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24-May-2025 06:15 PM
By FIRST BIHAR
Motivation: भारत में सरकारी नौकरी को आज भी सबसे सुरक्षित और सम्मानजनक करियर विकल्प माना जाता है। हर साल लाखों युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटते हैं कोई एसएससी, रेलवे, बैंक, युपीएससी या राज्य सेवा आयोग जैसी परीक्षाओं की। हालांकि इस कड़ी प्रतिस्पर्धा में सफलता हर किसी को नहीं मिलती, और कई बार वर्षों की मेहनत के बाद भी परिणाम हाथ नहीं लगता। ऐसे में अक्सर छात्र निराशा और तनाव से घिर जाते हैं। इन्हीं परिस्थितियों पर आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज ने अपने एक सत्संग में छात्रों को मनोरंजन, संयम और अनुशासन के साथ तैयारी करने का मंत्र दिया।
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, छात्र जीवन में सबसे जरूरी चीज उत्साह और ऊर्जा है। अगर आप किसी भी प्रकार की पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो उसमें निरंतर जोश और समर्पण होना चाहिए। वे कहते हैं कि कोई भी कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता, हर कार्य को चुनौती के रूप में लें और उसे टालने के बजाय तुरंत पूरा करने की आदत डालें। इससे न केवल काम समय पर होगा, बल्कि मानसिक तनाव भी दूर रहेगा।
महाराज जी इस बात पर जोर देते हैं कि प्लानिंग और समय का सदुपयोग सफलता की कुंजी है। उनका सुझाव है कि छात्र रात में ही अगले दिन के लिए विस्तृत योजना बना लें—क्या पढ़ना है, कितने घंटे देना है, कौन-कौन से टॉपिक कवर करने हैं। इससे समय की बर्बादी नहीं होगी और पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी। साथ ही, महाराज जी इस बात पर भी जोर देते हैं कि डेली रिवीजन और प्रैक्टिस अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि सफलता अचानक नहीं मिलती, बल्कि निरंतर अभ्यास और संकल्प से ही मिलती है।
उन्होंने छात्रों को यह भी समझाया कि “चिंता” नहीं, बल्कि “चिंतन” करें। चिंता करने से समाधान नहीं निकलता, उल्टा दिमाग और शरीर दोनों पर नकारात्मक असर पड़ता है। अगर आप किसी परीक्षा में असफल होते हैं, तो खुद पर आत्मग्लानि की बजाय यह सोचें कि अगली बार तैयारी कैसे बेहतर कर सकते हैं। अपने समय, ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग आत्म-विश्लेषण और रणनीति में करें। महाराज जी ने कहा कि हर छात्र को तैयारी इस तरह करनी चाहिए कि अगर परीक्षा एक महीने बाद हो, तो आज ही उनसे कोई सवाल पूछे, तो वे जवाब देने में सक्षम हों।
उनकी यह शिक्षाएं न केवल परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि जीवन के किसी भी कठिन दौर में मार्गदर्शन का काम करती हैं। यदि छात्र इन बातों को आत्मसात करें, तो न केवल सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि वे एक बेहतर, आत्मनिर्भर और मानसिक रूप से सशक्त नागरिक भी बनेंगे।