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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 06 Aug 2025 09:44:02 AM IST
बिहार बाढ़ - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Flood: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। औराई प्रखंड से होकर गुजरने वाली बागमती नदी की उत्तरी और दक्षिणी उपधारा के जलस्तर में करीब तीन फीट की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे, पानी के दबाव के चलते बभनगामा पूर्वी टोला में स्थित चचरी पुल पूरी तरह बह गया। यह पुल ग्रामीणों के लिए एकमात्र संपर्क मार्ग था। हालांकि, पुल के संचालक महेंद्र सहनी और सत्यनारायण सहनी ने मिलकर बांस-बल्ली के कुछ हिस्सों को सुरक्षित निकाल लिया, जिससे कुछ हद तक आवाजाही में सहूलियत बनी रहे।
पानी की रफ्तार लगातार तेज हो रही है और तटबंध के दोनों ओर, यानी उत्तरी और दक्षिणी उपधारा में तेजी से जलस्तर बढ़ रहा है। खासकर अतरार क्षेत्र में दक्षिणी उपधारा अब बागमती की मुख्यधारा का रूप ले चुकी है, जो चिंता का विषय बन चुका है। वहीं, कटौंझा में नदी अभी खतरे के निशान से नीचे बह रही है, लेकिन स्थितियों में तेजी से बदलाव हो सकता है। प्रखंड के करीब एक दर्जन गांवों के लोग नावों के सहारे ही आना-जाना कर पा रहे हैं, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
इधर, बेनीबाद क्षेत्र में जलस्तर बढ़ने से तटबंध पर कटाव की आशंका गहराने लगी है। इसी को लेकर मुजफ्फरपुर पथ प्रमंडल-दो के कार्यपालक अभियंता ओमप्रकाश के नेतृत्व में निगरानी और त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आवश्यक संसाधन और श्रमिकों को अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। जल संसाधन विभाग की टीम भी संभावित कमजोर स्थानों की भौतिक जांच कर रही है।
वहीं, कटरा प्रखंड में बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण बकुची गांव के पास बने पीपा पुल के दाहिने एप्रोच पर पानी चढ़ गया, जिससे करीब तीन घंटे तक आवागमन ठप रहा। पुल की मरम्मत के बाद पैदल और दोपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू हो सकी है, लेकिन चारपहिया वाहनों पर रोक अभी भी जारी है। स्थिति यह है कि प्रखंड की उत्तरी 14 पंचायतों की लाखों की आबादी का मुख्यालय से संपर्क लगभग कट गया है।
बाढ़ का पानी अब नए इलाकों में भी फैलने लगा है, जिससे प्रशासन की चिंता और बढ़ गई है। प्रखंड की सीओ मधुमिता कुमारी ने बताया कि हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति के लिए राहत एवं बचाव दल तैयार हैं। संभावित विस्थापन क्षेत्रों की पहचान और सूचीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
बाढ़ की आशंका को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में नावों की भारी मांग देखी जा रही है। स्थानीय बाजारों में नाव खरीदने वालों की भीड़ बढ़ने लगी है। खासकर किसान, मजदूर और पशुपालक छोटी नावों की मांग कर रहे हैं। बड़ी नावें सीमित संख्या में उपलब्ध हैं, और एक नाव की कीमत ₹40,000 से ₹50,000 तक बताई जा रही है। कई लोग साझेदारी में नाव खरीदने की योजना बना रहे हैं ताकि संकट की इस घड़ी में आवाजाही संभव हो सके।