उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर मुजफ्फरपुर में नई पहल: बाबा गरीबनाथ धाम में चढ़े फूलों से बनेंगी अगरबत्ती-धूप

मुजफ्फरपुर नगर निगम उज्जैन मॉडल पर बाबा गरीबनाथ धाम में नई पहल शुरू करने जा रहा है। अब मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती और धूप बनाई जाएगी। इससे कचरा प्रबंधन, रोजगार सृजन और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जाएगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 12 Dec 2025 04:45:36 PM IST

बिहार

महिलाओं को मिलेगा रोजगार - फ़ोटो REPORTER

MUZAFFARPUR: मुजफ्फरपुर नगर निगम अब कालों के काल महाकाल की नगरी उज्जैन के मॉडल पर एक नई पहल को शुरू कर रहा है। अब मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों और फलों के इस्तेमाल के बाद इसका उपयोग अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने में किया जाएगा। यह बड़ी पहल नई साल में शुरू होने जा रही है और इसके लिए नगर निगम ने तैयारी तेज कर दी है। 


अब भक्तों की आस्था को एक नया आयाम मिलेगा और इसके कारण अपशिष्ट प्रबंधन का दायित्व पूरा हो सकेगा। यही नहीं इससे सशक्तिकरण के साथ-साथ रोजगार का भी सृजन होगा। इसके लिए नगर निगम की एक टीम को प्रशिक्षण के उज्जैन भेजा जा रहा है, जहां पर जाकर वो अगरबत्ती और धूप को बनाने की प्रक्रिया को जानेंगे और उसे मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर में आजमायेंगे।


दरअसल उज्जैन नगर निगम द्वारा संचालित फूल से अगरबत्ती और धूप का प्रोजेक्ट से प्रेरित है, जहाँ मंदिर के फूलों से उत्पाद बनाए जाते हैं। जिसका एक बड़ा लक्ष्य है कि यह इन मंदिरों से निकलने वाले फूलों के सूखे हुए वेस्ट यानी कचरे का न सिर्फ पुन उपयोग, पर्यावरण संरक्षण और जनहित के कार्यों में आय का उपयोग करने का है। 


इसकी चर्चा पूरे देश में है और अब मुजफ्फरपुर नगर निगम भी इस दिशा में पहल करने जा रही है। नगर निगम की 7 सदस्यों की टीम जिसमें की कई महिला कर्मचारी भी शामिल है जो उज्जैन नगरी में जाकर अगरबत्ती निर्माण की तकनीक और प्रक्रिया सीखेगी..और फिर इसको बिहार के मुजफ्फरपुर में आकर पूरा करेगी। 


नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने कहा है कि हमने भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए एक पहल करने जा रहे है....इसमें बाबा गरीबनाथ धाम को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तर्ज पर एक अनोखी अभियान की शुरुआत की जा रही है... मंदिर में भक्तों के द्वारा चढ़ावा के रूप में जो फूल चढ़ाया जाता है उसको कलेक्ट करके हम उसको रिसाइकिल करेंगे और फिर उसको रीयूज करेंगे।..


गिले फुल को कलेक्ट कर उसको सुखाया जाएगा और फिर प्रोसेस करके उसको अगरबत्ती और धूप में बनाया जाएगा। इसके प्रॉसेनिंग कार्य में महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा और एक नया आयाम शुरू होगा। इसके माध्यम से इसको बनाने वाले दीदी को रोजगार का सृजन होगा और वह आत्मनिर्भर बन सकेंगी।