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25-Jan-2025 08:00 AM
हमारे घरों में पूजा-पाठ का महत्व बहुत अधिक है, और इसे सही दिशा में करना भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से, अगर पूजा-पाठ पूर्व दिशा में मुख करके किया जाए, तो इसके कई लाभ होते हैं, जो हमारे जीवन को बेहतर बना सकते हैं। दादी-नानी के द्वारा बताई गई बातें और उनके नियम अक्सर हमें थोड़े अजीब लग सकते हैं, लेकिन शास्त्रों और वास्तु शास्त्र में इनकी गहरी महत्वता है।
1. सूर्य की दिशा और शुभता: पूर्व दिशा को सूर्य के उदय की दिशा माना गया है, और सूर्य को प्रकाश, ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना अत्यंत शुभ होता है। सूर्य के प्रकाश से व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति मिलती है। जब हम सूर्य के उदय की दिशा में पूजा करते हैं, तो यह हमें शौर्य और शक्ति प्रदान करता है।
2. ऊर्जा का संचार और समृद्धि: वास्तु शास्त्र के अनुसार, जब हम पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हैं, तो इस दिशा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा न केवल हमारे भीतर बल्कि हमारे घर और परिवार में भी सुख-शांति और समृद्धि लाती है। अगर पूजा स्थल पूर्व दिशा में हो, तो घर के वातावरण में शांति, प्रसन्नता और समृद्धि बनी रहती है।
3. मानसिक शांति और ध्यान: पूर्व दिशा में बैठकर पूजा करना मानसिक शांति और ध्यान को भी बढ़ाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, पूर्वाभिमुख होकर पूजा करने से हमारी क्षमता और सामर्थ्य में वृद्धि होती है। यह न केवल आध्यात्मिक लाभ है, बल्कि हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. ज्ञान और आत्मिक उन्नति: धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्वाभिमुख होकर पूजा करना ज्ञान प्राप्ति का कारण बनता है। यह दिशा हमें आंतरिक शांति और आत्मिक उन्नति की ओर मार्गदर्शन करती है। पूजा करते समय इस दिशा में बैठने से हमारे दिमाग में स्पष्टता आती है, और हम अपनी ज़िंदगी के महत्वपूर्ण निर्णयों को सही तरीके से ले सकते हैं।
पूर्वाभिमुख होकर पूजा करना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार, यह दिशा हमें शक्ति, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। इसलिए, यदि आप अपने पूजा स्थल की दिशा सही रखना चाहते हैं और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पूजा करना सबसे उत्तम तरीका है।