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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 04 Dec 2025 03:14:46 PM IST
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मुंगेर जिले से मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal) को लेकर बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। जमालपुर नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 29 स्थित प्राथमिक विद्यालय फरीदपुर में मिड-डे मील वितरण के दौरान बच्चों को अंडा देकर फोटो खिंचवाने और बाद में वह अंडा वापस ले लेने का चौंकाने वाला आरोप लगा है। जैसे ही मामला प्रकाश में आया, जिला प्रशासन हरकत में आ गया और त्वरित कार्रवाई करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य संजीव कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
कैसे हुआ पूरा मामला उजागर?
सूत्रों के अनुसार, विद्यालय में पदाधिकारियों द्वारा निरीक्षण किए जाने की सूचना मिलने के बाद बच्चों को दिखावे के लिए अंडा दिया गया था। आरोप है कि फोटो खिंचवाने के बाद बच्चों से अंडे वापस ले लिए गए। मिड-डे मील जैसी संवेदनशील योजना में इस तरह की लापरवाही और अनियमितता सामने आने के बाद अभिभावकों में भी आक्रोश देखा गया।
यह मामला जैसे ही उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आया, जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कुणाल गौरव ने तत्परता दिखाते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (MDM) को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच रिपोर्ट में प्रधानाचार्य संजीव कुमार को दोषी पाया गया।
जांच में क्या सामने आया?
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि बच्चों को दिखावे के लिए अंडा दिया गया। उसके बाद फोटो खिंचवाने के बाद अंडा वापस ले लिया गया।विद्यालय प्रशासन ने मिड-डे मील योजना के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन किया। बच्चों के अधिकारों और पोषण संबंधी योजनाओं के उद्देश्य के साथ खिलवाड़ किया गया। जांच में दोष सिद्ध होने पर DEO ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रधानाचार्य को निलंबित कर दिया।
निलंबन के बाद क्या होगी आगे की कार्रवाई?
जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि—निलंबन अवधि में प्रधानाचार्य संजीव कुमार का मुख्यालय टेटिया बंबर प्रखंड निर्धारित किया गया है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को पत्राचार कर दिया गया है। पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच आगे भी जारी रहेगी ताकि जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई की जा सके।
शिक्षा विभाग की छवि पर लगा दाग
मिड-डे मील योजना केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बच्चों के पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए चलाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। इसके तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन, अंडा और अन्य जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन मुंगेर के इस विद्यालय में हुई घटना ने इस योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है।
जहां सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं कुछ विद्यालयों में इस प्रकार की अनियमितताएँ न केवल योजना की भावना को आहत करती हैं, बल्कि बच्चों के साथ बुरा मजाक भी है।
अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने जताया रोष
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की वजह से असली लाभार्थियों को नुकसान होता है। शिक्षा विभाग को सभी विद्यालयों में नियमित जांच करनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
प्रशासन ने कहा— ऐसी घटनाओं पर होगी सख्त निगरानी
जिला शिक्षा पदाधिकारी कुणाल गौरव ने स्पष्ट कहा कि बच्चों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। मिड-डे मील योजना पर जिला स्तर पर निगरानी की जाएगी और जहां अनियमितता पाई जाएगी, वहां सख्त कार्रवाई होगी।