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फाल्गुन अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए अति उत्तम मानी जाती है। इस दिन किए गए दान, स्नान, तर्पण और पूजा-अर्चना से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और देवों के देव महादेव की आराधना करने से तीन पीढ़ियों के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन अमावस्या 2025 तिथि एवं समय
2025 में फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को पड़ेगी। इस शुभ अवसर पर श्रद्धालु गंगा स्नान, दान-पुण्य और विशेष रूप से पितृ तर्पण करते हैं।
पितरों का तर्पण और महत्त्व
फाल्गुन अमावस्या पर पितरों को जल अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितरों का तर्पण करने के लिए व्यक्ति को नदियों या पवित्र जलाशयों में स्नान कर विधिपूर्वक तर्पण करना चाहिए। इस दौरान गंगा स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
गंगा स्तोत्र का पाठ
गंगा स्नान के दौरान गंगा स्तोत्र का पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है:
“नमः शिवायै गंगायै, शिवदायै नमो नमः।
नमस्ते विष्णु-रूपिण्यै, ब्रह्म-मूर्त्यै नमो’स्तु ते।।
पितृ कवच का पाठ
पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस दिन पितृ कवच का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है:
कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठै।
फाल्गुन अमावस्या पर करने योग्य कार्य
गंगा स्नान: इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
पितृ तर्पण: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल अर्पण और श्राद्ध कर्म करना लाभकारी होता है।
दान-पुण्य: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना चाहिए।
भगवान शिव की पूजा: इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गंगा स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ: इनका जाप करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
फाल्गुन अमावस्या आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक किए गए स्नान, दान, तर्पण, और पूजा से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो लोग पितृ दोष से परेशान हैं, उन्हें इस दिन विशेष रूप से तर्पण और जाप करना चाहिए।