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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 11 Sep 2025 06:14:11 PM IST
नीतीश की शराबबंदी पर सवाल - फ़ोटो सोशल मीडिया
PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति एक बार फिर सत्तारूढ़ NDA में ही घमासान छिड़ता दिख रहा है. केंद्र सरकार में मंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने गुरुवार को नीतीश सरकार की शराबबंदी कानून पर फिर से खुलकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले शराब पीने के छोटे-छोटे मामलों को खत्म कर देना चाहिए। मांझी ने कहा कि थोड़ी थोड़ी पीना कोई गुनाह नहीं है.
पीने वालों पर नहीं, माफिया पर कार्रवाई हो: मांझी
मीडिया से बातचीत में मांझी ने कहा कि शराबबंदी का मकसद समाज को नशे से बचाना है, लेकिन इसका खामियाजा आम गरीब लोग भुगत रहे हैं। उनके अनुसार, पुलिस खानापूर्ति के लिए मामूली मात्रा में शराब रखने या पीने वालों को पकड़कर जेल भेज रही है, जबकि बड़े पैमाने पर शराब बनाने और तस्करी करने वाले माफिया खुलेआम कारोबार कर रहे हैं।
मांझी ने कहा— "नीतीश कुमार ने खुद तीसरी बार हुई समीक्षा बैठक में कहा था कि अगर कोई व्यक्ति पीने के लिए थोड़ी मात्रा में शराब ले जा रहा हो तो उसे नहीं पकड़ा जाए। सरकार को मुख्यमंत्री की उस बात पर गौर करना चाहिए और ऐसे मामलों में दर्ज केस चुनाव से पहले खत्म कर देना चाहिए।"
हजारों-लाखों लीटर शराब बनाने वालों पर हो कार्रवाई
हम सुप्रीमो ने मांग की कि बिहार पुलिस को बड़े पैमाने पर शराब बनाने वाले गिरोह और तस्करों पर सघन अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल गरीबों और छोटे उपभोक्ताओं को जेल में डालकर सरकार अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर सकती।
पुलिस कर रही है खेल
मांझी के अनुसार, "पुलिस अपने ऊपर लगे आरोपों से बचने के लिए बड़े तस्करों को छोड़ देती है और निर्दोष या मामूली अपराधियों को पकड़कर जेल भेज देती है। यह स्थिति अन्यायपूर्ण है और इसे बदलने की जरूरत है।"
चुनावी माहौल में शराबबंदी पर नई बहस
बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी कानून लगातार चर्चा और विवाद का विषय रहा है। विपक्षी दलों ने भी समय-समय पर इसके दुष्परिणामों पर सवाल उठाए हैं। अब जब चुनाव का समय नजदीक है, तो मांझी की यह मांग सत्ताधारी एनडीए के भीतर भी शराबबंदी को लेकर असहमति की ओर इशारा करती है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मांझी का बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिससे शराबबंदी से प्रभावित बड़े वोटबैंक को साधा जा सके।