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Anant Singh : नई सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल ? मोकामा के विधायक अनंत सिंह कैसे लेंगे शपथ? छोटे सरकार कैद से कब होंगे रिहा? जानिए क्या कहता है नियम Bihar bridge project : बिहार के सबसे बड़े पुल का रास्ता साफ, गंडक नदी पर बनेंगे 29 किमी तक सड़क-पुल; बेतिया से गोरखपुर की दूरी घटेगी Gen Z Bhajan Clubbing: Gen-Z को भा रहा भजन क्लबिंग का नया ट्रेंड, वजह जानकर हो जाएंगे दंग Bihar Weather: बिहार के कई जिलों में गिरा तापमान, लोगों की भलाई के लिए IMD ने जारी की चेतावनी Bihar News: बिहार पुलिस ने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग बढ़ाई, माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ होगी त्वरित कार्रवाई Bihar Crime News: गुटखा के बकाया पैसे मांगने पर बढ़ा विवाद, युवक ने दुकानदार के सीने में चाकू घोंपकर कर दी हत्या Digital Life Certificate: अब बैंक के चक्कर, न कोषागार की लाइनें; घर पर बनेगा जीवन प्रमाणपत्र; जान लें क्या है पूरी खबर Bihar News: विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद JDU अब कार्यकर्ताओं को देगी सम्मान, नई रणनीति पर भी काम शुरू दुमका में खौफनाक कांड: पत्नी और दो बच्चों की हत्या के बाद पति ने किया खुदकुशी, इलाके में सनसनी अरवल: पैर फिसलने के बाद आहर में गिरा युवक, पानी में डूबने से हुई मौत

Anant Singh : नई सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल ? मोकामा के विधायक अनंत सिंह कैसे लेंगे शपथ? छोटे सरकार कैद से कब होंगे रिहा? जानिए क्या कहता है नियम

बिहार में नई सरकार बनने के बाद मोकामा से जीते बाहुबली विधायक अनंत सिंह की शपथ को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जेल में बंद अनंत सिंह शपथ कैसे लेंगे, इसी पर कानूनी और सियासी चर्चा तेज है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Nov 2025 08:50:11 AM IST

Anant Singh : नई सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल ? मोकामा के विधायक अनंत सिंह कैसे लेंगे शपथ?  छोटे सरकार कैद से कब होंगे रिहा? जानिए क्या कहता है नियम

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Anant Singh : बिहार में नई सरकार का गठन पूरी तरह संपन्न हो चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार शपथ ली है और उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। विभागों का बंटवारा हो गया है और 25 नवंबर को नई कैबिनेट की पहली बैठक होने जा रही है। इसके बाद विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारी है, जिसमें सभी 243 निर्वाचित विधायक शपथ लेंगे। लेकिन इसी बीच एक बड़ा सवाल राजनीतिक हलकों में तेजी से उभर रहा है—मोकामा से 28 हजार वोट से जीतने वाले जेडीयू विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह आखिर शपथ कैसे लेंगे?


दरअसल, अनंत सिंह दुलारचंद यादव हत्या कांड में बेऊर जेल में न्यायिक हिरासत में बंद हैं। उन्होंने हाल ही में पटना सिविल कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। जमानत याचिका खारिज होने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि अब शपथ की प्रक्रिया कैसे पूरी होगी? क्या वे जेल से पैरोल लेकर शपथ लेंगे? क्या अधिकारी जेल जाकर शपथ दिला सकते हैं? और क्या संविधान में ऐसी स्थिति के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान है?


यह पहला मौका नहीं है जब अनंत सिंह जेल में रहते हुए विधानसभा चुनाव जीते हैं। वह 2020 में भी चुनाव जीत चुके थे और उन्हें अदालत ने पैरोल देकर शपथ लेने की अनुमति दी थी। इस बार भी उसी प्रक्रिया के दोहराए जाने की संभावना जताई जा रही है। उनकी जीत के बाद समर्थकों ने “जेल के ताले टूटेंगे, अनंत भाई छूटेंगे” जैसे पोस्टर लगाकर जश्न भी मनाना शुरू कर दिया है।


संविधान और विधानसभा के नियम स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि नए विधायकों के शपथ लेने के लिए कोई सख्त समय सीमा नहीं है। लेकिन छह महीने के अंदर यदि कोई विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेता है, तो उसकी सदस्यता स्वतः रद्द हो सकती है। ऐसे में अनंत सिंह को छह महीने के भीतर शपथ लेनी और सदन में उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य है। वे जितनी देर जेल में हैं, उतनी देर सदन में उपस्थित रहने पर रोक रहेगी, लेकिन यह आवश्यक है कि वे स्पीकर को लिखित सूचना देकर अपनी अनुपस्थिति का कारण बताते रहें। कोई भी विधायक लगातार 59 दिनों से अधिक बिना अनुमति अनुपस्थित नहीं रह सकता।


अनंत सिंह इस समय हत्या के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं और चूँकि अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है, इसलिए वे सजायाफ्ता कैदी नहीं माने जाते। इसी वजह से उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। यह स्थिति उनके लिए राहत भरी है, क्योंकि यदि चार्जशीट में गंभीर धाराएँ लगती हैं और अदालत दोष सिद्ध कर देती है, तो दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर उनकी विधायकी स्वतः समाप्त हो जाएगी। पहले भी 2022 में अवैध हथियार मामले में 10 साल की सजा मिलने के कारण वे अयोग्य घोषित हुए थे, हालांकि 2024 में हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था।


अब सवाल उठता है कि शपथ कैसे होगी? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 188 के मुताबिक विधायक को अपना पद संभालने से पहले राज्यपाल या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी के सामने शपथ लेनी होती है। सामान्यतः जेल में बंद विधायक अदालत से अंतरिम जमानत या पैरोल लेते हैं और विधानसभा परिसर पहुँचकर शपथ लेते हैं। शपथ के तुरंत बाद उन्हें वापस जेल लौटना होता है। कुछ दुर्लभ मामलों में अधिकृत अधिकारी जेल जाकर शपथ दिला सकता है, लेकिन ऐसे उदाहरण बहुत कम हैं और इस विकल्प का इस्तेमाल तभी होता है, जब अदालत किसी भी तरह की अस्थायी रिहाई देने से इनकार कर दे।


सियासी हलकों में चर्चा तेज है कि अनंत सिंह जल्द ही अदालत में पैरोल के लिए नई याचिका दायर करेंगे। यदि पैरोल मिल जाता है, तो वे विधानसभा पहुंचकर शपथ ले पाएंगे। यदि पैरोल नहीं मिला, तो जेल में ही अधिकारी द्वारा शपथ दिलाए जाने की संभावना पर विचार हो सकता है, हालांकि यह पूरी तरह सरकार और विधानसभा सचिवालय के निर्णय पर निर्भर करेगा।


फिलहाल अनुमान लगाया जा रहा है कि विधायकों का शपथ ग्रहण 25 नवंबर के बाद होगा और उससे पहले अनंत सिंह की कानूनी कोशिशें एक बार फिर तेज होंगी। पूरी प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करेगी कि अदालत चार्जशीट को किस धाराओं में स्वीकार करती है और क्या उन्हें अस्थायी राहत मिल पाती है। अगले कुछ दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मोकामा के बाहुबली विधायक सदन तक पहुंच पाएंगे या नहीं, लेकिन एक बात तय है—यह मामला बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़े विवाद और चर्चा का विषय बन गया है।