1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 30 Jun 2025 02:02:32 PM IST
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Bihar News: उत्तरप्रदेश के इटावा जिले में कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव के साथ कथित दुर्व्यवहार की घटना का असर अब बिहार तक देखने को मिल रहा है। पूर्वी चंपारण जिले के आदापुर थाना क्षेत्र के टिकुलिया गांव में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जहां गांव के प्रवेशद्वार और बिजली के खंभों पर ऐसे बोर्ड और संदेश लगाए गए हैं, जिनमें ब्राह्मण पुजारियों के पूजा-पाठ पर रोक की बात कही गई है।
दरअसल, बोर्ड में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि “इस गांव में ब्राह्मणों द्वारा पूजा-पाठ कराना सख्त मना है, पकड़े जाने पर दंड भुगतना होगा।” गांव के हर मुख्य स्थान, विशेषकर बिजली के पोलों पर, इसी आशय की चेतावनी लिखी गई है। इससे स्थानीय स्तर पर तनाव का माहौल बन गया है और यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन के संज्ञान में आया।
हालांकि, गांव के कुछ युवाओं ने मीडिया से बातचीत में सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी जाति विशेष का अपमान नहीं है। उनका कहना है कि वे उन कथित ब्राह्मणों का विरोध कर रहे हैं जो वेद-शास्त्रों का ज्ञान नहीं रखते और मांस-मदिरा का सेवन करते हैं। उनका दावा है कि यदि कोई व्यक्ति चाहे वह किसी भी जाति का हो, यदि उसे वेद, धर्म और संस्कारों का ज्ञान है, तो उसे पूजा-पाठ कराने की अनुमति दी जाएगी।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब उत्तरप्रदेश के इटावा में कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव के साथ जातिगत दुर्व्यवहार का मामला सामने आया। इस घटना के बाद देशभर में यह बहस छिड़ गई कि पूजा-पाठ का अधिकार केवल किसी एक जाति तक सीमित है या नहीं। इसी बहस के बीच टिकुलिया गांव की यह घटना सामने आई है, जिसने एक बार फिर सामाजिक समरसता और धार्मिक अधिकारों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए आदापुर थाने की पुलिस टीम गांव पहुंची और तत्काल प्रभाव से बोर्ड हटवा दिए गए। थानाध्यक्ष धर्मवीर चौधरी ने मीडिया को बताया कि बिजली के पोल पर लिखे संदेशों को भी मिटा दिया गया है और जिन लोगों ने यह बोर्ड लगाए हैं, उनकी पहचान की जा रही है। प्रारंभिक जांच में इस मामले में एक स्थानीय यूट्यूबर का नाम भी सामने आया है, जिसकी भूमिका की जांच की जा रही है।
पुलिस ने संकेत दिया है कि इस तरह के बोर्ड लगाना और सार्वजनिक स्थलों पर इस प्रकार की चेतावनी देना कानून व्यवस्था के लिए खतरा है और इससे सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित हो सकता है। यदि आवश्यक हुआ तो आईटी एक्ट और अन्य प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला केवल धार्मिक अधिकारों से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक चेतना और समरसता की परीक्षा भी है। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि धर्म, संस्कृति और पूजा किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत श्रद्धा का विषय है, न कि जातिगत पहचान का। वहीं प्रशासन के लिए यह चुनौती है कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष और संतुलित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए ताकि किसी वर्ग को ना तो अपमानित महसूस हो और ना ही कानून का उल्लंघन हो।