1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 08 Oct 2025 09:22:13 AM IST
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Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य में एनडीए (NDA) गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर मंथन जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। इस बीच एलजेपी (रामविलास) सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की चुप्पी ने एनडीए खेमे की चिंता बढ़ा दी है। दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद बुधवार को चिराग पासवान पटना पहुंचे, जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत में सीट शेयरिंग पर अहम बयान दिया।
पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर अभी शुरुआती दौर की चर्चा चल रही है। सही समय आने पर सबकुछ बता दिया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि वे गठबंधन की एकजुटता के पक्ष में हैं, लेकिन पार्टी की मजबूती और सम्मानजनक सीटों पर समझौता नहीं करेंगे।
इसी दौरान चिराग पासवान ने अपने पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने जो जिम्मेदारी उनके कंधों पर सौंपी थी, उसे निभाना उनके जीवन का उद्देश्य है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने पिता की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “पापा, आपकी पुण्यतिथि पर आपको मेरा नमन। मैं वचन देता हूं कि आपके दिखाए मार्ग और ‘बिहार फ़र्स्ट, बिहारी फ़र्स्ट’ के विजन को साकार करने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हूं। बिहार के समग्र विकास का जो सपना आपने देखा था, अब उसे धरातल पर उतारने का समय है।”
उन्होंने आगे लिखा कि आगामी बिहार चुनाव उनके पिता के संकल्प को पूरा करने का अवसर है। “यह मौका है बिहार को नई दिशा देने का और हर बिहारी के सपनों को साकार करने का। एलजेपी (रामविलास) के हर कार्यकर्ता का सपना है कि आगामी चुनाव में पापा के अधूरे सपनों को पूरा किया जा सके,” उन्होंने पोस्ट में जोड़ा।
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली में भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े ने चिराग पासवान से मुलाकात की थी। हालांकि इस मुलाकात के बाद भी चिराग ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग पासवान एनडीए गठबंधन में कम से कम 43 विधानसभा सीटों की मांग पर अड़े हैं। इसके पीछे वे 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रदर्शन के साथ-साथ 2020 और 2015 के विधानसभा परिणामों को आधार बना रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग की रणनीति फिलहाल दबाव की राजनीति पर आधारित है। वे न केवल अपनी पार्टी की सीटों को लेकर सख्त रुख अपना रहे हैं, बल्कि अपनी नेतृत्व क्षमता को भी स्थापित करने की कोशिश में हैं। वहीं बीजेपी नेतृत्व के सामने चुनौती यह है कि वे चिराग को मनाने के साथ-साथ गठबंधन के अन्य साथियों जैसे जदयू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के बीच संतुलन बनाए रखें।
बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है और सभी दल अब मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे का यह समीकरण आने वाले दिनों में बिहार की सियासत की दिशा तय कर सकता है।