Bihar politics : बिहार चुनाव का रिजल्ट आने के बाद बाहुबली पूर्व विधायक बनेंगे सरकार में मंत्री ! कहा - पिछली बार ही मिला था निमंत्रण,लेकिन .... Bihar Politics: ‘विधानसभा चुनाव के बाद पलटी मारेंगे नीतीश’ बिहार के निर्दलीय सांसद का बड़ा दावा Bihar Politics: ‘विधानसभा चुनाव के बाद पलटी मारेंगे नीतीश’ बिहार के निर्दलीय सांसद का बड़ा दावा Bihar Air Pollution: दिवाली के बाद बिहार में वायु प्रदूषण बढ़ा, पटना सहित कई शहरों की हवा हुई खराब Bihar Air Pollution: दिवाली के बाद बिहार में वायु प्रदूषण बढ़ा, पटना सहित कई शहरों की हवा हुई खराब Bihar Assembly Election : बिहार चुनाव को लेकर BJP ने बनाया मेगा प्लान, बुरी तरह फंस जाएंगे तेजस्वी और राहुल; दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाने का दावा BIHAR NEWS : दिवाली की रात एसी-फ्रिज सर्विस सेंटर में आग, गैस सिलेंडर ब्लास्ट से संपत्ति का 50-60 लाख का नुकसान Bihar Government Jobs: दूसरी इंटर लेवल संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू, जान लें पूरी डिटेल Bihar Assembly Election 2025 : पहले चरण की 121 सीटों पर मैदान में 1314 उम्मीदवार, तेजस्वी यादव और NDA के दिग्गजों की होगी अग्निपरीक्षा Bihar political strategy : MY समीकरण से आगे निकले तेजस्वी ! अब 'K' कार्ड से बदलेगी महागठबंधन की किस्मत; जानिए RJD को कितना फायदा देगा यह नया समीकरण
18-Oct-2024 07:06 AM
By First Bihar
DESK : फूड डिलीवरी या कैब सर्विस से जुड़ी ऐप्स के लिए काम करने वाले कर्मचारियों को सरकार बड़ा तोहफा दे सकती है। खबर है कि सरकार गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म आधारित नौकरियां करने वालों को बीमा और पेंशन मिलने जैसी व्यवस्था चालू करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया का कहना है कि हम कोड लागू होने तक ऐसे लोगों को उनके अधिकारों से दूर नहीं रख सकते हैं।
दरअसल, गिग वर्कर्स का मतलब ऐसे लोगों को कहा जाता है जो आमतौर पर अस्थाई नौकरियां करते हैं। वह स्वतंत्र कॉन्ट्रेक्टर या फ्रीलांसर के तौर पर काम करते हैं। खास बात है कि ऐसे कर्मचारियों के पास काम करने का समय तय करना जैसी सुविधाएं भी होती हैं। ये प्रोजेक्ट आधारित नौकरियां भी करते हैं। NITI आयोग का अनुमान है कि देश में 65 लाख गिग वर्कर्स हैं, लेकिन आंकड़ा दो करोड़ के पार हो सकता है।
वहीं, इस फैसले को श्रम कानून में शामिल प्रावधानों की 'सॉफ्ट लॉन्चिंग' भी कहा जा रहा है। दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि लेबर कोड लागू करने के लिए अभी सभी राज्य तैयार नहीं है। गुरुवार को मांडविया ने कहा, 'हम नियम लागू होने तक उन्हें उनके अधिकारों से दूर नहीं रख सकते। हमें उससे पहले नीति लेकर आनी होगी।'
उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल फरवरी में बजट से पहले सोशल सिक्युरिटी फ्रेमवर्क लागू करने की कोशिश करेंगे। खास बात है कि कुछ राज्यों ने गिग वर्कर्स के लिए कानून भी बनाए हैं। मंत्री का कहना है कि मंत्रालय सभी सुझावों पर गौर कर रहा है, क्योंकि यहां कोई कर्मचारी और नौकरी रखने वालों के बीच संबंध नहीं है। साथ ही सबसे बड़ी बात है कि ऐसे कर्मचारियों की सोशल सिक्युरिटी के लिए वो योगदान कहां से आएगा, जो उन्हें नौकरी पर रखने वालों की तरफ से किया जाता है।