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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 14 May 2025 10:58:44 AM IST
 
                    
                    
                    बिहार के भोजपुर जिले में तैयार किया गया परतदार खुरमा - फ़ोटो Google
Bihar Khurma Traditional sweets: बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक और पाक-परंपराओं में मिठाइयों का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक पारंपरिक मिठाई 'खुरमा' आज देश-विदेश में बिहार की मिठास की पहचान बन चुकी है। भोजपुर जिले के आरा शहर से महज 7 किलोमीटर दूर स्थित उदवंतनगर गांव इस मिठाई का गढ़ माना जाता है, जहां इसकी परंपरा करीब 80-85 वर्षों से चली आ रही है।
अंग्रेजी शासनकाल से चलती आ रही परंपरा
खुरमा बनाने की शुरुआत अंग्रेजी शासनकाल के दौरान हुई थी। आज भी यह मिठाई पारंपरिक विधि से ही तैयार की जाती है, जिसमें न तो किसी कृत्रिम तत्व का इस्तेमाल होता है और न ही मिलावट की कोई गुंजाइश। यही कारण है कि खुरमा न सिर्फ बिहार में बल्कि देश के अन्य हिस्सों और विदेशों तक अपनी विशिष्टता के कारण प्रसिद्ध हो चुका है।
सिर्फ दो सामग्रियों से बनती है यह खास मिठाई
खुरमा की खास बात यह है कि यह केवल छेना और चीनी से बनता है। इसकी तैयारी में दो घंटे का समय लगता है, जिसमें हर कदम पर शुद्धता और स्वाद का ध्यान रखा जाता है। दूध से छेना बनाकर उसे छोटे टुकड़ों में काटा जाता है, जिन्हें बाद में गाढ़े चीनी के घोल में डुबोकर कोयले की धीमी आंच पर पकाया जाता है।
कोयले की आंच पर पकने से मिलती है परतदार मिठास
खुरमा को पकने के बाद कढ़ाई में ही ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि चीनी की मिठास उसमें पूरी तरह समा जाए। जब यह परतदार रूप में तैयार होता है, तो इसकी खुशबू और स्वाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।
रोजाना बनते हैं सैकड़ों किलो खुरमा
उदवंतनगर गांव में रोजाना सैकड़ों किलो खुरमा तैयार किया जाता है। स्थानीय बाजार से लेकर दिल्ली, मुंबई और यहां तक कि खाड़ी देशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। यह मिठाई अब भोजपुर की पहचान बन चुकी है।
सरकार से जीआई टैग की मांग
स्थानीय लोगों और मिठाई व्यवसायियों का मानना है कि खुरमा को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने के लिए इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग दिलाया जाना चाहिए, ताकि इसकी पारंपरिक पहचान और शुद्धता बनी रहे।
खुरमा न सिर्फ एक मिठाई, बल्कि विरासत है
बिहार का यह पारंपरिक 'खुरमा' सिर्फ स्वाद की बात नहीं है, यह एक सांस्कृतिक विरासत है जिसे आज की पीढ़ी संजोकर आगे बढ़ा रही है। इसकी मिठास आने वाले समय में भी लोगों के दिलों तक पहुंचती रहे, यही इसकी सबसे बड़ी कामयाबी होगी।