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Bihar News: बेटा 'सैमसंग', पिता 'आईफोन', मां 'स्मार्टफोन'! बिहार में ऑनलाइन फॉर्म बना मजाक, आवेदन देखकर सकते में CO

Bihar News: बिहार के जहानाबाद में एक शख्स ने आय प्रमाणपत्र के लिए फर्जी नामों से ऑनलाइन आवेदन किया, जिसमें नाम 'सैमसंग', पिता 'आईफोन' और मां 'स्मार्टफोन' लिखा गया। अंचलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 30 Jul 2025 08:40:21 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: बिहार में एक बार फिर सरकारी दस्तावेज़ प्रणाली का मज़ाक उड़ाने की कोशिश सामने आई है। पटना जिले के मसौढ़ी में कुत्ते के नाम से आवासीय प्रमाणपत्र बनवाने की घटना के बाद अब बगल के जहानाबाद जिले में भी एक फर्जी आय प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया गया, जिसमें नाम, पता और अभिभावकों के विवरण को लेकर बेहद अजीबो-गरीब जानकारियां दी गईं।


दरअसल, यह मामला मोदनगंज अंचल का है, जहां एक आवेदक ने ऑनलाइन आय प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया। आवेदन में नाम "सैमसंग", पिता का नाम "आईफोन", माता का नाम "स्मार्टफोन" और पता गड्ढा लिखा गया था। यह फॉर्म जब अंचल कर्मियों के पास पहुंचा तो वे चौंक गए और तुरंत इसकी सूचना अंचलाधिकारी मोहम्मद आसिफ हुसैन को दी।


सीओ मोहम्मद आसिफ हुसैन ने इसे सरकारी व्यवस्था के साथ मजाक और काम में बाधा पहुंचाने वाला कृत्य करार दिया। उन्होंने कहा कि यह शरारत जानबूझकर की गई है और दोषी की पहचान कर उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दे दिया गया है। पुलिस अब तकनीकी अनुसंधान (IP ट्रैकिंग आदि) के ज़रिए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह फॉर्म कहां से और किस डिवाइस या नेटवर्क के जरिए भरा गया।


अंचलाधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा दी गई ऑनलाइन सुविधा का उद्देश्य लोगों को आसानी से सेवाएं उपलब्ध कराना है, लेकिन कुछ लोग इसे मजाक बनाने से बाज नहीं आ रहे। इस तरह के मामलों से सरकारी कर्मचारियों के कार्यों में बाधा आती है और संसाधनों का दुरुपयोग होता है। यह कोई पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पहले ही पटना के मसौढ़ी प्रखंड कार्यालय में कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया था, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे थे। अब जहानाबाद की यह घटना सरकार के डिजिटल प्रशासन की गंभीरता और साइबर निगरानी की आवश्यकता को फिर से उजागर करती है।


अब सबकी नजर इस बात पर है कि संबंधित व्यक्ति की पहचान कितनी जल्दी होती है और उस पर आईटी एक्ट और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में क्या कार्रवाई की जाती है। प्रशासन और पुलिस का कहना है कि इस तरह के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।