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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 15 Sep 2025 09:04:54 AM IST
बिहार धर्मांतरण मामला - फ़ोटो FILE PHOTO
BIHAR NEWS : बिहार के रोहतास जिले में धर्मांतरण और नाबालिग लड़की से रेप के मामले ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। मामला सासाराम के इंद्रपुरी थाना क्षेत्र स्थित सिकरिया गांव का है, जहां जेम्स इंग्लिश स्कूल और उसके परिसर में संचालित जेम्स टेलरिंग इंस्टीट्यूट की जांच के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिला बाल कल्याण समिति (CWC) की रिपोर्ट ने न केवल स्कूल की अवैध गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि गरीब और असहाय परिवारों की बच्चियों को निशाना बनाकर धर्मांतरण का खेल चलाया जा रहा था।
यह पूरा मामला तब सामने आया जब गया जिले की एक किशोरी 27 अगस्त को अचानक लापता हो गई। किशोरी की मां ने 30 अगस्त को इंद्रपुरी थाने में उसकी गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस और जिला बाल कल्याण समिति सक्रिय हुई और स्कूल परिसर की जांच का निर्णय लिया। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार, सदस्य ददन पांडेय और गायत्री कुमारी, प्रधान प्रोबेशन पदाधिकारी प्रशांत सिंह विष्ट और इंद्रपुरी थानाध्यक्ष माधुरी कुमारी के नेतृत्व में 8 सितंबर को टीम ने जेम्स इंग्लिश स्कूल और उससे जुड़ी आवासीय व्यवस्था का निरीक्षण किया।
जांच टीम जब स्कूल परिसर में स्थित जेम्स टेलरिंग इंस्टीट्यूट पहुंची, तो वहां प्रभारी सुभद्रा 7–8 बच्चियों को सिलाई सिखा रही थीं। लेकिन यहां से टीम को न तो बच्चियों की नामांकन पंजी मिला और न ही उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड। केवल एक कागज पर 15 बच्चियों के नाम लिखे थे, जिसे संस्थान का एकमात्र "प्रमाण" बताया गया। जांच टीम ने पूछा कि इस संस्थान को कब और कैसे अनुमति मिली, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। बताया गया कि यह इकाई वर्ष 2003 से चल रही है, लेकिन इसकी किसी भी प्राधिकार द्वारा जांच नहीं हुई।
इसी दौरान जांच टीम ने एक और चौंकाने वाली घटना देखी। कमरे के बाहर से एक लड़की की जोर-जोर से रोने की आवाज आ रही थी। जब अधिकारी वहां पहुंचे, तो दो लोग उसे पकड़कर ले जा रहे थे। पहले यह कहा गया कि लड़की के पेट में दर्द है, फिर टालमटोल करते हुए कहा गया कि वह "ऐसे ही करती रहती है"। लेकिन सच्चाई कुछ और थी।
इंस्पेक्शन के दौरान उस लड़की को जबरन चुप कराया गया और बाद में उसे पीटा भी गया। लड़की की हालत बिगड़ने पर उसे रेस्क्यू कर इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया, लेकिन चिकित्सकों ने इलाज से इनकार कर दिया। इसके बाद उसे समिति के पास लाया गया। महिला परामर्शी से बातचीत में नाबालिग ने खुलासा किया कि उसके साथ चार लोगों ने दुष्कर्म किया था। यह बयान सामने आते ही पुलिस और समिति की टीम हतप्रभ रह गई। मेडिकल जांच के बाद पीड़िता को बालिका गृह कैमूर भेज दिया गया है।
इसके बाद 9 सितंबर को समिति सदस्य गायत्री कुमारी की देखरेख में जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन और इंद्रपुरी थानाध्यक्ष की टीम ने पुनः संस्थान पर छापेमारी की। इस दौरान वहां से सात और बच्चियों को मुक्त कराया गया। सभी को बालिका गृह भेज दिया गया है। सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब टीम ने बच्चियों के नामांकन फॉर्म की जांच की।
फॉर्म में ऐसे कॉलम और विवरण भरे गए थे, जो साफ संकेत देते थे कि यहां गरीब परिवार की बच्चियों को धर्मांतरण के लिए टारगेट किया जा रहा था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यहां संगठित तरीके से "धर्मांतरण का खेल" चल रहा है और इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय हो सकता है।
बाल कल्याण समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट भारत सरकार के गृह सचिव, जिला अधिकारी (DM) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजते हुए मामले में उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि यह मामला केवल एक बच्ची के साथ दुष्कर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कहीं बड़ा षड्यंत्र सामने आ सकता है।
सासाराम के एसपी रौशन कुमार ने कहा कि जिलाधिकारी के स्तर से एक विशेष जांच टीम का गठन किया जाएगा। यह टीम पूरे मामले की गहराई से जांच करेगी और रिपोर्ट आने के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन ने भी साफ किया है कि बच्चियों के शोषण, धर्मांतरण और अवैध संस्थान संचालन जैसे मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
फिलहाल मुक्त कराई गई सात बच्चियों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है और उनकी काउंसलिंग कराई जा रही है। साथ ही, पीड़ित किशोरी का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाएगा। पुलिस इस मामले में नामजद और संदिग्ध आरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है।
जिला प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि जिस संस्थान से यह पूरा खेल चल रहा था, उसकी मान्यता, फंडिंग और संचालकों की पृष्ठभूमि की जांच की जाएगी। अगर धर्मांतरण और यौन शोषण के मामले साबित होते हैं, तो आरोपियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला सामने आने के बाद बिहार के सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। विपक्षी दल सरकार पर सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठा सकते हैं। वहीं, समाजसेवी संगठनों ने भी इस घटना पर आक्रोश जताया है और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।