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prashant kishor : झूठे हैं प्रशांत किशोर .... ! जिला प्रशासन ने किया बड़ा खुलासा, कहा -नहीं गए थे जेल, राजनीतिक फायदे के लिए फैला रहे अफवाह

prashant kishor : प्रशांत किशोर ने कहा था कि उन्हें बेऊर जेल ले जाया गया था लेकिन कागजात नहीं होने की वजह से उन्हें छोड़ दिया गया था। जिला प्रशासन ने अब इस मामले का सच बताया है

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 08 Jan 2025 09:36:44 AM IST

 prashant kishor

prashant kishor - फ़ोटो google

prashant kishor : प्रशांत किशोर झूठ बोलते हैं ? क्या प्रशांत किशोर जानबूझकर अपना इमेज बनाना चाहते हैं? क्या प्रशांत किशोर छात्रों के मुद्दे को लेकर सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं ? यह सवाल हम नहीं बल्कि अब बिहार की जनता कर रही और उसके पीछे की वजह है कि पटना जिला प्रशासन ने जन सुराज के सर्वेसर्वा को लेकर बड़ा खुलासा किया है।


दरअसल, पटना में BPSC छात्रों के मुद्दे पर आमरण अनशन करने वाले प्रशांत किशोर के दावे के बाद अब पटना पुलिस ने जो दावे किए हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं। इसके बाद अब कई लोगों द्वारा यह कहा जाना शुरू कर दिया गया है कि पीके सबसे बड़े झूठे हैं और अब हर चीज़ सिर्फ झूठ बोलते हैं। पहले उन्होंने कंबल बांटने का झूठ कहा और उसके बाद अब जेल जाने का झूठ बोल रहे हैं। 


मालूम हो किप्रशांत किशोर ने दावा किया था कि उन्हेंं बेउर जेल ले जाया गया था। लेकिनअब प्रशासन का कहना है कि उन्हें बेऊर जेल नहीं बल्कि बेऊर थाने में ले जाया गया था। जिला प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि आखिर प्रशांत किशोर को बेऊर थाने में क्यों ले जाया गया था। पटना जिला प्रशासन ने बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह भी बताया है कि प्रशांत किशोर को 25 हजार के निजी मुचलके पर रिहा किया गया था।


जिला प्रशासन की तरफ से साफ किया गया है कि चूकि कोर्ट में अत्यधिक भीड़ थी इसलिए उन्हें वहां से हटा कर बेऊर जरूर ले जाया गया था लेकिन बेऊर जेल नहीं बल्कि बेउर थाने में ले जाया गया था। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्रशांत किशोर को वहां से हटाकर बेऊर थाने में रखा था और वहां इंतजार किया जा रहा था कि कोर्ट का अंतिम फैसला क्या आता है?


पटना जिला प्रशासन की तरफ से  कहा गया है कि कोर्ट द्वारा आदेश प्राप्त होने तथा आरोपी द्वारा जमानत भरे जाने के बाद निहित प्रक्रिया के तहत पीके को रिहा किया गया है। जबकि प्रशांत किशोर ने कहा था कि उन्हें बेऊर जेल ले जाया गया था लेकिन कागजात नहीं होने की वजह से उन्हें छोड़ दिया गया था। जिला प्रशासन ने यह भी कहा है कि राजनीतिक फायदे के लिए अफवाह फैला गया है।


इधर, प्रशांत किशोर ने रिहाई के बाद मीडिया के सामने जिला प्रशासन पर सवाल उठाया था कि बिना पेपर उनको कैसे बेऊर ले जाया गया और ऐसा करने वालों पर क्या ऐक्शन होगा। माना जाता है कि पुलिस ने इस मसले पर अपनी स्थिति साफ करने के लिए बयान जारी किया है। जमानत थाने से मिले या कोर्ट से, एक बार गिरफ्तार आरोपी को निजी मुचलका भरना ही होता है। चूंकि पुलिस ने पीके को कोर्ट में पेश किया था, इसलिए कोर्ट का आदेश आने के बाद 25 हजार रूपये का निजी मुचलका (Personal Bond) लेकर छोड़ा गया। 


गौरतलब हो कि इससे पहले यह खबर सामने आई थी कि प्रशांत किशोर द्वारा बॉन्ड नहीं भरने के कारण शाम 4 बजे के बाद पुलिस उन्हें लेकर कोर्ट से बेऊर जेल के लिए निकल गई। गांधी मैदान के थानेदार कस्टडी वारंट लेने के लिए कोर्ट परिसर में रुके रहे। शाम में प्रशांत किशोर के अधिवक्ता के आग्रह पर कोर्ट ने शर्त हटा ली। तबतक वह बेऊर जेल परिसर में पहुंच गए थे। इसकी सूचना प्रशांत किशोर को दी गई तब जाकर उन्होंने बॉन्ड दाखिल करने की सहमति दी। जेल परिसर से उन्हें बेऊर थाना लाया गया, जहां बॉन्ड दाखिल करने के बाद शाम 7 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया।