1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 07 Oct 2025 02:04:14 PM IST
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Dhirendra Shastri news : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पश्चिम बंगाल में अपनी कथा करने की अनुमति रद्द होने पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक बंगाल में ‘दीदी’ यानी ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं, वे वहां कथा नहीं करेंगे। उन्होंने मंच से स्पष्ट कहा “दीदी जब तक हैं, तब तक नहीं जाएंगे। दादा जब आएंगे, तब जरूर जाएंगे।”
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उन्हें 10 से 12 अक्टूबर तक कोलकाता में कथा करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन आखिरी समय में राज्य सरकार ने उनकी परमिशन कैंसिल कर दी। इस फैसले से नाराज होकर उन्होंने मंच से कहा कि यह दुखद है कि देश में आज भी धर्म और आस्था के कार्यक्रमों को राजनीतिक दृष्टि से देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा “अभी हमें पश्चिम बंगाल जाना था, दीदी ने मना कर दिया। परमिशन ही रद्द कर दी गई। भगवान करे दीदी बनी रहें, हमें उनसे कोई व्यक्तिगत दिक्कत नहीं है, लेकिन बुद्धि ठीक रखें और धर्म के खिलाफ न रहें।” बाबा बागेश्वर ने अपने प्रवचन में यह भी कहा कि वे धर्म, आस्था और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए देशभर में यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म शाश्वत है, जिसका न आदि है और न अंत। उन्होंने कहा “तीन हजार साल पहले पृथ्वी पर सिर्फ सनातनी रहते थे। आज जो भी धर्म या मजहब के लोग हैं, अगर अपने पूर्वजों को खंगालेंगे तो सब सनातनी ही निकलेंगे।”
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि हिंदू समाज को एकजुट होने की जरूरत है, क्योंकि आज धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी मजहब के खिलाफ बोलना नहीं है, बल्कि सनातन संस्कृति के प्रति गर्व जगाना है। गौरतलब है कि बागेश्वर धाम सरकार और प्रशासन से इजाज़त मिलने पर ही देश के अलग-अलग हिस्सों में कथा करते हैं। उनके प्रवचन में हजारों की भीड़ जुटती है। बंगाल में कथा रद्द होने की खबर के बाद सोशल मीडिया पर समर्थकों ने भी नाराजगी जताई है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे बंगाल की जनता से प्रेम करते हैं और जब वहां माहौल धर्म के अनुकूल होगा, वे अवश्य कथा करने जाएंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “सनातन परंपरा को रोकना किसी के बस की बात नहीं। यह धर्म है, जो हर परिस्थिति में जीवित रहेगा।” इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। जहां उनके समर्थक इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों ने कहा है कि बंगाल सरकार का निर्णय प्रशासनिक विवेक पर आधारित है। लेकिन शास्त्री के इस बयान ने एक बार फिर धर्म और राजनीति के टकराव को सुर्खियों में ला दिया है।