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छपरा सदर अस्पताल में लापरवाही से नवजात की मौत, SNCU में नहीं मिला समय पर इलाज

छपरा सदर अस्पताल में भर्ती नहीं होने से नवजात की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप, SNCU में इलाज से वंचित रहा बच्चा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 23 Aug 2025 05:36:15 PM IST

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परिजनों में मचा कोहराम - फ़ोटो SOCIAL MEDIA

CHAPRA: छपरा सदर अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। जहां भर्ती नहीं होने के कारण एक नवजात बच्चे की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। घटना माझी थाना क्षेत्र के बहोरन सिंह टोला की है। जहां की रहने वाली सिंपल देवी ने समय से पहले एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चे की स्थिति गंभीर होने पर उसे मांझी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। वहां के डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए बच्चे को छपरा सदर अस्पताल के SNCU में रेफर कर दिया।


परिजनों के अनुसार, महिला जब नवजात को लेकर सदर अस्पताल पहुंची तो गार्ड और कर्मचारियों ने सीट खाली नहीं होने का हवाला देकर भर्ती करने से इनकार कर दिया। परिजन लगातार मिन्नत करते रहे, लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी। गार्ड ने कहा कि फिलहाल डॉक्टर मौजूद नहीं हैं, इसलिए बच्चे को किसी निजी नर्सिंग होम में भर्ती करा दें। डॉक्टर के आने के बाद भर्ती ले लिया जाएगा।


इसके बाद परिजन बच्चे को शहर के एक निजी नर्सिंग होम में ले गए। वहां करीब 8 से 10 दिनों तक इलाज चला और बच्चे की हालत में सुधार होने लगा। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण परिवार के पास आगे का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं बचे। ऐसे में वे फिर से बच्चे को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। भर्ती को लेकर लगातार भटकते रहे। 


परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में तीन दिनों तक उन्हें भर्ती नहीं किया गया और इलाज से वंचित रखा गया। अंततः इलाज के अभाव में नवजात ने दम तोड़ दिया। यह घटना अस्पताल परिसर में हुई, जिससे परिजन आक्रोशित हो उठे।


अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर कुमार ने कहा कि बच्चा 21 दिन का था और पहले किसी निजी नर्सिंग होम में इलाज चल रहा था। आज बच्चा गंभीर हालत में लाया गया था जिसकी मौत हो गई थी, इसलिए भर्ती नहीं किया जा सका। उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है।


इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेफर करने के बावजूद समय पर इलाज क्यों नहीं मिला? SNCU में सीट नहीं होने पर वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? गरीब मरीजों को सरकारी अस्पताल में भी इलाज के लिए भटकना क्यों पड़ता है? इन सवालों का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।