Lalu Prasad : चारा घोटाला: सीबीआई विशेष अदालत में रोज़ाना होगी सुनवाई, सभी आरोपितों को सशरीर हाज़िर होने का आदेश

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद चारा घोटाले के 1996 के प्रमुख मामले की सुनवाई अब सीबीआई की विशेष अदालत में प्रतिदिन होगी। अदालत ने सभी आरोपितों की सशरीर उपस्थिति अनिवार्य कर दी है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 10 Dec 2025 07:34:42 AM IST

Lalu Prasad : चारा घोटाला: सीबीआई विशेष अदालत में रोज़ाना होगी सुनवाई, सभी आरोपितों को सशरीर हाज़िर होने का आदेश

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Lalu Prasad : उच्चतम न्यायालय के पुराने लंबित मामलों के त्वरित निष्पादन संबंधी निर्देशों के बाद करोड़ों रुपये के चर्चित चारा घोटाले के एक प्रमुख मामले की सुनवाई अब प्रतिदिन होगी। इस संबंध में सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा आदेश जारी करते हुए कहा है कि इस मामले के सभी जीवित आरोपितों को हर तारीख पर सशरीर उपस्थिति दर्ज करानी होगी। अदालत ने साफ किया कि अब मामले में किसी भी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सुनवाई लगातार चलती रहेगी।


मामला वर्ष 1996 में दर्ज हुए उस बड़े घोटाले का हिस्सा है, जिसने बिहार की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया था। यह विशेष मामला भागलपुर के बांका उप जिला कोषागार से पशुपालन विभाग के नाम पर जाली विपत्रों द्वारा करीब 45 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने इस मामले को कांड संख्या आरसी 63 (ए)/96 के रूप में दर्ज किया था। जांच आगे बढ़ने पर कई उच्च पदस्थ अफसर, तत्कालीन मंत्री, विधायक और प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं के नाम इसमें सामने आए थे।


सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश राकेश कुमार ने अब इस मामले की सुनवाई को प्रतिदिन आयोजित करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह निर्णय तब लिया जब यह पाया गया कि यह मामला लगभग तीन दशक पुराना हो चुका है और अब भी पूरी तरह निर्णीत नहीं हो पाया है। अदालत का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश — जिनमें पुराने मामलों को वरीयता के आधार पर तीव्र गति से निपटाने की बात कही गई है — इस मामले पर पूर्णतः लागू होते हैं।


मामले का दायरा काफी व्यापक है। सीबीआई ने शुरुआती जांच के बाद 44 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। हालांकि, इतने वर्षों में कई आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में लालू प्रसाद यादव सहित कुल 18 आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा विचाराधीन है। इनमें कई पूर्व मंत्री, विधायक और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं। मामले के आरोप पत्र में 250 से अधिक गवाह सूचीबद्ध किए गए थे, जिनमें से अब तक 110 गवाहों की गवाही दर्ज हो चुकी है। अदालत का उद्देश्य शेष गवाहों की जल्द से जल्द गवाही पूर्ण कराना है ताकि साक्ष्य के आधार पर अंतिम निर्णय तक पहुंचा जा सके।



चारा घोटाले के इस हिस्से में मुख्य आरोप यह है कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्तियों की मिलीभगत से फर्जी बिलों और कागजातों का सहारा लेकर कोषागार से बड़ी धनराशि निकाली गई। यह धनराशि पशुओं के चारे, दवाइयों और अन्य सामग्रियों के नाम पर दिखाई गई थी, जबकि वास्तविकता में वे सामान कभी खरीदे ही नहीं गए। इस अवैध निकासी ने तत्कालीन बिहार सरकार के वित्तीय ढांचे और जवाबदेही की प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे, जिसके बाद पूरे घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।



अब जब अदालत ने प्रतिदिन सुनवाई का फैसला किया है, तो यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले की गति तेज होगी और वर्षों से लंबित न्याय प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंचेगी। अदालत का यह भी कहना है कि आरोपितों की सशरीर उपस्थिति से प्रक्रिया में पारदर्शिता और गंभीरता बढ़ेगी। इससे गवाही दर्ज कराने में सुगमता होगी और बचाव पक्ष तथा अभियोजन पक्ष दोनों को पर्याप्त अवसर मिलेंगे।



इस कदम को चारा घोटाले के पीड़ित वित्तीय तंत्र और न्याय व्यवस्था को लेकर एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। हालांकि अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, क्योंकि मामले में दर्ज गवाहों की संख्या अधिक है और आरोपों की जटिलता भी बड़ी है। लेकिन अदालत के इस सख्त रुख के बाद यह साफ दिख रहा है कि न्यायिक प्रणाली अब इस पुराने मामले को समाप्ति की ओर ले जाने के लिए गंभीर है।


मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में सीबीआई विशेष अदालत का यह निर्णय चारा घोटाले के इस महत्वपूर्ण प्रकरण में नई गति लाने वाला है, जिससे आने वाले दिनों में इस ऐतिहासिक घोटाले के इस अध्याय पर अंतिम फैसला होने की उम्मीद तेज हो गई है।