1st Bihar Published by: AJIT Updated Thu, 25 Dec 2025 08:39:01 PM IST
क्या यही शराबबंदी है? - फ़ोटो REPORTER
JEHANABAD: बिहार सरकार भले ही राज्य में पूर्ण शराबबंदी का दावा करती हो और इसे सख्ती से लागू करने की बात कहती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। जहानाबाद की यह तस्वीर शराबबंदी की पोल खोलने का काम कर रही है। यह तस्वीर जहानाबाद जिले के राजा बाजार इलाके से सामने आयी है, जहां नाली की सफाई के दौरान बड़ी संख्या में शराब की खाली बोतलें निकलने से शराबबंदी की सच्चाई उजागर हो गई है।
नगर परिषद द्वारा कराई जा रही नाली सफाई के दौरान सफाईकर्मियों को महज 10 मिनट के भीतर 100 से अधिक शराब की बोतलें नाली से मिलीं। सफाईकर्मियों का कहना है कि नाली की सफाई अभी काफी दूर तक होनी बाकी है और आगे और भी बड़ी संख्या में बोतलें निकलने की संभावना है। सफाईकर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “भैया, बिहार में शराबबंदी सिर्फ कागजों में है, हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।”
यह घटना न सिर्फ प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जहानाबाद में शराब की खुलेआम खपत और तस्करी बदस्तूर जारी है। सवाल यह उठता है कि जब बिहार की सीमाओं पर चेकिंग, हर जिले में मद्य निषेध थाना और जगह-जगह पुलिस जांच का दावा किया जाता है, तो इतनी बड़ी मात्रा में शराब आखिर आ कहां से रही है? स्थानीय लोगों का कहना है कि चेकिंग के नाम पर अक्सर छोटे वाहनों को रोककर जांच की जाती है, जबकि बड़े वाहनों की जांच औपचारिकता बनकर रह जाती है।
इसी का फायदा उठाकर शराब तस्कर भारी मात्रा में शराब बिहार में प्रवेश करा रहे हैं। कभी-कभार किसी वाहन के पकड़े जाने से प्रशासन अपनी पीठ थपथपा लेता है, लेकिन असल नेटवर्क आज भी बेखौफ सक्रिय है। गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी अंबेडकर चौक स्थित रजिस्ट्री ऑफिस के पास नाली सफाई के दौरान भारी संख्या में शराब की बोतलें बरामद की जा चुकी हैं। बार-बार सामने आ रही ऐसी घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि जहानाबाद में शराब की उपलब्धता कोई छिपी हुई बात नहीं रह गई है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह लागू है, तो फिर नालियों से शराब की बोतलों का इस तरह निकलना किस ओर इशारा करता है? क्या शराब तस्करी किसी की मिलीभगत से चल रही है? और अगर सब कुछ नियंत्रण में है, तो फिर मद्य निषेध थाना और सख्त चेकिंग व्यवस्था का औचित्य क्या रह जाता है? यह मामला न केवल जहानाबाद प्रशासन, बल्कि पूरी शराबबंदी नीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस खुली पोल के बाद क्या ठोस कार्रवाई करता है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में ही दबकर रह ।