BIHAR NEWS : भूमिहीन महादलितों का अंचल कार्यालय घेराव, जमीन मुहैया कराए जाने की मांग; सीओ ने कही यह बात

मधेपुरा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत सकरपुरा पंचायत में भूमिहीन महादलित परिवारों ने सोमवार को अंचल कार्यालय का घेराव किया। यह प्रदर्शन एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष निशांत यादव के नेतृत्व में हुआ।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 03:10:59 PM IST

BIHAR NEWS : भूमिहीन महादलितों का अंचल कार्यालय घेराव, जमीन मुहैया कराए जाने की मांग; सीओ ने कही यह बात

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BIHAR NEWS : मधेपुरा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत सकरपुरा पंचायत में भूमिहीन महादलित परिवारों ने सोमवार को अंचल कार्यालय का घेराव किया। यह प्रदर्शन एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष निशांत यादव के नेतृत्व में हुआ। सैकड़ों की संख्या में भूमिहीन परिवार अंचल कार्यालय पहुंचे और वासगीत पर्चा निर्गत करने की मांग उठाई।


प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा भूमिहीन परिवारों को 6 डिसमिल जमीन उपलब्ध कराने का दावा सिर्फ कागजों तक सीमित है। वास्तविकता यह है कि वे लोग पिछले दस वर्षों से अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें जमीन का पर्चा नहीं मिल पाया। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास के तमाम दावों के बावजूद हजारों भूमिहीन परिवार सड़क किनारे, नहरों और नालों के किनारे झुग्गी-झोपड़ी बनाकर जीवन गुजारने को विवश हैं। बारिश और गर्मी के मौसम में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है।


एनएसयूआई नेता निशांत यादव ने कहा कि सरकार जहां विकास और कल्याणकारी योजनाओं का ढिंढोरा पीट रही है, वहीं मधेपुरा समेत जिले के विभिन्न प्रखंडों में भूमिहीन आबादी नारकीय जीवन जी रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भूमिहीन परिवारों को जल्द ही जमीन का वासगीत पर्चा उपलब्ध नहीं कराया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।


इधर, अंचलाधिकारी (सीओ) केशिका कुमारी ने इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि सकरपुरा पंचायत से कुछ ग्रामीणों का आवेदन प्राप्त हुआ है। उन आवेदनों की जांच कराई जाएगी और योग्य पाए जाने वाले भूमिहीन परिवारों को वासगीत पर्चा उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रशासन इस दिशा में गंभीरता से कार्रवाई करेगा।


इस तरह सकरपुरा पंचायत के महादलित परिवारों का यह प्रदर्शन जिले में भूमिहीनों की जमीनी हकीकत और सरकारी योजनाओं की धीमी रफ्तार को उजागर करता है। ग्रामीणों की उम्मीद अब प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हुई है।