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TDS/TCS नियमों में बड़ा बदलाव, टैक्स प्रक्रिया होगी पारदर्शी और आसान

नए आयकर विधेयक 2025 में शब्दों की संख्या आधी कर दी गई है, जहां 1961 के अधिनियम में 5.12 लाख शब्द थे, उसे नए विधेयक में घटाकर 2.6 लाख कर दिया गया है

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Feb 2025 10:41:04 AM IST

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income tax - फ़ोटो income tax

भारत सरकार ने आयकर विधेयक 2025 पेश किया है, जिसका उद्देश्य करदाताओं के लिए कर प्रक्रिया को सरल बनाना, मुकदमेबाजी को कम करना और अनुपालन को आसान बनाना है। यह नया विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 की तुलना में आधे आकार का होगा और इसे बेहद सरल और पारदर्शी बनाया गया है।


सबसे बड़ी राहत यह है कि नए नियम लागू होने के बाद आईटीआर दाखिल करना और टैक्स का भुगतान करना बेहद आसान हो जाएगा। नए आयकर विधेयक 2025 में शब्दों की संख्या आधी कर दी गई है, जहां 1961 के अधिनियम में 5.12 लाख शब्द थे, उसे नए विधेयक में घटाकर 2.6 लाख कर दिया गया है। धाराओं को कम किया गया है, पहले 819 धाराएं थीं, अब इसे घटाकर 536 कर दिया गया है। अध्यायों की संख्या भी कम कर दी गई है 47 अध्यायों को घटाकर 23 कर दिया गया है, जिससे कानून को समझना आसान हो जाएगा। 


टीडीएस/टीसीएस नियम सरल होंगे, सभी कर कटौती और स्रोत पर कर संग्रह (टीडीएस/टीसीएस) को सारणीबद्ध किया गया है। 900 से अधिक जटिल कानूनी स्पष्टीकरण हटा दिए गए हैं। जिससे मुकदमेबाजी के मामलों में कमी आएगी। कोई नया कर नहीं लगाया गया है।


सरकार ने स्पष्ट किया है कि न तो नई कर दरें लागू की जाएंगी और न ही कोई नया कर जोड़ा जाएगा। इससे करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने में आसानी होगी: वेतन, ग्रेच्युटी, पेंशन, वीआरएस जैसी कर छूट अब एक ही अध्याय में शामिल हैं। मुकदमेबाजी से राहत मिली है। कर कानूनों को इतना सरल बनाया गया है कि अदालतों में कर विवादों के मामले कम हो जाएंगे। कर अनुपालन को डिजिटल और तेज किया गया है, जिससे कर दाखिल करने में कम कागजी कार्रवाई की आवश्यकता होगी।


गैर-लाभकारी संगठनों को राहत दी गई है। अब सरकार के साथ बेहतर समन्वय के लिए उनके नियमों को सरल बनाया गया है। कोई नया कर बोझ नहीं लाया गया है। मौजूदा कर ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे करदाताओं को राहत मिले। आयकर विधेयक 2025 को लोकसभा की प्रवर समिति को भेजा गया है, जो 10 मार्च 2025 तक अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद इसे संसद में पारित किया जाएगा और अगले वित्तीय वर्ष तक इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।