1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 14 Oct 2025 04:47:04 PM IST
JDU के लिए बढ़ी मुश्किलें! - फ़ोटो सोशल मीडिया
JEHANABAD: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जहानाबाद सीट पर मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने यहां भूमिहार कार्ड खेलते हुए स्कूल संचालक अभिराम शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। यह निर्णय न केवल स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है, बल्कि जनसुराज की सामाजिक रणनीति का संकेत भी देता है।
जहानाबाद विधानसभा, बिहार के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है और यह एक सामान्य (GEN) श्रेणी की सीट है। अब तक यह सीट आरजेडी और जेडीयू के बीच मुकाबले का केंद्र रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव ने 33,902 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। सुदय यादव को कुल 75,030 वोट (47.03%) मिले थे, जबकि जेडीयू के कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को 41,128 वोट (25.78%) मिले थे। 2015 में भी यह सीट आरजेडी के खाते में गई थी, जब मुंद्रिका सिंह यादव ने 50.87% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 दो चरणों में होंगे पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को। 14 नवंबर को मतगणना होगी। जहानाबाद जिले की तीनों विधानसभा सीटें जहानाबाद, मखदुमपुर और घोसी दूसरे चरण में मतदान करेंगी। दूसरे चरण के लिए नामांकन 13 से 20 अक्टूबर तक होगा।
इस बार का चुनाव सभी दलों के लिए आसान नहीं दिख रहा है। प्रशांत किशोर का जनसुराज संगठन नए प्रयोग के साथ मैदान में उतरा है, जिसका लक्ष्य “बिहार बदलने” का संदेश देना है। पार्टी ने इस बार शिक्षित, साफ-सुथरी छवि और बौद्धिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने की रणनीति अपनाई है।
जहानाबाद में अभिराम शर्मा के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन अगर सामाजिक समीकरण उनके पक्ष में रहे तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। वहीं, आरजेडी से सुदय यादव दोबारा चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। हालांकि उनका विरोध भी हो रहा है।
जेडीयू से नाराज होकर टिकट की जुगत में घोसी के पूर्व विधायक जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा हाल ही में राजद में शामिल हो गए हैं, जबकि हाशिए पर रहने के बाद पूर्व सांसद अरुण कुमार ने अपने बेटे ऋतुराज के साथ जेडीयू का दामन थाम लिया है। अगर जेडीयू ऋतुराज को टिकट देती है, तो मुकाबला बेहद कड़ा और त्रिकोणीय हो सकता है। हालांकि, अगर यह टिकट किसी दूसरे समाज को दिया गया, तो भूमिहार समुदाय की नाराज़गी जनसुराज के उम्मीदवार के लिए राह आसान कर सकते हैं