Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: 10 हज़ार के बाद अब 2 लाख रुपए भेजने की तैयारी, इन महिलाओं के खाते में सबसे पहले आएंगे पैसे

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, जिसे ‘10 हजारी योजना’ के नाम से भी जाना जाता है, राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत महिलाओं को बिना वापसी की शर्त 10 हजार रुपये की प

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 31 Dec 2025 08:17:53 AM IST

Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: 10 हज़ार के बाद अब 2 लाख रुपए भेजने की तैयारी, इन महिलाओं के खाते में सबसे पहले आएंगे पैसे

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Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana : बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, जिसे आमतौर पर ‘10 हजारी योजना’ के नाम से जाना जाता है, राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही है। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को बिना वापसी की शर्त के 10 हजार रुपये की प्रारंभिक सहायता दी जा रही है, ताकि वे अपना छोटा-मोटा रोजगार शुरू कर सकें। अब योजना अपने दूसरे चरण में प्रवेश करने जा रही है, जहां लाभार्थियों द्वारा किए जा रहे कार्यों का मूल्यांकन कर उन्हें अधिकतम 2.10 लाख रुपये तक की अतिरिक्त राशि दी जाएगी।


जीविका (बिहार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन) द्वारा क्रियान्वित इस योजना का लाभ ग्रामीण और शहरी—दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को मिल रहा है। जीविका के अधिकारियों के अनुसार, योजना से लाभान्वित होने वाली महिलाओं की संख्या करीब दो करोड़ तक पहुंच सकती है। अब तक प्राप्त आवेदनों की संख्या 1.90 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जिनमें से 1.44 करोड़ महिलाओं को 10-10 हजार रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है।


आवेदन की समयसीमा और बढ़ती भागीदारी

10 हजारी योजना के अंतर्गत आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाई गई थी। इस अवधि के दौरान दिसंबर महीने में ही 23 लाख से अधिक नए आवेदन प्राप्त हुए। इन आवेदनों की छंटनी कर पात्र महिलाओं को जल्द ही राशि का भुगतान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 10 हजार रुपये की यह पहली किस्त अनुदान है, जिसे वापस नहीं करना होता।


दूसरा चरण: मूल्यांकन और अतिरिक्त सहायता

योजना का असली उद्देश्य इसके दूसरे पड़ाव में सामने आएगा। पहली किस्त से शुरू किए गए कार्यों—जैसे छोटी दुकान, सिलाई-कढ़ाई, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण या अन्य स्वरोजगार—का मैदानी सर्वे और मूल्यांकन किया जाएगा। जिन महिलाओं का कारोबार आगे बढ़ाने योग्य पाया जाएगा, उन्हें काम के स्तर और संभावनाओं के अनुसार अतिरिक्त राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस चरण में 2.10 लाख रुपये तक की सहायता देने की घोषणा की है, लेकिन यह राशि सभी को समान रूप से नहीं मिलेगी। जीविका द्वारा तय मानकों के आधार पर ही भुगतान की मात्रा निर्धारित होगी।यह अतिरिक्त राशि वापसी की शर्त के साथ होगी, ताकि कारोबार को स्थायी और जिम्मेदार तरीके से आगे बढ़ाया जा सके। भुगतान और वापसी की प्रक्रिया को लेकर नियमावली तैयार की जा रही है।


शहरी क्षेत्र और तकनीकी गड़बड़ी

योजना की शुरुआत में यह केवल ग्रामीण महिलाओं तक सीमित थी, लेकिन बाद में शहरी महिलाओं को भी इसके दायरे में शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों से अब तक 18 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, हालांकि तकनीकी कारणों से वहां पहली किस्त का भुगतान अभी शुरू नहीं हो पाया है। इसी दौरान एक तकनीकी गड़बड़ी के कारण 470 दिव्यांग पुरुषों के खातों में भी 10 हजार रुपये ट्रांसफर हो गए। जीविका सूत्रों के मुताबिक, उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। चूंकि उनके परिवारों की महिलाओं ने भी आवेदन किया है, पात्रता पूरी होने पर यह राशि समायोजित कर ली जाएगी।


व्यापक सामाजिक प्रभाव

बिहार में करीब 2.7 करोड़ परिवार हैं, जिनमें से 21 लाख से कुछ अधिक करदाता हैं। इसके अलावा सरकारी सेवक और शहरी क्षेत्रों के कई परिवार इस योजना के दायरे में नहीं आते। इस आधार पर जीविका का आकलन है कि करीब दो करोड़ महिलाएं इस योजना के लिए वास्तविक लाभार्थी हो सकती हैं।


योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि महिलाओं को स्थायी रोजगार और उद्यमिता की ओर प्रेरित करना है। दूसरे चरण में जब कारोबार को विस्तार मिलेगा, तभी इस योजना की सफलता का वास्तविक मूल्यांकन संभव होगा। यही वह दौर होगा जब जीविका की योग्यता, दक्षता और फील्ड स्तर की निगरानी भी परखी जाएगी।


स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का पहला चरण महिलाओं को शुरुआती संबल देने का माध्यम है, जबकि दूसरा चरण उन्हें स्थायी उद्यमी बनाने की दिशा में निर्णायक साबित होगा। कारोबार के दावे और सर्वेक्षण के आधार पर तय होने वाली राशि एक समान नहीं होगी, लेकिन यह 2.10 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी। यदि योजना अपने लक्ष्यों पर खरी उतरती है, तो यह बिहार में महिला सशक्तिकरण और रोजगार सृजन की एक मिसाल बन सकती है।