मोतिहारी: शराब के नशे में थाना पहुंचे पंचायत समिति सदस्य गिरफ्तार, आरोपी का पैरवी करना पड़ गया महंगा

मोतिहारी के पिपरा थाना में आरोपी की पैरवी करने पहुँचे पंचायत समिति सदस्य को शराब के नशे में हंगामा करना भारी पड़ा। मेडिकल जांच में पुष्टि के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 29 Dec 2025 08:24:19 PM IST

bihar

क्या यही शराबबंदी है? - फ़ोटो REPORTER

MOTIHARI: मोतिहारी जिले के पिपरा थाना क्षेत्र में शराबबंदी कानून को लेकर पुलिस ने एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। शराब के नशे में धुत होकर थाना पहुँचे पंचायत समिति सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। यह कार्रवाई उस समय हुई जब वह एक आरोपी की पैरवी करने थाने पहुंचे थे।


मिली जानकारी के अनुसार, पिपरा थानाध्यक्ष अंजन कुमार ने हत्या के प्रयास के एक मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर थाने लाया था। आरोपी से पूछताछ और कानूनी प्रक्रिया जारी थी, तभी विशुनपुरा पंचायत के पंचायत समिति सदस्य मनीष कुमार शराब के नशे में थाने पहुँच गए। बताया जा रहा है कि वह गिरफ्तार आरोपी को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे।


प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, थाने पहुँचते ही पंचायत समिति सदस्य ने नशे की हालत में पुलिस कर्मियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने खुद को जनप्रतिनिधि बताते हुए आरोपी को छोड़ने की मांग की और उनका व्यवहार व भाषा भी आपत्तिजनक बताई जा रही है।


मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाध्यक्ष अंजन कुमार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पंचायत समिति सदस्य को हिरासत में ले लिया और मेडिकल जांच के लिए भेजा। मेडिकल रिपोर्ट में शराब सेवन की पुष्टि होने के बाद उनके खिलाफ नियमानुसार केस दर्ज किया गया। इसके बाद वरीय अधिकारियों को भी पूरे मामले की जानकारी दी गई।


पुलिस ने स्पष्ट किया कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है और कानून सभी के लिए समान है, चाहे वह आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि। शराब के नशे में थाना आने और पुलिस पर दबाव बनाने को गंभीर अपराध मानते हुए पंचायत समिति सदस्य मनीष कुमार को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।


इस घटना के बाद इलाके में चर्चा का माहौल है। स्थानीय लोग पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं और इसे कानून के राज का उदाहरण बता रहे हैं। वहीं, यह मामला जनप्रतिनिधियों के आचरण और जिम्मेदारी को लेकर भी सवाल खड़े कर रहा है।

सोहराब आलम की रिपोर्ट