BIHAR: हिंदू स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ताओं ने NDA उम्मीदवार को खदेड़ा, दिखाया काला झंडा CBSE Board Exam 2026: CBSE 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम की फाइनल डेटशीट जारी, दो बार होगी दसवीं की परीक्षा CBSE Board Exam 2026: CBSE 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम की फाइनल डेटशीट जारी, दो बार होगी दसवीं की परीक्षा Bihar Politics: ‘14 नवंबर को बिहार की जनता देगी जवाब’, युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला Bihar Politics: ‘14 नवंबर को बिहार की जनता देगी जवाब’, युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला Bihar Election 2025: गौराबौराम से VIP के संतोष सहनी महागठबंधन के उम्मीदवार घोषित, तेजस्वी यादव ने दिया जीत का आशीर्वाद Bihar Election 2025: गौराबौराम से VIP के संतोष सहनी महागठबंधन के उम्मीदवार घोषित, तेजस्वी यादव ने दिया जीत का आशीर्वाद Bihar Election 2025: बिहार में राजनीतिक रंजिश को लेकर मारपीट, ‘हाथी’ बनाम ‘लालटेन’ के विवाद को लेकर बवाल Test Cricket : टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार होगा बड़ा बदलाव, लंच और टी ब्रेक का क्रम बदला जाएगा; जानिए क्या है वजह Bihar Voter Service : चुनावी सहायता अब आसान, बीएलओ के साथ करें कॉल बुक, इस टोल फ्री नंबर पर हल होंगी सभी दुविधाएं
1st Bihar Published by: SANT SAROJ Updated Thu, 30 Oct 2025 08:26:00 PM IST
'वोट नहीं तो बिजली नहीं' - फ़ोटो सोशल मीडिया
SUPAUL: एक तरफ जहां नीतीश कुमार बिहार के लोगों को 125 यूनिट बिजली मुफ्त दे रही है। वही अब उनके ही मंत्री सरेआम बिजली काटने की धमकी दे रहे हैं। कह रहे हैं कि वोट नहीं देगा तो बिजली कटेगा।बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसकी पुष्टि फर्स्ट बिहार नहीं करता है।
वायरल वीडियो में मंत्री बिजेंन्द्र प्रसाद यादव क्षेत्र की जनता से कह रहे हैं कि जो वोट नहीं देगा उसका बिजली कटेगा। नीतीश कुमार के करीबी और बिहार के निवर्तमान ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव इन दिनों अपने एक बयान को लेकर विवादों में हैं। मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल विधानसभा सीट से एनडीए समर्थित जदयू प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं लेकिन जनसंपर्क के दौरान उन्हें जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मामला मरौना प्रखंड के कमरेल पंचायत अंतर्गत सिरखड़िया गांव की है। जहां ग्रामीणों ने मंत्री से कहा कि पहले सड़क दो,फिर वोट देंगे। इसी दौरान मंत्री का जो जवाब आया, वह अब चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि वोट नहीं दोगे, तो बिजली कनेक्शन काट देंगे।
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में अब तक सड़कों का निर्माण नहीं हुआ है। कई बार आवेदन देने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके विरोध में लोगों ने साफ तौर पर कह दिया कि जब तक सड़क नहीं बनेगी, वे वोट नहीं देंगे। मंत्री के इस बयान के बाद लोगों में नाराज़गी बढ़ गई है। इस पूरे वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर अब बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। बिहार सरकार के कद्दावर मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव को जनता के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। चुनावी माहौल के बीच मरौना प्रखंड के कमरेल गांव में ग्रामीणों ने मंत्री का बहिष्कार कर दिया और उन्हें गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह घटना उस समय हुई जब मंत्री आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार के सिलसिले में क्षेत्र का दौरा कर रहे थे। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसमें दर्जनों ग्रामीण ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ और ‘विकास के झूठे वादे अब नहीं चलेंगे’ जैसे नारे लगाते नजर आ रहे हैं। कई स्थानीय लोगों ने खुलेआम कहा कि वर्षों से वादा किया जा रहा है कि गांव में सड़क बनेगी, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिला है।
ग्रामीणों का आक्रोश फूटा
ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री बिजेंद्र यादव हर बार चुनाव से पहले गांव पहुंचकर वादे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद विकास योजनाएं हवा हो जाती हैं। कमरेल गांव के निवासी मनोज कुमार ने कहा, “हम लोगों ने हर बार भरोसा किया, लेकिन अब सब्र का बांध टूट गया है। हमारे बच्चे अब भी कीचड़ और धूल में चलकर स्कूल जाते हैं। बिजली और सड़क का सपना अब मज़ाक बन चुका है।” दूसरे ग्रामीण ललन विश्वकर्मा ने बताया कि मंत्री के आने की खबर मिलते ही गांव में बैठक हुई, और सभी ने तय किया कि इस बार बिना काम के वोट नहीं दिया जाएगा। “अब हमें भाषण नहीं चाहिए, केवल काम चाहिए। हमारे गांव की सड़क दशकों से टूटी है, बारिश में हालात और बदतर हो जाते हैं,” उन्होंने कहा।
मंत्री का काफिला लौटा
सूत्रों के अनुसार, जब मंत्री का काफिला कमरेल गांव में पहुंचा, तो ग्रामीणों ने पहले उन्हें काले झंडे दिखाए। इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गई। “रोड नहीं तो वोट नहीं”, “विकास चाहिए, वादा नहीं” जैसे नारों के बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया। विरोध प्रदर्शन बढ़ता देख मंत्री ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया और अपना काफिला गांव से वापस लौटा लिया। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि प्रशासन को जैसे ही इस विरोध की जानकारी मिली, पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। हालांकि स्थिति नियंत्रण में रही और किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं मिली।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
इस विरोध का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है। फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सैकड़ों लोगों ने इसे शेयर करते हुए कहा कि यह “जनता की वास्तविक नाराज़गी” का नज़ारा है। कई लोगों ने लिखा कि “विकास के नाम पर केवल घोषणाएं करने वाले नेताओं को अब जनता जवाब दे रही है।”वहीं जेडीयू समर्थक कुछ यूजर्स ने दावा किया कि यह विरोध विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित था। पार्टी के स्थानीय नेताओं का कहना है कि मंत्री ने क्षेत्र में कई विकास कार्य कराए हैं और कुछ योजनाएं अभी प्रक्रिया में हैं।
मंत्री के नजदीकी बोले — “राजनीतिक साज़िश”
मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के करीबी सूत्रों ने इस पूरे मामले को राजनीतिक साज़िश बताया है। उनका कहना है कि विपक्षी दल जनता को भड़का रहे हैं ताकि मंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। एक सहयोगी ने कहा, “बिजेंद्र यादव जी ने हमेशा विकास को प्राथमिकता दी है। मरौना और आस-पास के इलाकों में कई योजनाएं चल रही हैं। लेकिन कुछ असंतुष्ट लोग जानबूझकर विरोध का माहौल बना रहे हैं।” हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर योजनाएं सचमुच चल रही होतीं, तो गांव की हालत इतनी खराब नहीं होती। “यहां आज भी बारिश में सड़क तालाब बन जाती है, बच्चों को स्कूल जाने में मुश्किल होती है, और स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना एक चुनौती है,” एक महिला ग्रामीण ने बताया।
चुनावी समीकरण पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विरोध बिहार के चुनावी परिदृश्य में बड़ा संकेत है। सुपौल क्षेत्र में बिजेंद्र प्रसाद यादव को विश्वकर्मा समुदाय का प्रभावशाली नेता माना जाता है। ऐसे में जनता के इस रुख से जेडीयू को स्थानीय स्तर पर झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि “ग्राउंड पर नाराज़गी का असर वोटिंग पैटर्न पर ज़रूर दिखेगा। जनता अब सिर्फ वादों से नहीं, काम से प्रभावित होती है।”
प्रशासन ने दी सफाई
इस बीच जिला प्रशासन ने कहा है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि “घटना की जांच की जा रही है। किसी तरह की गड़बड़ी या हिंसक गतिविधि नहीं हुई है।” हालांकि, विरोध के इस घटनाक्रम ने सत्ता पक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आगामी चुनावी माहौल में यह प्रकरण विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे सकता है। फिलहाल, “रोड नहीं तो वोट नहीं” की यह गूंज पूरे सुपौल जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।