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RCD के इस कार्यपालक अभियंता ने 'डिप्टी CM' को गलत जानकारी दी...भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश की थी, पांच माह बाद हुआ एक्शन

गया पथ प्रमंडल-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश चंद्र सिन्हा को डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को गलत जानकारी देने और करोड़ों के फर्जी Extra कैरेज भुगतान मामले में सस्पेंड किया गया है। फर्जी पत्र के आधार पर निर्माण कंपनी को लाभ पहुंचाया गया। जानिए पूरा मामला।

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Mon, 19 May 2025 11:39:00 AM IST

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Bihar News: बिहार के अफसर- इंजीनियर गलत करते हैं, फिर उसे दबाने की कोशिश करते हैं. अधिकारियों का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि उप मुख्यमंत्री तक को गलत जानकारी देते हैं. पथ निर्माण विभाग में जब बड़े फर्जीवाड़े की खबर मीडिया (1st Bihar/Jharkhand) में आई तो डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने संबंधित कार्यपालक अभियंता से जानकारी मांगी. पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश चंद्र सिन्हा ने जो जानकारी दी, वह गलत भुगतान को दबाने का प्रयास प्रतीत हुआ. यानि कार्यपालक अभियंता ने डिप्टी सीएम को गलत जानकारी दी. पूरे खेल में गया पथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता की भूमिका संदिग्ध पाई गई, इसके बाद 16 मई के प्रभाव से गया पथ प्रमंडल-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश चंद्र सिन्हा को सस्पेंड किया गया है. इसके साथ ही एक और तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार को भी सस्पेंड किया गया है. 

कार्यपालक अभियंता भी हुए सस्पेंड 

वर्तमान कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल-गया रितेश चंद्र सिन्हा को भी निलंबित किया गया है . इन पर भी तीन सड़क में एक्स्ट्रा कैरेज भुगतान संबंधी मामले को दबाने का आरोप है. पथ निर्माण विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि एक्स्ट्रा कैरेज चालान के सत्यापन से संबंधित 2014-15 में निर्गत पत्रों के संबंध में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ द्वारा 8 अगस्त 2024 के द्वारा सूचित किया गया था. बताया गया था कि वह पत्र उनके कार्यालय से निर्गत नहीं है. स्पष्ट है कि इस कार्य में संवेदक को किए गए दावा राशि का भुगतान संबंधी कार्रवाई संदिग्ध है. इनके द्वारा भुगतान की गई राशि के संबंध में किसी तरह की कानूनी या राशि वसूली की कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं एक माह बाद अधीक्षण अभियंता गया अंचल से परामर्श मांगा गया. इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पर गलत सूचना आने पर जब उप मुख्य मंत्री द्वारा जानकारी प्राप्त की गई , तब कार्यपालक अभियंता रितेश चंद्र सिन्हा के द्वारा जिन तथ्यों की जानकारी दी गई, वह प्रथम दृश्टया गलत भुगतान को दबाने का प्रयास प्रतीत होता है.

जानें पूरा मामला.......

बता दें, 1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर को पूरे मामले का खुलासा किया था. खुलासे के बाद 27 दिसंबर 2024 को पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता से शो-कॉज पूछा गया था.1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को प्रमाण के साथ खुलासा किया कि पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल सं-1 गया में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों-करोड़ का घोटाला हुआ है. आंतरिक खुलासा खुद गया के कार्यपालक अभियंता ने ही कराया, पर दबाकर बैठे रहे. मकसद वसूली करना था. पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015, 408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 (सभी पत्र 2015 के हैं) को सत्यापित करने को कहा. पाकुड के खनन कार्यालय से सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.  

 पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब

पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई है कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं।

Extra कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान 

बता दें, आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास  मेरे पास है। पूरा मामला  Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान का है. झारखंड के पाकुड खनन कार्यालय का फर्जी पत्र लगाकर 2015-16 में करोड़ों का भुगतान लेने की बात है. सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंताओं ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान किया