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CHAPRA: प्रशांत किशोर की पहल का असर: जेपी के पैतृक घर में बहाल हुई बिजली और शुरू हुई पानी की आपूर्ति

जेपी की धरती पर शुरू हुई प्रशांत किशोर की यह यात्रा न केवल बिहार के बदलाव का संदेश दे रही है, बल्कि प्रशासन को भी उसके कर्तव्यों की याद दिला रही है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 21 May 2025 03:26:36 PM IST

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PK की पहल का बड़ा असर - फ़ोटो google

CHAPRA: जन सुराज पार्टी (जसुपा) के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ‘बिहार बदलाव यात्रा’ की शुरुआत 20 मई को स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण (जेपी) की जन्मभूमि, सिताबदियारा से हुई। इस यात्रा के पहले ही दिन उन्होंने एक बड़ी प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया, जिसका सीधा असर अब दिखने लगा है।


जब प्रशांत किशोर जेपी के पैतृक आवास पर पहुंचे, तो उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि वहां पिछले एक साल से बिजली आपूर्ति बंद है। बिहार सरकार द्वारा ₹4 लाख का लंबित बिजली बिल जमा नहीं किये जाने के कारण बिजली काट दी गयी थी। एक तरफ सरकार जेपी को श्रद्धांजलि देती है, वहीं दूसरी ओर उनके पुश्तैनी घर की इस दुर्दशा ने प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया।


प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को मीडिया के सामने मजबूती से उठाया। उन्होंने सवाल किया कि जिस व्यक्ति ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी, उसके घर की ऐसी हालत क्यों है? उनकी इस पहल और मीडिया कवरेज के बाद प्रशासन हरकत में आया। 21 मई को ही बिजली विभाग ने जेपी के घर की बिजली आपूर्ति बहाल कर दी। सिताबदियारा के स्थानीय लोगों ने इसकी पुष्टि की और प्रशांत किशोर के प्रयासों की सराहना की।


इसके अलावा, गांव में जलस्तर गिरने के कारण पानी की आपूर्ति भी लंबे समय से बाधित थी। अब बिजली के साथ-साथ जलापूर्ति को भी बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहां नए पानी कनेक्शन लगाए जा रहे हैं ताकि जेपी के घर और आसपास के इलाकों में नियमित रूप से पानी मिल सके। गांव वालों का कहना है कि लंबे समय से वे इन समस्याओं को झेल रहे थे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। प्रशांत किशोर के आने के बाद जिस तेजी से बदलाव आया.


प्रशांत किशोर की यह यात्रा केवल राजनीतिक प्रचार नहीं, बल्कि बिहार की जमीनी हकीकत को उजागर करने की एक ठोस कोशिश भी बनती जा रही है। जेपी जैसे राष्ट्रीय नायक के घर की उपेक्षा को उन्होंने जिस तरह राष्ट्रीय मुद्दा बनाया, उससे यह स्पष्ट होता है कि वे केवल वादे नहीं, मुद्दों पर काम कर रहे हैं।


जेपी की धरती पर शुरू हुई प्रशांत किशोर की यह यात्रा न केवल बिहार के बदलाव का संदेश दे रही है, बल्कि प्रशासन को भी उसके कर्तव्यों की याद दिला रही है। प्रशांत किशोर की इस पहल से एक बार फिर यह साबित हुआ कि जनसरोकार के मुद्दों को जब ईमानदारी से उठाया जाए, तो व्यवस्था को भी झुकना पड़ता है।