Bihar News: गलत इंजेक्शन देने से महिला मरीज की मौत, हंगामे के बाद गांव छोड़कर फरार हुआ झोलाछाप डॉक्टर

Bihar News: सुपौल के त्रिवेणीगंज में झोलाछाप डॉक्टर द्वारा दिए गए गलत इंजेक्शन से 45 वर्षीय महिला सरिता देवी की मौत हो गई। घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।

1st Bihar Published by: SANT SAROJ Updated Sat, 13 Dec 2025 03:37:59 PM IST

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प्रतिकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: सुपौल के त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के लतौना वार्ड 19 निपनिया में शनिवार को झोलाछाप डॉक्टर द्वारा दिए गए गलत इंजेक्शन से एक महिला की मौत हो जाने का मामला सामने आया है। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।


मृतका की पहचान स्थानीय निवासी जनार्दन यादव की 45 वर्षीय पत्नी सरिता देवी के रूप में की गई है। बताया जा रहा है कि सरिता देवी शुक्रवार को घर में काम करने के दौरान फिसल गई थीं, जिससे उन्हें कमर में मामूली चोट लग गई थी। शुरुआत में चोट गंभीर नहीं लग रही थी,लेकिन शनिवार सुबह कमर में दर्द बढ़ जाने पर परिजनों ने पास के ही गांव के झोलाछाप डॉक्टर ललन कुमार यादव को बुलाया। 


डॉक्टर ने घर पहुंचकर सरिता देवी को दर्द से राहत दिलाने के नाम पर एक इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगते ही सरिता देवी की हालत अचानक बिगड़ गई। परिजनों का कहना है कि इंजेक्शन के कुछ ही क्षण बाद उनके मुंह से झाग निकलने लगा और शरीर में हलचल बंद होने लगी। स्थिति बिगड़ती देख झोलाछाप डॉक्टर और परिजन आनन-फानन में उन्हें लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे। अस्पताल पहुंचने पर ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ उमेश कुमार मंडल ने जांच के बाद महिला को मृत घोषित कर दिया। 


डॉक्टर के अनुसार, सरिता देवी को अस्पताल लाए जाने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। जब परिजनों और वहां मौजूद झोलाछाप डॉक्टर से कारण के बारे में पूछा गया तो झोलाछाप डॉक्टर ने बताया कि जेंटामायसिन इंजेक्शन दिया था,जिसके बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई। परिजनों का आरोप है कि जैसे ही झोलाछाप डॉक्टर को यह एहसास हुआ कि महिला की मौत हो चुकी है,वह अस्पताल में मरीज को छोड़कर तुरंत वहां से फरार हो गया। 


घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दी गई थी,परिजनों ने घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दी लेकिन पुलिस के अस्पताल पहुंचने का इंतजार किए बिना ही परिजन मृतका के शव को लेकर घर लौट गए। शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया,जिससे पूरे मामले पर कई सवाल खड़े हो गए हैं वहीं इस घटना ने एक बार फिर क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की सक्रियता और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। ग्रामीण इलाकों में योग्य चिकित्सकों की कमी और सस्ते इलाज के लालच में लोग ऐसे अवैध चिकित्सकों के पास जाने को मजबूर हैं,जिसका खामियाजा कभी-कभी जान देकर चुकाना पड़ता है।


फिलहाल, बिना पोस्टमार्टम के शव घर ले जाने के कारण मामले की कानूनी जांच को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कोई शिकायत करेगा तो ही आगे की कार्रवाई की जाएगी, ऐसे ही पोस्टमार्टम कैसे होगा,पीड़ित परिजन की ओर से किसी प्रकार की कोई शिकायत भी नहीं की गई है और न ही किसी के द्वारा कुछ कहा गया है।