Bihar Panchayat Election : बिहार पंचायत चुनाव 2026: पहली बार मल्टी पोस्ट EVM से होगा मतदान, नए आरक्षण रोस्टर से कई सीटों में बड़े बदलाव के संकेत

बिहार में 2026 के पंचायत चुनाव की सरगर्मी अब तेज हो गई है। इस बार का चुनाव कई बड़े बदलावों का गवाह बनने जा रहा है, जिसकी तैयारियां राज्य निर्वाचन आयोग ने शुरू कर दी हैं। पंचायत चुनाव में पहली बार बैलेट पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 10 Dec 2025 08:20:59 AM IST

Bihar Panchayat Election : बिहार पंचायत चुनाव 2026: पहली बार मल्टी पोस्ट EVM से होगा मतदान, नए आरक्षण रोस्टर से कई सीटों में बड़े बदलाव के संकेत

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Bihar Panchayat Election : बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद अब 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। राज्य भर में पंचायत प्रतिनिधियों और चुनावी प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के बीच हलचल बढ़ गई है। इस बार होने वाला पंचायत चुनाव कई बड़े बदलावों का साक्षी बनने जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, त्वरित और तकनीक-आधारित बनाने के तहत पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग करने का फैसला लिया है। पंचायत चुनावों में अब तक बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन 2026 में होने वाले इस चुनाव में ‘मल्टी पोस्ट ईवीएम’ का प्रयोग किया जाएगा, जिसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।


प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस बार लगने वाली मल्टी पोस्ट ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट (सीयू) और छह बैलेट यूनिट (बीयू) होंगी। इसका मतलब है कि मतदाता एक ही कंट्रोल यूनिट से जुड़े अलग-अलग छह पदों के लिए अलग-अलग बैलेट यूनिट में वोट डाल सकेंगे। पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य, पंच, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य और सरपंच—इन सभी छह पदों के लिए एक साथ अलग-अलग मशीनों पर मतदान होगा। इससे मतदान प्रक्रिया तेज होगी और मतगणना भी पहले की तुलना में अधिक सुविधाजनक एवं त्रुटिरहित होने की उम्मीद है।


इस चुनाव का एक और बड़ा बदलाव है—आरक्षण रोस्टर का नया निर्धारण और पंचायतों का परिसीमन। नियम के अनुसार पंचायत चुनावों में दो टर्म पूरे होने पर आरक्षित सीटों में बदलाव किया जाता है। इसी प्रावधान के तहत 2026 के चुनावों से पहले आरक्षित श्रेणियों का पुनर्निर्धारण किया जाएगा। इसमें जिला परिषद, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, पंच और वार्ड सदस्य—सभी छह पदों की आरक्षित सीटों में बदलाव संभव है। इससे कई वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों की सीटें बदल सकती हैं, जिसके कारण कई जनप्रतिनिधियों की धड़कनें तेज हैं। आरक्षण के पुनर्निर्धारण से नई राजनीतिक स्थिति उत्पन्न होगी और नए चेहरों के उभरने की संभावना भी बढ़ जाएगी।


बिहार में पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। कई जिलों में विभिन्न पदों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ चुकी है और नए रोस्टर के बाद यह वितरण और व्यापक तरीके से सामने आएगा। आरक्षण श्रेणी का निर्धारण मार्च 2026 के बाद शुरू होने की संभावना है, जिसके बाद औपचारिक अधिसूचना जारी होगी।


पंचायत सरकार की प्रणाली त्रिस्तरीय ढांचे पर आधारित है। गांव स्तर पर मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं, ग्राम कचहरी के संचालन के लिए सरपंच और पंच होते हैं। जिला स्तर पर जिला परिषद विकास कार्यों की निगरानी और क्रियान्वयन की मुख्य संस्था है। पंचायत स्तर पर विकास योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार योजनाओं और स्थानीय जरूरतों के अनुसार कार्यों की रूपरेखा इन्हीं प्रतिनिधियों के माध्यम से तय होती है। इसलिए पंचायत चुनावों का राजनीतिक और सामाजिक महत्व काफी अधिक होता है।


राज्य निर्वाचन आयोग ने 2026 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आरक्षण श्रेणी में बदलाव तय नियम के मुताबिक ही होगा और इस बार नए सिरे से पंचायतों का परिसीमन भी किया जाएगा। साथ ही मल्टी पोस्ट ईवीएम के उपयोग से पंचायत चुनाव की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी एवं आधुनिक होगी।


पंचायती राज संस्थाओं का वर्तमान कार्यकाल अक्टूबर-नवंबर 2026 में समाप्त होने वाला है। ऐसे में आयोग जल्द ही परिसीमन, रोस्टर निर्धारण और ईवीएम वितरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुटेगा। तकनीकी बदलावों और नए आरक्षण रोस्टर के कारण इस बार का पंचायत चुनाव बेहद दिलचस्प और निर्णायक माना जा रहा है।


आगामी महीनों में जैसे-जैसे रोस्टर और परिसीमन संबंधी अधिसूचनाएं सामने आएंगी, पंचायत राजनीति में नए समीकरण बनेंगे और उम्मीदवारों की तैयारी भी तेज हो जाएगी। कुल मिलाकर बिहार का 2026 पंचायत चुनाव आधुनिक तकनीक, नए आरक्षण और नई चुनावी रणनीतियों के साथ एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।