13 साल में IIT, 24 में Ph.D: बिहार के सत्यम अमेरिका में मशीन लर्निंग से मचा रहे धमाल

बिहार के सत्यम कुमार ने 13 साल में IIT क्रैक किया और 24 की उम्र में Ph.D पूरी कर अमेरिका में एडवांस मशीन लर्निंग रिसर्च में नाम कमा रहे हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 22 Dec 2025 08:03:30 PM IST

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गुदड़ी के लाल - फ़ोटो social media

BHOJPUR: बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर वैश्विक तकनीकी मंच तक पहुंचने वाले सत्यम कुमार आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। अपनी असाधारण प्रतिभा और कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने बेहद कम उम्र में ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं, जो उन्हें देश के सबसे कम उम्र के IITians में शामिल करती हैं।


सत्यम कुमार का जन्म 20 जुलाई 1999 को बिहार के भोजपुर जिले के बखोरापुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। सीमित संसाधनों के बावजूद बचपन से ही उनमें पढ़ाई के प्रति गहरी रुचि और गणित-विज्ञान की असाधारण समझ दिखाई देने लगी। गांव के सामान्य स्कूल में पढ़ते हुए उन्होंने बड़े सपने देखे और उन्हें साकार भी किया।


साल 2011 में मात्र 12 साल की उम्र में सत्यम ने पहली बार IIT-JEE परीक्षा दी और ऑल इंडिया रैंक 8137 हासिल कर सबको चौंका दिया। इसके बाद उन्होंने खुद को और बेहतर करने की ठानी। 2013 में, सिर्फ 13 साल की उम्र में उन्होंने दोबारा IIT-JEE परीक्षा दी। इस बार JEE मेन में 360 में से 292 अंक हासिल किए और JEE एडवांस्ड में AIR 679 लाकर देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।


महज 14 साल की उम्र में सत्यम को प्रतिष्ठित IIT कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक-एमटेक ड्यूल डिग्री में दाखिला मिला। 2013 से 2018 के बीच उन्होंने IIT कानपुर में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया और कई पुरस्कार भी जीते।


IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद सत्यम ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से इलेक्ट्रिकल एंड कंप्यूटर इंजीनियरिंग में Ph.D की और मात्र 24 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली, जो अपने आप में एक बड़ी सफलता मानी जाती है।


साल 2023 में सत्यम ने Apple के Siri Speech Team में इंटर्नशिप भी की। वर्तमान में वे अमेरिका की एक प्रमुख टेक कंपनी में कार्यरत हैं और एडवांस मशीन लर्निंग रिसर्च के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। वैश्विक टेक इंडस्ट्री में उनका नाम उभरते हुए प्रतिभाशाली शोधकर्ताओं में लिया जा रहा है। सत्यम की यह कहानी न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है, जो यह साबित करती है कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती।