मुंगेर में सरकारी स्कूलों में सेंट्रल किचन मॉडल से मध्यान्ह भोजन की नई व्यवस्था, जानिए क्या है ख़ास

मुंगेर में 36 सरकारी स्कूलों में सेंट्रल किचन मॉडल से स्वादिष्ट और पौष्टिक मध्यान्ह भोजन शुरू, शिक्षकों को जिम्मेदारी से मुक्ति मिली।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Dec 2025 12:16:37 PM IST

मुंगेर में सरकारी स्कूलों में सेंट्रल किचन मॉडल से मध्यान्ह भोजन की नई व्यवस्था, जानिए क्या है ख़ास

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मुंगेर जिले के जमालपुर शहरी क्षेत्र में शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था में बड़ा सुधार किया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एनजीओ संचालित सेंट्रल किचन मॉडल लागू किया गया है, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और ताज़ा भोजन उपलब्ध हो रहा है। इसके साथ ही शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी से पूरी तरह मुक्ति मिल गई है।


जमालपुर नगर क्षेत्र के 36 सरकारी स्कूलों में गुरुवार से इस नई व्यवस्था को लागू किया गया। प्रतिदिन तय मेन्यू के अनुसार बड़े वाहनों से भोजन सीधे स्कूलों तक पहुँचाया जाता है। जिला शिक्षा पदाधिकारी कुणाल गौरव ने बताया कि नई व्यवस्था से न केवल भोजन की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि शिक्षक और प्रधानाध्यापक अब पढ़ाई पर पूरी तरह ध्यान दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को पौष्टिक और स्वच्छ भोजन मिलना उनकी शिक्षा के लिए बेहद जरूरी है।


सफियाबाद के पास बने इस अत्याधुनिक सेंट्रल किचन प्लांट का संचालन ब्लेसिंग सोसाइटी को सौंपा गया है। संस्था के प्रतिनिधि संजय के अनुसार प्लांट में बड़े स्टीम बेस्ड कुकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे भोजन पूरी तरह स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बनता है। संजय ने बताया कि इस प्लांट में एक साथ 40 हजार बच्चों के लिए भोजन बनाने की क्षमता है। फिलहाल लगभग 4200 बच्चों के लिए 36 स्कूलों में भोजन यहीं से सप्लाई किया जा रहा है।


जब मीडिया टीम टोली मंडल बालिका विद्यालय पहुँची, तो वहां पढ़ाई कर रही छात्राओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। माही राज ने बताया कि अब उन्हें स्कूल में मिलने वाला खाना बहुत स्वादिष्ट और ताज़ा लगता है। रागिनी ने कहा कि पहले के मुकाबले अब भोजन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। बच्चों और उनके अभिभावकों ने भी इस नई व्यवस्था को लेकर संतोष जताया और इसे शिक्षा विभाग की एक सकारात्मक पहल बताया।


जिला शिक्षा पदाधिकारी कुणाल गौरव ने आगे कहा कि नई व्यवस्था के तहत हर स्कूल में भोजन समय पर पहुँचाने और उचित तापमान में उपलब्ध कराने का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है और भविष्य में पूरे जिले में इसे विस्तारित किया जा सकता है।


शिक्षकों के अनुसार अब उन्हें मध्यान्ह भोजन की तैयारी और वितरण की जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ रही, जिससे वे बच्चों की पढ़ाई और शैक्षणिक गतिविधियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। प्रधानाध्यापकों ने भी कहा कि नई व्यवस्था से स्कूल प्रशासन का कार्यभार कम हुआ है और बच्चों को संतोषजनक भोजन मिल रहा है।