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फाल्गुन अमावस्या 2025 कब, पितरों की पूजा का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व दिया जाता है। फाल्गुन अमावस्या पितरों की तृप्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।

Falgun Amavasya 2025

22-Feb-2025 07:36 PM

Falgun Amavasya 2025: फाल्गुन अमावस्या का महत्वअमावस्या का दिन पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह तिथि पिंडदान और पितृ तर्पण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। लोग इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्य करते हैं। फाल्गुन अमावस्या 2025 (Phalgun Amavasya 2025) इस वर्ष 27 फरवरी को मनाई जाएगी।


फाल्गुन अमावस्या 2025 स्नान-दान का शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:09 से 5:58 बजे तक

शिव योग: सुबह 5:09 से रात 11:40 बजे तक

सिद्धि योग: रात 11:40 बजे से अगले दिन तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:16 से 1:02 बजे तक

अमृत काल: सुबह 6:02 से 7:31 बजे तक

इस दौरान स्नान, ध्यान और दान करने से यश और वैभव में वृद्धि होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय किए गए शुभ कार्यों का फल कई गुना अधिक मिलता है।


फाल्गुन अमावस्या 2025 तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 फरवरी 2025 को सुबह 08:54 बजे प्रारंभ होगी और 28 फरवरी को सुबह 06:14 बजे समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को मनाई जाएगी।


फाल्गुन अमावस्या 2025 पूजा मंत्र

पितरों की पूजा और तर्पण के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है:


ॐ पितृ देवतायै नमः।।

ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम।।

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृः प्रचोदयात्।।


फाल्गुन अमावस्या पर करने योग्य कार्य

पिंडदान और तर्पण: पितरों की आत्मा की शांति के लिए गंगा या पवित्र नदी में पिंडदान और तर्पण करना शुभ होता है। गायों को भोजन कराना: इस दिन गायों को हरा चारा और रोटी खिलाने से पुण्य प्राप्त होता है। गरीबों को दान: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की पूजा: शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध चढ़ाकर शिवजी की आराधना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। फाल्गुन अमावस्या का दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर होता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाते हैं। अतः सभी को इस पावन तिथि पर पूजा-पाठ और दान का महत्व समझते हुए पितरों को प्रसन्न करना चाहिए।