दरअसल, दीक्षांत परेड के निरीक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुली जीप में सवार होने वाले थे। परंपरा के अनुसार उनके साथ केवल पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीप में मौजूद थे। जैसे ही मुख्यमंत्री जीप की ओर बढ़े, उनकी नजर मंच पर बैठे मंत्रियों पर पड़ी। तभी उन्होंने सहज भाव से मंच की ओर देखते हुए कहा, “भाई, आप लोग भी आइए।” मुख्यमंत्री का यह संबोधन पूरी तरह अनौपचारिक और आत्मीय था, जिसने वहां मौजूद अधिकारियों और दर्शकों का ध्यान खींच लिया।
मुख्यमंत्री ने मंच पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा, “जी, आप लोग भी आइए। आप लोग आते क्यों नहीं हैं, आइए जी।” मुख्यमंत्री के इस आमंत्रण के बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जीप की ओर बढ़ने लगे। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी भी मुख्यमंत्री के साथ जीप में सवार हो गए।
हालांकि, इस दौरान एक दिलचस्प स्थिति तब बनी जब ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार मंच पर ही रहे। मुख्यमंत्री ने उन्हें भी इशारा करते हुए कहा कि आप भी आइए, लेकिन श्रवण कुमार ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए जीप पर सवार होना उचित नहीं समझा। उन्होंने मंच पर ही रहना बेहतर समझा। अंततः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खुली जीप में केवल उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और मंत्री विजय कुमार चौधरी ही सवार हुए।
इस पूरे घटनाक्रम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व शैली को एक बार फिर सामने रखा। वे अक्सर औपचारिकताओं से इतर मानवीय और सहज व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। कार्यक्रम के दौरान उनका यह अंदाज़ न केवल मंत्रियों बल्कि प्रशिक्षु दरोगाओं और उपस्थित लोगों के लिए भी प्रेरणादायक रहा। इससे यह संदेश भी गया कि मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं और अवसर आने पर उन्हें बराबरी का सम्मान देने से नहीं हिचकते।
दीक्षांत परेड समारोह में मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षु दरोगाओं को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस बल लोकतंत्र की रीढ़ है और समाज में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उसी पर होती है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान जो अनुशासन, ईमानदारी और सेवा भावना सिखाई गई है, उसे अपने पूरे कार्यकाल में बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि नए दरोगा बिहार पुलिस की छवि को और मजबूत करेंगे।
कार्यक्रम में बिहार पुलिस अकादमी के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशासनिक पदाधिकारी और बड़ी संख्या में प्रशिक्षु दरोगा उपस्थित थे। परेड की सलामी, अनुशासित कदमताल और प्रशिक्षण की झलक ने सभी को प्रभावित किया। लेकिन इन सबके बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मंत्रियों को अपने साथ जीप में बुलाने का वह छोटा-सा पल समारोह की सबसे यादगार झलक बन गया, जिसने यह दिखा दिया कि सत्ता के शिखर पर पहुंचकर भी सादगी और अपनापन बरकरार रखा जा सकता है।