकट न मिलने से नाराज नेताओं का विरोध और नए नेताओं का प्रवेश इस चुनाव को बेहद दिलचस्प और अनिश्चित बना रहा है।


विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार जदयू और राजद के बीच मुकाबला पुराने स्वरूप से हटकर नए अंदाज में होगा। सीटों पर नेता बदलने और पार्टी का दामन थामने से मतदाता भी नए समीकरणों का विश्लेषण कर रहे हैं। इसका सीधा असर चुनावी रणनीतियों और प्रचार अभियान पर पड़ेगा।


इस राजनीतिक उलटफेर के चलते जनता के लिए चुनाव एक नई कहानी बन गया है। पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है कि कौन सा गठबंधन या पार्टी बढ़त बनाएगी। चुनावी माहौल में उम्मीदवारों का जनाधार, उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता और क्षेत्रीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाएंगे।


जदयू और राजद के बीच नेताओं की अदला-बदली, टिकट वितरण में बदलाव, और नए नेताओं की भागीदारी ने इस बार बिहार के विधानसभा चुनाव को बेहद अनिश्चित और रोमांचक बना दिया है। जनता के लिए यह चुनाव नए राजनीतिक समीकरणों, उलझी हुई गठबंधनों और प्रत्याशियों की रणनीतियों का परीक्षा मैदान है। चुनाव परिणाम बिहार की राजनीति की दिशा तय करेंगे और यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार किस गठबंधन को अपनी प्राथमिकता देती है।


इस प्रकार, बिहार की राजनीति इस समय असामान्य हलचल, सीटों पर उलटफेर, और नेताओं की बदलती निष्ठाओं से गहराई तक प्रभावित है, जो चुनावी परिदृश्य को और भी रोमांचक बना रही है।