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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 18 Oct 2025 02:35:02 PM IST
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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर गहरी नाराज़गी उभरकर सामने आई है। पार्टी के कई वरिष्ठ और जमीनी नेता खुले तौर पर चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। एक कांग्रेस नेता ने पार्टी की नीति पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि टिकट वितरण में पारदर्शिता और मेहनती कार्यकर्ताओं के सम्मान का कोई ध्यान नहीं रखा गया।
उन्होंने कहा, “आम कांग्रेसी की बात यही है — आप एक ऐसा व्यक्ति जो 33 हजार वोटों से हारा उसे टिकट दे सकते हैं, लेकिन जो मात्र 113 वोट से हारा उसे आप अपात्र मान लेते हैं। यह किस तरह का न्याय है?” नेता का आरोप था कि पार्टी ने उन कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ कर दिया जो वर्षों से संगठन के लिए दिन-रात मेहनत करते रहे हैं। “हमारे एकमात्र यादव विधायक जो कांग्रेस से थे, उन्हें भी इस बार टिकट नहीं दिया गया, जबकि वे लगातार जनता के बीच काम करते रहे हैं। उनकी जगह ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया गया जो हाल ही में पार्टी में आए हैं,” उन्होंने कहा।
टिकट चयन के ‘पैरामीटर’ पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से बार-बार यह कहा गया कि टिकट वितरण के लिए तय ‘पैरामीटर’ अपनाए जाएंगे और केवल मजबूत उम्मीदवारों को ही मौका मिलेगा। लेकिन वह पैरामीटर क्या है, यह किसी को नहीं बताया गया। “कांग्रेस नेतृत्व कहता है कि हमने कुछ मानदंड तय किए हैं — पर वे हैं क्या? यह किसी को नहीं मालूम। टिकट पाने वालों की सूची देखकर तो यह साफ है कि मेहनती कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई है,” नेता ने जोड़ा।
उनका कहना था कि पहले यह घोषणा की गई थी कि अगर कोई नेता या कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में कोई ठोस योजना या संगठनात्मक कार्य पूरा कर लेता है, तो उसे टिकट देने पर प्राथमिकता दी जाएगी। “लेकिन जब हमने योजनाएं पूरी कर लीं, तो उनकी कोई कीमत नहीं रही। जिन लोगों ने पार्टी के लिए वास्तविक काम किया, उन्हें किनारे कर दिया गया,” उन्होंने कहा।
‘जो दिल्ली से आए, वही टिकट बांटने लगे ’
कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय स्तर पर पार्टी से वर्षों से जुड़े कार्यकर्ताओं की जगह दिल्ली से आए कुछ लोगों को वरीयता दी गई। उन्होंने कहा, “जो लोग चार-पांच महीने पहले दिल्ली से आकर हमारे साथ जुड़े, वही टिकट बांटने लगे। जिन लोगों ने राहुल जी की आलोचना की थी, उन्हें भी टिकट दिया गया। फिर यह आधार क्या है?”
नेता ने सवाल उठाया कि क्या पार्टी का यह नया तरीका ही ‘सामाजिक न्याय’ है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस का हमेशा से दावा रहा है कि वह सामाजिक न्याय और संगठन के समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी रहती है, लेकिन इस बार जो हुआ है, वह खुला अन्याय है। “आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन यहां तो अन्याय ही सबसे ज़्यादा दिख रहा है। यह सब अब छुपा नहीं है,” उन्होंने कहा।
अंदरूनी असंतोष और भविष्य की चुनौती
कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर यह असंतोष कोई नया नहीं है, लेकिन इस बार स्थिति पहले से ज्यादा गंभीर दिख रही है। कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने स्तर पर विरोध जताना शुरू कर दिया है। कुछ नेताओं ने तो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने के संकेत भी दिए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह का असंतोष चुनावी नतीजों पर गहरा असर डाल सकता है। कांग्रेस पहले से ही बिहार में कमजोर स्थिति में है और यदि संगठनात्मक स्तर पर एकजुटता नहीं रही, तो पार्टी के लिए सीटें जीतना और भी मुश्किल हो जाएगा।
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान इस नाराज़गी को कम करने की कोशिश में जुटा है। लेकिन जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक टिकट बंटवारे में पारदर्शिता और मेहनती नेताओं को सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक पार्टी के भीतर असंतोष बना रहेगा।.