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बेलहा मुसहरी टोला में पूर्व विधायक ने किया भोजन, आजादी के 75 सालों बाद भी दलित बस्तियों में सड़क ना होना शर्मनाक: किशोर कुमार

उन्होंने कहा, “ये केवल एक टोले की नहीं, बल्कि देश की उस सच्चाई की झलक है, जहां आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और गरिमापूर्ण जीवन केवल योजनाओं की फाइलों में सिमट कर रह गया है।” इस टोले में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।

BIHAR

15-Apr-2025 10:10 PM

SAHARSA: आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी अगर किसी दलित बस्ती में सड़क, स्वच्छ पानी और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंची हैं, तो यह सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदना की गहरी कमी को दर्शाता है। अम्बेडकर जयंती के अवसर पर जन सुराज पार्टी के प्रदेश महासचिव एवं पूर्व विधायक किशोर कुमार ने सहरसा के बेलहा मुसहरी टोला का दौरा किया और इस कड़वी सच्चाई से रू-ब-रू हुए जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। पूर्व विधायक किशोर कुमार ने बेलहा मुसहरी टोला महादलित बस्ती में खाना खाया। 


जन सुराज पार्टी के प्रदेश महासचिव और पूर्व विधायक किशोर कुमार ने अम्बेडकर जयंती के अवसर पर सहरसा जिले के सौर बाजार प्रखंड अंतर्गत सुहथ पंचायत के बेलहा मुसहरी टोला का दौरा किया। यह टोला करीब 480 घरों और 900 की आबादी वाला है, जिसमें अनुसूचित जातियों के लोग वर्षों से उपेक्षित जीवन जी रहे हैं। किशोर कुमार ने बताया कि अम्बेडकर जयंती जैसे ऐतिहासिक अवसर पर जब उन्होंने टोले के लोगों से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में पूछा, तो चौंकाने वाली बात यह थी कि अधिकतर लोगों को उनका नाम तक नहीं पता था।


उन्होंने कहा, “ये केवल एक टोले की नहीं, बल्कि देश की उस सच्चाई की झलक है, जहां आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और गरिमापूर्ण जीवन केवल योजनाओं की फाइलों में सिमट कर रह गया है।” इस टोले में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। स्कूल हैं, लेकिन शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं। पूरे टोले में मुश्किल से एक व्यक्ति दसवीं पास मिला और वो भी बाबा साहब को नहीं पहचानता। बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे है। 


उन्होंने बताया कि सरकारी योजनाएं जैसे नल-जल योजना और इंदिरा आवास योजना भी केवल नाम की हैं। पानी गंदा है, अधिकतर घर अब भी फूस के हैं, और सड़क के नाम पर कीचड़ भरी पगडंडियां हैं, जो बरसात में लबालब भर जाती हैं। भूमिहीन और दिहाड़ी मजदूरों की यह बस्ती भात और कर्मी साग में गुज़र बसर करती है। पर्व-त्योहार में अगर आलू की सब्जी मिल जाए, तो वह लक्ज़री मानी जाती है।


किशोर कुमार ने इस अम्बेडकर जयंती पर लोगों के बीच जाकर उन्हें संविधान, अधिकार और बाबा साहब के विचारों से अवगत कराया और उनके साथ बैठकर भोजन किया। उन्होंने कहा, “जब देश अमृत महोत्सव मना रहा है, तो क्या ये महोत्सव उनके लिए भी है जिनके लिए आज भी दो वक्त की रोटी और शिक्षा सपना है?” उन्होंने सरकार से यह भी अपील की कि महज जयंती मनाने की औपचारिकता से आगे बढ़कर, दलितों और पिछड़ों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। जन सुराज पार्टी समाज के अंतिम व्यक्ति तक संविधान की चेतना और अधिकार पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। बाबा साहब के विचारों को जमीनी स्तर तक पहुँचाना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।