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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Mar 2025 05:56:03 PM IST
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Bihar News: बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के मामलों की जांच में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिलों के अनुसूचित जाति-जनजाति थानों के साथ ही सामान्य थानों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों का अनुसंधान 60 दिनों में पूर्ण किया जाए।
डीजीपी ने मंगलवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन स्थित सभागार में आयोजित अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-संवेदीकरण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ये बातें कही। इस प्रशिक्षण-सह-संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन सीआईडी (कमजोर वर्ग) और बिहार सरकार के अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग ने संयुक्त रूप से किया।
इस मौके पर बिहार पुलिस के अपराध अनुसंधान विभाग (कमजोर वर्ग) के पुलिस महानिदेशक अमित कुमार जैन समेत राज्य के विभिन्न जिलों में तैनात अनुसूचित जाति-जनजाति थानों के थानाध्यक्षों के साथ वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
लापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्रवाई
बिहार के डीजीपी ने ये भी निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को लटकाए रखने वाले जांच अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा।
अभियुक्तों को सजा दिलाने की रफ्तार कम
डीजीपी ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में दोषियों को सजा दिलाने की गति में तेजी लायी जाए। बिहार में हर साल अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत औसतन 6 से 7 हजार केस दर्ज किए जाते हैं, लेकिन इन मामलों के अभियुक्तों को सजा दिलाने की रफ्तार कम है। पिछले साल यानी वर्ष 2023-24 में दर्ज मामलों में सजा दिलाने का औसत 10 प्रतिशत से भी कम रहा है।
सभी 40 पुलिस जिलों में एससी/एसटी थाना
उन्होंने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां सभी 40 पुलिस जिलों में अनुसूचित जाति-जनजाति थाने कार्यरत हैं। जबकि देश के विभिन्न राज्यों के महज 140 जिलों में ही अनुसूचित जाति-जनजाति थाने कार्यरत हैं। बिहार के सभी एससी/एसटी थानों में एससी/एसटी वर्ग से आने वाले अधिकारियों की ही तैनाती की गई है।
उन्होंने इन थानों के थानाध्यक्षों और एसडीपीओ को निर्देश दिया कि वे अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में सजा दिलाने की रफ्तार में तेजी लाएं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार के सभी जिलों में अनुसूचित जाति-जनजाति थानों के कार्यरत रहने के कारण यहां अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून के तहत दर्ज होने वाले मुकदमों की संख्या भी देश के अन्य राज्यों से अधिक है।
फर्जी मामलों की जांच कर तत्काल करें निपटारा
डीजीपी ने यह भी स्वीकार किया कि बिहार में अनुसूचित जाति-जनजाति थानों की संख्या अधिक होने के कारण यहां दर्ज होने वाले मामलों की संख्या भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। यहां अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत कई फर्जी मामले भी दर्ज कराए जाते हैं। उन्होंने मुकदमों की जांच से जुड़े अधिकारियों को ऐसे फर्जी मामलों की जांच कर उनका तत्काल निपटारा करने का भी निर्देश दिया ताकि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को फर्जी मुकदमों में फंसाने की साजिशों का पर्दाफाश किया जा सके।