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27-Jul-2025 01:27 PM
By FIRST BIHAR
Bihar Politics: हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार के लघु जल संसाधन मंत्री डॉ. संतोष सुमन ने कहा है कि आजकल अपराध पर बयान देकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने का फैशन हो गया है। अपराधियों को ताम झाम व गाजे बाजे के साथ पार्टी में शामिल कराने तथा अपराधियों के लिए मंच से 'जिंदाबाद' और 'अमर रहे' के नारे लगवाने के दौरान नैतिकता कहां चली जाती है?
संतोष सुमन ने कहा कि बिहार कब का संगठित व सत्ता संरक्षित अपराध की दुनियां से बाहर निकल गया है। संगठित अपराध के मामले में बिहार देश में 19वें स्थान पर है। महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध में राष्ट्रीय औसत से बिहार आधे पर है। अपराधियों को छुड़ाने व बचाने के लिए थानों में फोन करने की बातें गुजरे दिनों की हो गई हैं। हर आपराधिक घटना के खिलाफ त्वरित व कारगर कार्रवाई करने की पुलिस को खुली छूट मिली हुई है।
उन्होंने नसीहत देते हुए कहा है कि राजनैतिक दलों के नेताओं को बयानवीर बनने से पहले इन आंकड़ों व पुलिस की कार्रवाई को देखना चाहिए। अनर्गल बयानबाज़ी से राजनीति की विश्वसनीयता संकट में पड़ रही है। राजनीति की मूल पूंजी भरोसा है, वह अगर एक बार ख़त्म हो गई तो फिर कभी ऐसे दलों व नेताओं पर जनता विश्वास नहीं करेगी। गलत बातों व तथ्यों से जनता को एक बार भ्रमित किया जा सकता है, बार-बार नहीं, क्योंकि उसकी पारखी नजर सबकी खबर रखती है। जनता को बेवकूफ समझने की भूल ऐसे नेताओं को भारी पड़ेगी।
संतोष सुमन ने कहा कि कथनी और करनी के फर्क की वजह से भी राजनीति व राजनेताओं की विश्वसनीयता घटती जा रही है। क्या राजनैतिक दलों में यह हिम्मत है कि वह अपराध की चर्चा करने व सरकार को कोसने से पहले अपने दलों के अराजक व आपराधिक तत्वों को चिन्हित कर उन्हें अपने दल से निकाल बाहर करें? अपराधियों को पनाह देकर, अपराधियों से घिरे रह कर क्या थोथे बयान देकर मीडिया का कवरेज पा लेने मात्र से अपराध पर नियंत्रण सम्भव है? क्या अपराध पर प्रवचन देने वाले अपराधी चरित्र के लोगों को टिकट देने से परहेज करेंगे? अगर नहीं, तो फिर किस मुंह से बोलेंगे व जनता के बीच जाएंगे?