Tejashwi Yadav : करारी हार के बाद RJD में बवाल,समीक्षा बैठक में तेजस्वी यादव को ‘दरवाज़े खोलने’ की नसीहत; बड़े एक्शन के संकेत

Tejashwi Yadav : बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद आरजेडी में मंथन तेज हो गया है। समीक्षा बैठक में नेताओं ने बग़ी कार्यकर्ताओं की सूची सौंपी और तेजस्वी यादव को ‘दरवाज़े खोलने’ की नसीहत दी, बड़े एक्शन के संकेत मिले।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 10 Dec 2025 07:50:28 AM IST

Tejashwi Yadav : करारी हार के बाद RJD में बवाल,समीक्षा बैठक में तेजस्वी यादव को ‘दरवाज़े खोलने’ की नसीहत; बड़े एक्शन के संकेत

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Tejashwi Yadav : बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पूरी तरह आत्ममंथन के मोड में आ गई है। पार्टी के भीतर जिस बेचैनी और असंतोष की चर्चाएँ पिछले कई हफ्तों से दबे स्वर में चल रही थीं, अब वे खुलकर सामने आने लगी हैं। पटना में आयोजित समीक्षा बैठकों में जिस बेबाकी से नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी, उसने साफ संकेत दे दिया है कि आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। संगठन में सियासी अनुशासन बहाल करने को लेकर पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव गंभीर हैं, और माना जा रहा है कि इस बार कार्रवाई सिर्फ औपचारिक नहीं बल्कि कठोर होगी।


बग़ियों की सूची सौंपते ही बढ़ा सियासी तापमान

समीक्षा बैठक में जिला अध्यक्षों और शीर्ष पदाधिकारियों ने उन नेताओं की पूरी सूची प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल के हाथों में सौंप दी, जिन्होंने चुनावी दौर में पार्टी के खिलाफ काम किया। इन नेताओं को ‘बग़ी’ के तौर पर चिन्हित किया गया है। पार्टी के भीतर चर्चा है कि दर्जनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है। कुछ पर निलंबन, कुछ पर संगठन से निष्कासन और कुछ को लंबे समय तक हाशिये पर भेजने का विकल्प पार्टी नेतृत्व के सामने है। यह सियासी कदम सिर्फ संगठनात्मक सुधार नहीं, बल्कि संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है कि आरजेडी अब अनुशासनहीनता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।


तेजस्वी यादव को ‘दरवाज़े खोलने’ की नसीहत

बैठक में कई कार्यकर्ताओं ने खुलकर शिकायत की कि चुनाव से पहले और बाद में शीर्ष नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया था। नेताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव को अपने दरवाज़े और दिल दोनों पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए खोलने होंगे। एक वरिष्ठ नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा— “पार्टी तभी मजबूत होगी जब तेजस्वी सिर्फ ए-टू-ज़ेड की राजनीति नहीं, बल्कि ए-टू-ज़ेड कार्यकर्ताओं की आवाज़ भी सुनेंगे।”इस टिप्पणी का सीधा अर्थ यह है कि आरजेडी में संवादहीनता बढ़ी है और यह हार का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।


ए-टू-ज़ेड फार्मूले पर उठे सवाल

तेजस्वी यादव का ‘ए-टू-ज़ेड’ यानी सभी सामाजिक वर्गों को साथ लेने का राजनीतिक फार्मूला पार्टी में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। समीक्षा बैठक में इसे लेकर भी सवाल उठे। कई नेताओं ने कहा कि 90 फ़ीसदी बहुसंख्यक सामाजिक आधार को दरकिनार कर, और अतिपिछड़ों व अल्पसंख्यकों के मुद्दों में खुद को शामिल किए बिना आरजेडी की पकड़ कमजोर होती जा रही है।नेताओं का यह भी मानना है कि चुनाव के दौरान कुछ स्थानों पर जातीय उन्माद भड़काने वाले गाने बजाए गए, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हुई और विरोधी इसे मुद्दा बनाने में सफल रहे। यह कदम हार का एक बड़ा कारण माना गया।


गरीब कार्यकर्ताओं की लड़ाई और आर्थिक सवाल

बैठक का एक अहम मुद्दा यह भी रहा कि गरीब और जमीनी कार्यकर्ता चुनाव कैसे लड़ें? कई नेताओं ने सवाल किया कि क्या पार्टी कम-से-कम दस गरीब उम्मीदवारों को अपने खर्चे पर चुनाव लड़वा सकती है? यह सवाल संगठन की आर्थिक और नैतिक प्रतिबद्धता पर सीधा प्रहार था। कार्यकर्ताओं का कहना था कि टिकट तो दे दिए जाते हैं, लेकिन संसाधनों के अभाव में कई मजबूत उम्मीदवार मैदान में टिक ही नहीं पाते।


पटना संगठन की कमजोरी पर नाराज़गी

कई नेताओं ने पटना जिले के संगठन को सबसे कमजोर कड़ी बताया। उनका कहना था कि राजधानी में पार्टी की पकड़ कमजोर होने का सीधा असर पूरे राज्य की राजनीतिक रणनीति पर पड़ा।इस दौरान हरियाणा के कुछ लोगों की अचानक बढ़ती भूमिका पर भी सवाल उठे। कार्यकर्ताओं का सीधा तर्क था कि बाहरी प्रभाव से संगठन असंतुलित हो रहा है और स्थानीय नेतृत्व को दरकिनार किया जा रहा है।


कुल मिलाकर आरजेडी की समीक्षा बैठक सिर्फ आत्ममंथन नहीं बल्कि कार्रवाई की ओर बढ़ता हुआ संकेत है। पार्टी में यह साफ संदेश जा चुका है कि या तो सियासी अनुशासन मजबूत होगा, या फिर संगठन में टूटन की स्थिति पैदा हो सकती है।चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब पार्टी नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—संगठन को फिर से एकजुट करना, संवाद बढ़ाना और उन कारणों को दूर करना जिनकी वजह से पार्टी का जनाधार कमजोर हुआ।आने वाले दिनों में आरजेडी कौन–कौन से कदम उठाती है, इससे पार्टी की भविष्य की दिशा और गति तय होगी।