IAS-IRS couple : UPSC अफसरों की रोमांटिक कहानी, विकास ने प्रिया से की सगाई; जानिए कैसे शुरू हुई यह लव स्टोरी BIHAR TEACHER NEWS : बिहार के DEO और DPO को सख्त चेतावनी, 31 दिसंबर तक नहीं किया यह काम तो होगा कार्रवाई Hotel Sex Racket : पर्यटक केंद्र राजगीर के होटल में चल रहा था गंदा खेल, पुलिस ने 15 लड़कियों के साथ 3 युवक को किया अरेस्ट Bihar cyber crime : बिहार में साइबर अपराध पर नकेल कसने को EOU की नई इंटेलिजेंस यूनिट, इन चीजों पर हुआ एक्शन Patna Zoo Internship : पटना जू की अनोखी पहल, किताबों से निकलकर वन्यजीवों के बीच सीखने का मौका; पटना जू में पहली बार इंटर्नशिप; इस तरह भरें फॉर्म Bihar ration card : बिहार के राशन कार्डधारियों पर बड़ा एक्शन, 57 लाख से ज्यादा नाम कटने की तैयारी; खाद्य विभाग के एक्शन से हड़कंप Bihar Politics : मन ही मन फूट रहे लड्डू, एनडीए में विवाद उत्पन्न होने से बचने के लिए अब कुशवाहा दे रहे सफाई; जानिए क्या है हकीकत Bihar weather : पछुआ हवा ने बढ़ाई कनकनी, बिहार में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का अलर्ट, गया रहा सबसे ठंडा जिला मां बनी कसाई: 6 साल की बेटी को दी हिंदी बोलने की सजा, मराठी में बात नहीं करने पर घोंट डाला गला मुजफ्फरपुर में विधवा के साथ मारपीट, गहने और पैसे भी छीना, शिकायत करने पर थानेदार ने लगाई फटकार, कहा..'जहां जाना है जाओ
29-Sep-2022 12:11 PM
PATNA : आज विश्व हार्ट दिवस है। प्रत्येक साल 29 सितंबर को पूरे विश्व में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इसे मनाया जाता है। दुनिया में लाखों लोग हर साल हार्ट अटैक के कारण असमय ही मौत के शिकार हो जाते हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा वर्ल्ड हार्ट डे मनाने की शुरुआत हुई थी, ताकि लोगों को हृदय रोगों के खिलाफ जागरूक किया जा सके। यह एक वैश्विक अभियान है जिसके माध्यम से लोगों को हृदय रोग के प्रति जागरूक कर इसकी जानकारी दी जाती है कि कैसे इससे बचा जाए।
लगातार व्यस्त होती जीवन शैली में आम लोग शरीर को ही दूसरे नंबर पर रखते हैं। वैसे तो आज के दौर में हर प्रकार की बीमारियां लोगों को अपनी जद में ले रही हैं लेकिन हार्ट से जुड़ी बीमारियां आम हो गई हैं। मेदान्ता पटना के विशेषज्ञ डॉक्टरों की माने तो जीवन शैली में थोड़ा सुधार और खान पान में ध्यान रखा जाए तो हार्ट डिजीज पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है लेकिन इन सारी चीजों को गंभीरता से अमल करना होगा।
हृदय रोग की पहचान के बारे में जयप्रभा मेदान्ता अस्पताल पटना के हार्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. प्रमोद कुमार बताते हैं कि हृदय रोग की प्रमुख कारणों में छाती का दर्द मुख्य है। हृदयाघात की हालत में सीने के बीच में दर्द होता है और फिर पूरे सीने में फैल जाता है। दर्द बांह में भी फैल जाता है। इसके अलावा सांसों का फूलना, धड़कन का बढ़ना, चक्कर आना, बेहोशी होना भी हृदयाघात या हृदय रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 30 वर्ष गुजरने के बाद यदि ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर जांच करवाएं। कई बार औरत या बूढ़े लोगों में सीने का दर्द नहीं होता। उनमें सांस फूलना, कमजोरी आदि दिखे तो हृदय रोग की समस्या हो सकती है।
जयप्रभा मेदान्ता सुपर सलेशलिटी हॉस्पिटल, पटना के हार्ट इंस्टिट्यूट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर शाहीन अहमद कहते हैं कि आज के समाज में हार्ट डिजीज के कई कारण हो सकते हैं। इनमें बढ़ती उम्र, जेनेटिक बीमारी, असंतुलित बीपी, स्मोकिंग, अल्कोहल सेवन, जंक फूड जैसी चीजें शामिल हैं। बहुत सारी ऐसी चीजें हैं, जिन पर हम ध्यान नहीं दे पाते हैं। इन चीजों पर ध्यान दें तो अटैक होने की संभावना बहुत कम होती है। यह सारी चीजें शरीर पर धीरे धीरे असर डालती हैं। कोई भी इंसान अगर 35 से 40 वर्ष पूरे होने पर नियमित रूप से अपने शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाता रहे तो रिस्क बहुत कम हो जाता है।
जन्मजात शिशुओं में दिल के छेद या हृदय की बीमारी पर प्रकाश डालते हुए जयप्रभा मेदान्ता अस्पताल पटना के कार्डियो वैस्कुलर एंड थोरेसिक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर संजय कुमार कहते है, पहले दिल के छेद या हृदय की बीमारी वाले बच्चों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता था लेकिन अब हमलोग ऐसे केस को हैंडल करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और अब ऐसे शिशु या बच्चों को इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। वो कहते हैं, प्रति एक हजार जन्म लेनेवाले शिशु में चार हृदय रोग से ग्रसित होते हैं। इसलिए जन्म के बाद शिशु का ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का स्तर मापना चाहिए। यदि 95 प्रतिशत से कम हो तो हृदय की जांच आवश्यक है। वैसे सभी जन्म लेनेवाले शिशु का इको जांच करवाना चाहिए।
हार्ट अटैक आने पर सीपीआर देने की बात कहते हुए जयप्रभा मेदान्ता सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पटना के हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर अजय कुमार सिन्हा बताते हैं कि सीपीआर यानी कार्डिओपलमनरी रिसिटेशन को कहते हैं। इसे मेडिकल इमरजेंसी में देकर किसी व्यक्ति की सांस रुकने, दिल के रुकने की हालत में उसकी जान बचाई जा सकती है। यह हार्ट के बंद होने के बाद फिर चालू करने की प्रक्रिया है। अगर किसी को सीपीआर दे रहे होते हैं तो प्रति मिनट 100 सीपीआर देने की जरूरत होती है साथ ही हर 3 मिनट पर एक बार सांस देना होता है। सीपीआर के साथ ही डिफैब्युलेटर मशीन की भी जरूरत पडती है। अगर सीपीआर और ओटोमेटिक एक्सटर्नल डिफैब्युलेटर मशीन अगर मिल जाये तो 10 में से 8 लोगों की जान बचाई जा सकती है।
वो ये भी बताते हैं, कई बार लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर नहीं समझ पाते हैं। जबकि ये दोनों अलग अलग चीजें हैं। हार्ट के बंद होने को कार्डियक अरेस्ट कहते हैं, जबकि हार्ट के किसी एक हिस्से में रुकावट को हार्ट अटैक कहते हैं। हार्ट अटैक से कई तरह की परेशानी आ सकती है इससे हार्ट के मसल्स में खराबी आ सकती है। कार्डियक अरेस्ट के कई कारण होते हैं।